वर्ष 2015 से पहले और वर्ष 2015 के बाद भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की गणना पद्धति के बीच अंतर स्पष्ट कीजिये। (150 शब्द)
16 Mar, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण
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किसी अर्थव्यवस्था या देश के लिये सकल घरेलू उत्पाद (GDP) एक वित्तीय वर्ष में उस देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य होता है।
ध्यातव्य है कि वर्ष 2015 के पहले GDP की गणना में कारक लागत (Factor Cost) का उपयोग किया जाता था। कारक लागत का अर्थ है कि उत्पादन के सभी कारकों पर आने वाली कुल लागत, जिसका उपयोग वस्तु एवं सेवा के लिये होता है। इसमें कोई कर शामिल नहीं होता है। यदि इसमें अप्रत्यक्ष कर जोड़ दिया जाए व सब्सिडी को घटा दिया जाए तो इसका परिणाम बाज़ार कीमत पर GDP के रूप में सामने आता है। बाज़ार कीमत या चालू कीमत पर GDP का उपयोग अर्थव्यवस्था का आकार जानने या राजकोषीय घाटे जैसे विभिन्न अनुपातों की गणना करने में होता है।
वर्ष 2015 में जनवरी के अंत से GDP गणना के एक नए तरीके को स्वीकार किया गया। अब सकल मूल्य वर्द्धन (GVA) का उपयोग GDP की गणना में होता है, जिसकी गणना आधार मूल्य पर होती है। सकल मूल्य वर्द्धन किसी देश की अर्थव्यवस्था में सभी क्षेत्रों, यथा प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीयक क्षेत्र और तृतीयक द्वारा किया गया कुल अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन का मौद्रिक मूल्य होता है। यदि उत्पाद शुल्क, मूल्य वर्द्धन शुल्क, वस्तु एवं सेवा कर जैसे उत्पाद करों को GVA में आधार मूल्य पर जोड़ दिया जाता है और सब्सिडी घटा दी जाए तो इससे नए तरीके के अनुसार GDP के आँकड़े प्राप्त होते हैं। देश की वृद्धि दर की गणना करते समय अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति जानने के लिये आधार वर्ष का प्रयोग किया जाता है विदित हो कि वर्तमान में भारत 2011-12 को आधार वर्ष के रूप में प्रयोग कर रहा है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने वर्ष 2015 से आधार वर्ष 2004-05 को संशोधित कर 2011-12 कर दिया था।