डिजिटल विश्वविद्यालय’ की स्थापना से उत्पन्न अवसरों की चर्चा कीजिये, विशेष रूप से जबकि कोविड-19 महामारी ने संपूर्ण शिक्षा प्रणाली के कार्यकरण को प्रभावित किया है। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- कोविड -19 महामारी से उत्पन्न अवरोधों के बारे में बताइये, जिन्होंने पूरी शिक्षा प्रणाली को प्रभावित किया है।
- एक डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापनामें निहित अवसरों की चर्चा कीजिये।
- चर्चा कीजिये कि डिजिटल शिक्षा की संभावित चुनौतियाँ क्या हो सकती हैं।
- आगे की राह बताइये।
|
परिचय
कोविड-19 महामारी ने शिक्षा क्षेत्र को गहन रूप से प्रभावित किया है। हालाँकि महामारी के पहले से भी आकांक्षी छात्रों के लिये पर्याप्त संख्या में विश्वविद्यालयों की कमी से उनके पास सीमित विकल्प ही रहे थे। इससे उच्च शिक्षा प्रदान करने के तरीके में एक सुधार की आवश्यकता उत्पन्न हुई है।
बजट 2022-23 में एक डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा की गई है। यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण निर्णय है, क्योंकि एक डिजिटल विश्वविद्यालय विविध भाषाओं में उच्च गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा तक बेहतर पहुँच प्रदान करने में सक्षम होगा और यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में निर्धारित दृष्टिकोण के साथ भी संरेखित होगा।
भारत में डिजिटल विश्वविद्यालय में निहित संभावनाएँ और अवसर
- लर्निंग के वर्तमान मॉडल की अक्षमता: यह मान्यता बढ़ती जा रही है कि वर्तमान विश्वविद्यालय मॉडल कठोर है और पारंपरिक विश्वविद्यालय छात्रों की आवश्यकताओं, रुचियों, वित्तीय क्षमताओं और विविध संज्ञानात्मक क्षमताओं का ध्यान रखने हेतु शिक्षा को अनुरूपता प्रदान कर सकने में विफल रहे हैं।
- इस परिदृश्य में शिक्षाविदों और नीतिनिर्माताओं को आवश्यकता अनुरूप उच्च गुणवत्तायुत "कभी भी/कहीं भी" शिक्षा प्रदान करने के लिये एक लचीली शैक्षिक प्रणाली का सृजन करने की आवश्यकता महसूस हुई है।
- आर्थिक लाभ की स्थिति: शिक्षाविदों द्वारा इस तरह की पूर्व-निर्धारित शिक्षा पद्धति भारतीय अर्थव्यवस्था को एक व्यापक आकार प्राप्त करने में मदद करेगी।
- प्रौद्योगिकी के साथ अद्यतन व्यवस्था: उभरती प्रौद्योगिकियों से संचालित सूचना अर्थव्यवस्थाओं के साथ नियोजित लोगों के लिये अपनी बदलती भूमिकाओं के मद्देनज़र प्रासंगिक नए कौशल प्राप्त करना भी आवश्यक हो जाता है। वर्तमान मॉडल इस संदर्भ में अधिक सहायक नहीं है।
- वैज्ञानिक प्रगति में योगदान: चूँकि डिजिटल यूनिवर्सिटी नेटवर्क पूर्णतः ‘हब-स्पोक मॉडल’ (Hub-Spoke Model) पर आधारित होगी, यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, वर्चुअल रियलिटी, ऑगमेंटेड रियलिटी और ब्लॉकचेन जैसे उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर अत्याधुनिक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी प्लेटफाॅर्म और डिजिटल कंटेंट विकसित कर सकती है।
चुनौतियाँ
- डिजिटल विश्वविद्यालयों के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा इस संबंध में सवाल खड़े करती है कि ऑनलाइन शिक्षा हाशिये पर स्थित लोगों की उच्च शिक्षा तक अधिकाधिक पहुँच और उनकी सफलता का समर्थन करने में कितनी मदद कर सकेगी।
- ऑनलाइन शिक्षण को सार्थक शिक्षा (Meaningful Education) का पूर्ण विकल्प नहीं माना जाना चाहिये। स्कूल बंद रहने की स्थिति में यह कुछ संलग्नता प्रदान कर सकता है, लेकिन कक्षा और स्कूल के छात्रों या लर्निंग कम्युनिटी के लिये यह व्यक्तिगत शिक्षण (In-Person Learning) के दृष्टिकोण से शैक्षणिक रूप से निम्नतर विकल्प ही है।
- पहली पीढ़ी के आकांक्षियों के पास कॉलेज के माध्यम से आगे बढ़ते समय आश्रय या निर्भरता के लिये सांस्कृतिक पूंजी उपलब्ध नहीं होती।
- ये छात्र डिजिटल डिवाइड के दूसरी तरफ (यानी कम पहुँच रखने वाले) भी होते हैं जो उन्हें दोहरी मार का शिकार बनाएगा यदि डिजिटल मोड को ही शिक्षा का मुख्य आधार बना दिया जाए।
- इसके साथ ही डिजिटल लर्निंग कई सामाजिक-आर्थिक समस्याओं से भी संबद्ध है जिसमें बार-बार बाधित होने वाली इंटरनेट कनेक्टिविटी एवं बिजली कटौती से लेकर हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्शन प्राप्त करने की वित्तीय बाधाएँ और देश में कॉलेज जाने वाले छात्रों के पास डिजिटल साक्षरता की कमी एवं डिजिटल उपकरणों तक सीमित पहुँच जैसी कई समस्याएँ शामिल हैं।
निष्कर्ष
डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उभार ने टीचिंग-लर्निंग विधियों, विश्वविद्यालय प्रशासन प्रणालियों, उच्च शिक्षा संबंधी लक्ष्यों और भविष्य में स्थापित होने वाले विश्वविद्यालयों के संबंध में एक नए दृष्टिकोण अपनाने का अवसर दिया है।