लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    विश्व की प्रमुख पर्वत श्रृंखलाओं के संरेखण का संक्षेप में उल्लेख कीजिये तथा उनके स्थानीय मौसम पर पड़े प्रभावों का सोदाहरण वर्णन कीजिये। (250 शब्द)

    07 Mar, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण :

    • पर्वत श्रृंखलाओं और इसकी विशेषताओं को संक्षेप में परिभाषित कीजिये।
    • विश्व की पर्वत श्रृंखलाओं के संरेखण का उल्लेख करते हुए एक विश्व मानचित्र बनाइये
    • विश्व की कुछ महत्त्वपूर्ण पर्वत श्रृंखलाओं और स्थानीय मौसम एवं जलवायु पर इसके प्रभाव का उल्लेख कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    एक ही काल में निर्मित विभिन्न पर्वतों के निश्चित क्रम को पर्वत श्रृंखला कहा जाता है। विश्व की प्रमुख पर्वत श्रृंखलाओं के संरेखण एवं स्थानीय मौसम पर पड़ने वाले उनके प्रभावों को निम्नांकित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:

    हिमालय

    • हिमालय एक चाप के आकार में पश्चिम से पूर्व की ओर फैला हुआ है। भारतीय प्लेट के यूरेशियन प्लेट से टकराने पर हिमालय की उत्पत्ति हुई है। इसका पश्चिमी भाग पूर्वी भाग की तुलना में अधिक चौड़ा है।
    • मानसूनी पवनों के अवरोधक के रूप में कार्य कर दक्षिण की ओर वर्षा कराता है, जबकि उत्तर की ओर वृष्टि छाया प्रदेश का निर्माण ठंडे मरुस्थलों; जैसे - लद्दाख, तकलामकान आदि के निर्माण में सहायता प्रदान करता है।
    • यह साइबेरिया की शीत लहरों से भारतीय उपमहाद्वीप की रक्षा करता है तथा भारतीय जलवायु को समग्रता में उष्णकटिबंधीय स्वरूप प्रदान करने में सहायक है।
    • हिमालय का उच्च एल्बिडो भारतीय उपमहाद्वीप के ऊष्मा बजट को निर्धारित करता है। जेट स्ट्रीम को नियंत्रित कर पश्चिमी विक्षोभ के माध्यम से वर्षा कराता है, जो गेहूँ की फसल के लिये लाभकारी एवं उत्तर भारत में शीत लहर के लिये उत्तरदायी होती है।

    आल्प्स:

    • अफ्रीकी एवं यूरेशियन प्लेट के टकराने से इस वलित पर्वत श्रृंखला का निर्माण हुआ। यह यूरोप की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला है। यह पश्चिम से पूर्व की ओर विस्तृत है।
    • यह श्रेणी दक्षिणी यूरोप एवं यूरेशिया क्षेत्र में वर्षण प्रतिरूप को प्रभावित करती है।
    • यह पर्वत श्रेणी पवनों के संचरण को भी प्रभावित करती है। वस्तुतः जब फॉन पवन में पर्वत से नीचे शुष्क एवं गर्म हवा के रूप उतरती है तो हिम को पिघला देती है, जिससे चरागाह पशुओं के चरने योग्य बन जाते और अंगूरों को शीघ्र पकने में सहायता भी मिलती है।

    एंडीज़:

    • एंडीज़ पर्वत श्रृंखला विश्व की सबसे लंबी महाद्वीपीय पर्वत श्रेणी है, जो दक्षिणी प्रशांत महासागर के समानांतर दक्षिण अमेरिका महाद्वीप में उत्तर से दक्षिण की ओर फैली हुई है।
    • यह श्रृंखला व्यापारिक एवं पछुवा पवनों को रोककर क्रमश : अपने उत्तरी, पूर्वी तथा दक्षिण - पश्चिम के पवनामुखी ढाल में वर्षा अकराती है।
    • वृष्टि छाया प्रदेश का निर्माण कर श्रृंखला अटाकामा मरुस्थल के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
    • एंडीज श्रृंखला के दक्षिणी छोर के पूर्वी ढाल से उतरने वाली गर्म व शुष्क पवन जोन्डा हिम को पिघलाकर पपास के मैदानों के निर्माण महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

    रॉकीज़

    • उत्तर - दक्षिण की ओर उत्तरी प्रशांत महासागर के समानांतर विस्तृत यह श्रेणी उत्तर अमेरिका महाद्वीप की सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखला है।
    • प्रशांत महासागर से आने वाली पवनें पवनामुखी ढाल पर वर्षा करती हैं, जबकि पवनाविमुख क्षेत्र पर मरुस्थल निर्माण की दशाएँ बनती हैं जैसे - ग्रेट बेसिन मरुस्थल | रॉकीज़ श्रृंखला के पूर्वी ढालों के सहारे उतरने वाली गर्म व शुष्क पवन चिनूक पशुओं के लिये लाभदायक होती। वस्तुतः इसके आगमन से चरागाह बर्फमुक्त हो जाते हैं।

    उपर्युक्त पर्वत श्रृंखलाओं के अतिरिक्त एटलस, अप्लेशियन, यूराल, पश्चिमी घाट, ग्रेट डिवाइडिंग रेंज जैसी कई अन्य श्रृंखलाएँ भी हैं, जिनका संरेखण दक्षिण - पश्चिम से उत्तर - पूर्व, उत्तर से दक्षिण की ओर या अन्य दिशाओं में देखने को मिलता है।

    पर्वतीय श्रृंखलाएँ स्थानीय मौसम के साथ-साथ वैश्विक जलवायु एवं लोगों की जीवन-शैली को भी प्रभावित करती हैं। हरेक पर्वत श्रृंखला विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ एवं जैव विविधता प्रचुरता में विद्यमान रहती है। इसीलिये जैव विविधता से युक्त पर्वतीय पर्यावरण का संरक्षण बहुत ज़रूरी है। FAO की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व की लगभग 15 प्रतिशत जनसंख्या पर्वतीय क्षेत्र में रहती है। अतः पर्वतीय क्षेत्र का संरक्षण सांस्कृतिक एवं आर्थिक स्तर पर भी अत्यावश्यक है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2