- फ़िल्टर करें :
- भूगोल
- इतिहास
- संस्कृति
- भारतीय समाज
-
प्रश्न :
मुख्यधारा के ज्ञान और सांस्कृतिक प्रणालियों की तुलना में आदिवासी ज्ञान प्रणालियों की विशिष्टता की जाँच कीजिये। (150 शब्द)
28 Feb, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाजउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण :
- आदिवासी ज्ञान प्रणाली को समझाते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- आदिवासी ज्ञान कैसे अद्वितीय है और मुख्यधारा के ज्ञान से अलग है, यह भी समझाइये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
परिचय
भारत ही नहीं दुनिया भर में जनजातियों (आदिवासियों) के विशिष्ट ज्ञान और सांस्कृतिक प्रणालियाँ हैं । जनजातियों ने अपने ज्ञान और सांस्कृतिक अनुभव की विशिष्ट समझ को संरक्षित किया है , जो उन्हें विभिन्न परिस्थितियों में मानव, मानवेतर और अन्य विषयों के संबंध में मार्गदर्शन प्रदान करने में सहायता करता है।
जनजातीय ज्ञान और संस्कृति की विशिष्टता
- मुख्यधारा की ज्ञान प्रणालियाँ औपचारिक शिक्षा और सामाजिक व्यवस्था जैसी बाधाओं से बंधी हुई हैं, जबकि जनजातीय ज्ञान प्रणाली समावेशी और समानता के सिद्धांत पर आधारित है।
- मुख्यधारा के ज्ञान से संबंधित साक्ष्य पुस्तकों, पांडुलिपियों और वास्तुकला से प्राप्त होते हैं, जबकि जनजातीय ज्ञान के साक्ष्य परंपरागत लोकगीत, नृत्य, चित्रकारी आदि में देखे सकते हैं।
- मुख्यधारा के समाज में बिखराव दिखाई पड़ता है तथा यह सामाजिक और आर्थिक आधार पर अत्यधिक विभाजित है, जबकि जनजातियों में अपनी जनजाति के प्रति अपनेपन और सहयोग की भावना होती है। जनजातियों की संस्कृति में अपने समुदाय के प्रति तो सहयोग का भाव है किंतु जनजाति से इतर लोगों के प्रति असुरक्षा का भाव है; जैसे- अंडमान की सेंटिनली जनजाति।
- मुख्यधारा का ज्ञान बीमारियों को ठीक करने के लिये आधुनिक दवाओं और तकनीकों का उपयोग करता है, जबकि जनजातियों की ज्ञान परंपरा में सदियों से बीमारियों से लड़ने के लिये पौधों और पारंपरिक औषधियों का उपयोग किया जाता है। उदाहरण हेतु त्वचा संबंधी रोग के उपचार के लिये एलोवेरा का उपयोग।
- मुख्यधारा में पर्यावरण संरक्षण, अनुसंधान तथा वैज्ञानिक साक्ष्य पर आधारित है, जिसके क्रियान्वयन हेतु पेरिस अभिसमय जैसे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग किये जा रहे हैं, जबकि जनजातियों के लिये प्रकृति संस्कृति और आस्था का विषय है। जैसे- असम की तिवा जनजाति की परंपरा और संस्कृति प्रकृति के साथ घनिष्ठ संबंध में रहने की रही है।
जनजातियों के पास पारंपरिक ज्ञान और संस्कृति की अकूत संपदा है, जिसे मुख्यधारा से संवाद और समन्वय स्थापित करके न केवल संरक्षित किया जा सकता है, अपितु मानव कल्याण और समावेशी विकास को भी बढ़ावा दिया जा सकता है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print