वर्ष 2021 से UNSC में शुरू हुए भारत के दो वर्ष का कार्यकाल भारत की बहुपक्षीय स्थिति को बढ़ाने और इसके पारंपरिक दृष्टिकोण को फिर से आकार देने की अपार संभावनाएँ प्रदान करता है। टिप्पणी कीजिये। (250 शब्द)
11 Mar, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध
हल करने का दृष्टिकोण:
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बहुपक्षवाद भारतीय विदेश नीति का मुख्य सिद्धांत है। भारत अपनी बहुपक्षीय प्रतिबद्धता के प्रति हमेशा से ही अडिग रहा है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र, ब्रेटनवुड व्यवस्था और विश्व व्यापार संगठन (WTO) में सुधार की मांग करके बहुपक्षवाद को मज़बूती प्रदान करने के लिये लगातार प्रयास किया है। इसने पेरिस समझौते में शामिल होकर एक महत्त्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को उम्मीद से आगे बढ़कर प्राप्त किया है। भारत का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में 2 वर्ष का कार्यकाल भारत की बहुपक्षीय स्थिति और पारंपरिक दृष्टिकोण को फिर से आकार देने के लिये व्यापक संभावनाएँ प्रस्तुत करने का एक उपयुक्त अवसर है।
भारत के लिये संभावनाएँ:
सुरक्षा परिषद में भारत का एक अस्थायी सदस्य के रूप में चुनाव इसके राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा और नियम आधारित विश्व व्यवस्था के प्रति अपने विश्वास और एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिये अवसरों की अधिकता प्रदान करता है। भारत को सुरक्षा परिषद में अपने आंतरिक मुद्दों का विरोधी राष्ट्रों द्वारा राजनीतिकरण किये जाने के कारण नुकसान भी उठाना पड़ा है। अत: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इसकी उपस्थिति से विरोधी राष्ट्रों के इस तरह के प्रयासों का कूटनीतिक तरीके से अधिक प्रभावी रूप में सामना किया जा सकेगा।