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प्रश्न :
प्रश्न. निम्नलिखित उद्धरण का वर्तमान में आपके विचार से क्या अभिप्राय है?
‘‘प्रतिभा और कुछ नहीं बल्कि धैर्य के प्रति एक महान अभिरचि है।’’- बेंजामिन प्रैंकलिन। (150 शब्द)
03 Feb, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- प्रतिभा का अर्थ, धारणाओं व मान्यताओं को बताते हुए उत्तर की शुरआत कीजिये।
- विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित उदाहरण देते हुए उपर्युक्त कथन की पुष्टि कीजिये।
- कथन को प्रशासन एवं नीतियों के क्रियान्वयन से जोड़ते हुए निष्कर्ष दीजिये।
मानव की प्रतिभा को एक असाधारण बौद्धिक क्षमता अथवा रचनात्मक शक्ति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसने विश्व में आधुनिक सुख-सुविधाओं के आविष्कार तथा सर्वाधिक जटिल समस्याओं के समाधान खोजने के साथ ही एक क्रांति लाई है। किंतु, मानव मस्तिष्क की इस क्षमता का वितरण मानव आबादी में असमान है। सामान्यत: प्रतिभा को भाग्य के एक कारक के रूप में स्वीकारा जाता है जबकि मस्तिष्क की प्रतिभा को आकार देने वाले कारकों, जैसे- धैर्य आदि को इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाता।
धैर्य के प्रति अभिरचि चंचल और प्रतिक्रियाशील मानव मस्तिष्क को दृढ़ता एवं समर्पण हेतु प्रेरित करने करने का कार्य करता है। महान राजनीतिक व्यक्तित्वों में से एक श्री अब्राहम लिंकन को अपने शुरुआती राजनीतिक जीवन में लगातार चुनावी हारों का सामना करना पड़ा। यहाँ तक कि उन्हें मानसिक अवसादों का भी सामना करना पड़ा।
सामान्यतया इस प्रकार के झटके किसी को भी राजनीतिक क्षेत्र को छोड़कर जाने हेतु विवश कर सकते हैं, फिर भी उनके धैर्य ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया। अंतत: उन्हें राष्ट्रपति का पद प्राप्त हुआ। वहीं विश्व इतिहास के अन्य उदाहरणों में जहाँ द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश खुफिया विभाग को नाजी खुफिया सूचनाओं को समझने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। यह कार्य तब तक असंभव प्रतीत हो रहा था, जब तक विलक्षण प्रतिभा के धनी एलन ट्यूरिंग ने एक मशीन को डिज़ाइन नहीं कर लिया, जिसकी सहायता ने इन गुप्त कोडों को क्रैक किया गया, जिसने द्वितीय विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सेना को बढ़त दिलाई।
केवल व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि सांगठनिक स्तर पर भी प्रतिभा विकास के लिये एक सामूहिक अभिरुचि की आवश्यकता होती है। यदि संगठन के सदस्यों में धैर्य और क्रियान्वयन में समर्पण की कमी है तो वहाँ एक योजना कल्पना मात्र बनकर ही रह जाती है। वर्ष 1993 में यू.एस.एस.आर. ने मिलिट्री टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एम.टी.सी.आर.) के तहत अमेरिकी दबाव के कारण भारत को क्रायोजेनिक तकनीकी देने से मना कर दिया था, किंतु इसरो ने अपने बेहतरीन प्रतिभा के धनी वैज्ञानिकों के साथ निरंतर सत्रह वर्षों तक कार्य किया और स्वदेशी क्रायोजेनिक तकनीकी का विकास किया, किंतु यदि उनमें धैर्य के अभाव रहता तो वे कभी भी अपने मिशन में सफल नहीं हो सकते थे।
इसी प्रकार लोक सेवा और प्रशासन के क्षेत्र में नीतियों के निर्माण व क्रियान्वयन में हमेशा दृढ़ता तथा धैर्य की आवश्यकता होती है। एक अधिकारी ज्ञानी और विद्वान होते हुए भी प्रशासन की जटिलताओं के सम्मुख अपना धैर्य खो सकता है। इस प्रकार धैर्य की अभिरुचि का होना किसी भी संगठन और जीवन के विविध क्षेत्रों में सरलता लाने हेतु अनिवार्य है।
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