उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भूस्खलन क्या है और भूस्खलन के सामान्य कारण क्या हैं, यह बताते हुए परिचय दीजिये।
- भूस्खलन से संबंधित कुछ विशिष्ट कारणों पर चर्चा कीजिये जो केवल विशेष क्षेत्र से जुड़े हैं (भूस्खलन की भेद्यता दिखाते हुए भारत का नक्शा बनाया जा सकता है)।
- संक्षेप में आगे की राह बताइये।
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परिचय:
भूस्खलन को सामान्य रूप से शैल, मलबा या ढाल से गिरने वाली मिट्टी के वृहद् संचलन के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह एक प्रकार का वृहद् पैमाने पर अपक्षय है, जिससे गुरुत्वाकर्षण के प्रत्यक्ष प्रभाव में मिट्टी और चट्टान समूह खिसककर ढाल से नीचे गिरते हैं।
भू-स्खलन तीन प्रमुख कारकों के कारण होता है: भू-विज्ञान, भू-आकृति विज्ञान और मानव गतिविधि।
- भू-विज्ञान भू-पदार्थों की विशेषताओं को संदर्भित करता है। पृथ्वी या चट्टान कमज़ोर या खंडित हो सकती है या इसकी अलग-अलग परतों में विभिन्न बल और कठोरता हो सकती है।
- भू-आकृतिक विज्ञान भूमि की संरचना को संदर्भित करता है। उदाहरण के लिये वैसे ढलान जिनकी वनस्पति आग या सूखे की चपेट में आने से नष्ट हो जाती है, भूस्खलन के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
- वनस्पति आवरण में पौधे मृदा को जड़ों से बाँधकर रखते हैं, वृक्षों, झाड़ियों और अन्य पौधों की अनुपस्थिति में भूस्खलन की अधिक संभावना होती है।
- मानव गतिविधि जिसमें कृषि और निर्माण कार्य शामिल हैं, में भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है।
हिमालयी क्षेत्र में भूस्खलन के कारण:
- भू-विज्ञान: हिमालय एक नवीन वलित पर्वत है जो निर्माण की प्रक्रिया से गुज़र रहा है।
- आकृति विज्ञान: हिमालय में खड़ी और तेज़ ढलान है।
- मानवजनित: इनमें झूम की खेती, वनों की कटाई आदि शामिल हैं, जिससे भूस्खलन होता है।
पश्चिमी घाट में भूस्खलन के कारण:
- भू-विज्ञान: ये कारक यहाँ बहुत कम भूमिका निभाते हैं क्योंकि पश्चिमी घाट सबसे स्थिर भूभागों में से एक है।
- मानवजनित: भारी खनन गतिविधियाँ, बस्तियों एवं सड़क निर्माण के लिये वनों की कटाई तथा पवनचक्की परियोजनाओं ने पहाड़ों पर संरचनाओं को अस्थिर कर दिया है।
निष्कर्ष:
भू-स्खलन के शमन के लिये निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं -
- भूस्खलन की संभावना वाले क्षेत्रों में निर्माण और अन्य विकासात्मक गतिविधियों जैसे- सड़कों और बाँधों के निर्माण पर प्रतिबंध।
- कृषि को घाटियों और मध्यम ढलान वाले क्षेत्रों तक सीमित करना।
- बड़े पैमाने पर वनीकरण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना और पानी के प्रवाह को कम करने के लिये बाँधों का निर्माण करना।
- उत्तर-पूर्वी पहाड़ी राज्यों में टेरेस फार्मिंग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये जहाँ झूमिंग (स्लेश एंड बर्न/शिफ्टिंग कल्टीवेशन) अभी भी प्रचलित है।