प्रश्न. सिद्धांत और उसका परिवार उसके विवाह समारोह को लेकर बेहद उत्साहित थे, क्योंकि बहुत लंबे समय के बाद उनके परिवार में कोई विवाह हो रहा था। लेकिन जैसे ही सिद्धांत विवाह स्थल पर पहुँचा, उसने देखा कि वधु पक्ष द्वारा बुलाए गए बैंड में कई बाल मज़दूर शामिल थे। उत्साहित सिद्धांत अचानक एक अंतर्द्वंद्व झेलते सिद्धांत में बदल गया, क्योंकि एक श्रम आयुक्त होने के नाते यह उसका कर्तव्य था कि वह विधि के इस उल्लंघन को रोके। उसने इस पर मनन किया और एक नए बैंड की व्यवस्था करने, बैंड के मालिक को इस तरह के आचरण में संलग्न होने के लिये नोटिस देने और उसके विरुद्ध मामला दर्ज कराने, जैसे कई विकल्पों पर विचार किया। परंतु सिद्धांत यह सोचते हुए अंतत: विवाह के लिये आगे बढ़ गया कि यह उसके जीवन के सबसे महत्त्वपूर्ण दिन को बर्बाद कर देगा।
(a) क्या सिद्धांत अपने आचरण में सही था?
(b) यदि आप सिद्धांत की जगह होते तो उसके द्वारा विचारित विकल्पों में से आपने किसका चयन किया होता? (250 शब्द)
हल करने का दृष्टिकोण:
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निर्णय का आधार:
(a) इस स्थिति को एक नैतिक दुविधा के रूप में वर्णित किया जा सकता है जिसमें व्यक्तिगत बनाम पेशेवर नैतिकता के बीच संघर्ष की स्थिति है। यहाँ नाबालिग बच्चों के हित भी सवालों के घेरे में हैं जिन्हें विद्यालय जाने के बजाय कार्य/मज़दूरी हेतु बाध्य किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, अपने कर्त्तव्य निर्वहन में चूक के साथ सिद्धांत सरकार द्वारा उसे सौंपी गई भूमिका के निर्वहन में भी असफल रहा।
किसी भी नैतिक दुविधा की स्थिति में कठोर निर्णय लेना नैतिक साहस का विषय है। अर्थात् कठिन परिस्थितियों में भी हम स्वयं की स्वार्थ सिद्धि के बजाय दूसरों के हितों को अधिक महत्त्व देते हैं। बाल मज़दूरी जैसे संवेदनशील मुद्दों पर मज़बूत निर्णय लेना हमारे अपने आनंद से अधिक महत्त्वपूर्ण हैं।
इसके अतिरिक्त, सिद्धांत में दृढ़ विश्वास की कमी थी। वह अपने माता-पिता और वधू के परिवार से बात कर सकता था ताकि किसी और बैंड की व्यवस्था हो सके।
(b) यदि मैं उसकी जगह होता तो बैंड को नोटिस देने के विकल्प को अधिक उपयुक्त समझता; मैं अपनी परिणामनिरपेक्ष नैतिकता (Deontological Ethics) का पालन करता। इससे बाधारहित विवाह का उद्देश्य भी पूरा हो जाता और कानून के लक्ष्य की भी पूर्ति हो जाती।