वायु प्रदूषण एक सीमापारीय समस्या है, यह ग्रामीण और शहरी सीमाओं का अतिक्रमण करता है। लेकिन ग्रामीण भारत में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर शायद ही कभी चर्चा होती है और इसकी कार्य योजनाएँ अनम्य होती हैं। विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों की चर्चा कीजिये।
- मुद्दे को संबोधित करने के लिये संबंधित चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- शमन रणनीतियों की चर्चा करते हुए निष्कर्ष लिखिये।
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भारत में वायु प्रदूषण को आमतौर पर शहरों की समस्या के रूप में माना जाता है तथा इसके समाधान के उपायों को काफी हद तक शहरों की समस्या के अनुरूप ही तैयार किया गया है। खराब हवा के उपशमन की पहल ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से अनुपस्थित है। वायु प्रदूषण एक सीमापारीय समस्या है तथा सभी राज्यों एवं ज़िलों में एयरशेड्स का विस्तार, ग्रामीण और शहरी सीमाओं का अतिक्रमण करता है। लेकिन इसकी चर्चा कम ही होती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के स्रोत:
- इनडोर वायु प्रदूषण ग्रामीण आबादी को शहरी आबादी की तुलना में सबसे गंभीर रूप से प्रभावित करता है। ग्रामीण परिवारों में ठोस ईंधन का उपयोग जारी है जो महिलाओं और बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
- वर्तमान में अधिकांश भारी उद्योग शहरी सीमाओं से परे ग्रामीण पेटी में कार्य कर रहे हैं, परिणामत: स्थानीय आबादी इससे निकलने वाली ज़हरीली हवा और प्रवाहित गंदे जल का शिकार हो रही है।
- दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरन्मेंट के अध्ययन के अनुसार, पावर प्लांट जिनमें से कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, नियमों का सही से अनुपालन नहीं कर रहे हैं।
- द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट की राष्ट्रीय वायु प्रदूषण सूची के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में कृषि अवशेषों को जलाने से यह कुल PM2.5 उत्सर्जन में लगभग सात प्रतिशत का योगदान देता है।
- भारत में कृषि, प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन का एक समृद्ध स्रोत है, क्योंकि नाइट्रोजन का केवल 30 प्रतिशत पौधों द्वारा लिया जाता है। बाकी वातावरण, मिटेी और पानी में निस्तारित हो जाता है।
चुनौतियाँ:
- भारत में राष्ट्रीय परिवेश निगरानी कार्यक्रम और 274 वास्तविक समय निगरानी स्टेशनों के तहत 804 मानव चालित मॉनिटरिंग स्टेशन हैं। इनमें से ज़्यादातर टियर-1 शहरों में स्थित हैं तथा कुछ टियर-2 शहरों में हैं।
- वास्तविक समय निगरानी ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग अनुपस्थित है। इसके अतिरिक्त, अरुणाचल प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा मणिपुर के शहरों में भी वास्तविक समय निगरानी केंद्र अनुपस्थित है।
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, जिसका उद्देश्य गरीबों को बायोमास ऊर्जा (जलावन लकड़ी) की जगह साफ-सुथरी एलपीजी के उपयोग के लिये प्रेरित करना है, एलपीजी की उच्च लागत के कारण संभव नहीं हो पा रहा है। साथ ही, उन घरों में भी जहाँ एलपीजी का उपयोग किया जाता है, एलपीजी के साथ-साथ बायोमास ईंधन का उपयोग करना सामान्य है।
- ग्रामीण भारत के अनुभवजन्य साक्ष्य से पता चलता है कि ऊर्जा सोपान की यह परिकल्पना कि ग्रामीण क्षेत्रों में आय बढ़ने के साथ ही वे आधुनिक ऊर्जा स्रोतों की ओर उन्मुख होते हैं, अक्सर सच नहीं होती है।
शमन की रणनीतियाँ:
- ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल करने के लिये निगरानी नेटवर्क का विस्तार किया जाना चाहिये।
- मौजूदा उत्सर्जन मानदंडों के उल्लंघन को संबोधित करने के लिये एक रोडमैप तैयार किया जाना चाहिये।
- ग्रामीण महिलाओं को स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन के उपयोग के फायदों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिये।