उन दस आधारभूत मूल्यों की पहचान कीजिये, जो एक प्रभावी लोक सेवक होने के लिये आवश्यक हैं। लोक सेवकों में गैर - नैतिक व्यवहार के निवारण के तरीकों और साधनों का वर्णन कीजिये। (उत्तर 150 शब्दों में दीजिये)
17 Mar, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्ननीतिशास्त्र में कई ऐसे मूल्य हैं जो लोक सेवकों की अभिवृत्ति तथा उनके कार्य निष्पादन को प्रभावित करते हैं, इसके अंतर्गत सामाजिक, राजनीतिक, व्यक्तिगत तथा प्रशासनिक मूल्य शामिल किये जाते हैं। अपने सेवाकाल के दौरान एक लोक सेवक को दक्षता, जवाबदेही अनुक्रियाशीलता, तटस्थता और प्रभावकारिता जैसे प्रशासनिक मूल्यों के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए तथा नैतिक सिद्धांतों को लागू करने की चुनौती को स्वीकारते हुए कार्य करना होता है। इस स्थिति में कुछ आधारभूत मूल्यों को एक प्रभावी लोक सेवक के लिये आवश्यक माना गया है, जैसे
लोक सेवकों में बढ़ती अभिजात्य प्रवृत्ति तथा लालफीताशाही के कारण लोक सेवकों के आचरण पर प्रश्न चिह्न लगाए जाते रहे हैं। इस संदर्भ में केंद्र सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के लिये केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमावली 1964 के रूप में आचरण नियमावली जारी की गई, इसके साथ भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा एक प्रभावी एवं उत्तरदायी सरकार हेतु कार्य योजना के एक भाग के रूप में लोक सेवाओं हेतु एक नीतिपरक आचार संहिता निर्मित की गई थी, जिसे मई 1997 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया था । इस संहिता का उद्देश्य लोक सेवाओं पर लागू होने वाले अखंडता और आचरण के मानकों को निर्धारित करना था । द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की चौथी रिपोर्ट 'शासन में नैतिकता' को सुनिश्चित करने के संबंध में महत्त्वपूर्ण प्रावधान करती है, इसके साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 तथा लोक सेवकों के संदर्भ में अनुशासनिक कार्रवाइयाँ इस संदर्भ में महत्त्वपूर्ण साधन सिद्ध होती हैं । वर्तमान समय में लोक सेवकों में बुनियादी नैतिक मूल्यों के उत्थान के संदर्भ में मिशन कर्मयोगी सनिक एक सराहनीय कदम है ।