प्रश्न. चर्चा कीजिये कि कैसे नागरिक घोषणा पत्र यह सुनिश्चित करता है कि जनता की शक्ति, सत्ता में बैठे लोगों के अपेक्षाकृत अधिक मज़बूत बनी रहे। नागरिक घोषणा पत्र की भावना को साकार करने के मार्ग में मौजूद चुनौतियों का भी उल्लेख कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- उत्तर की शुरुआत नागरिक घोषणा पत्र पद को परिभाषित करते हुए कीजिये।
- र्चा कीजिये कि यह कैसे लोगों को सशक्त बनाता है और सत्ता में बैठे लोगों की जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
- गरिक घोषणा पत्र की भावना को साकार करने में कुछ चुनौतियों को बताइये।
- इन चुनौतियों से निपटने के लिये सुझाव देते हुए निष्कर्ष लिखिये।
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नागरिक घोषणा पत्र एक दस्तावेज़ है जो सेवा मानकों, सूचना, विकल्प व परामर्श, भेदभाव रहित और सुगम्यता, शिकायत निवारण, शालीनता और पैसे के मूल्य के संबंध में अपने नागरिकों के प्रति संस्था की प्रतिबद्धता पर ध्यान केंद्रित करने के लिये एक व्यवस्थित प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें संस्था की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिये नागरिक से संस्था की अपेक्षाएँ भी शामिल हैं।
वर्ष 1991 में इस अवधारणा को पहली बार जॉन मेजर की रूढ़िवादी सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में यूनाइटेड किंगडम में व्यक्त और कार्यान्वित किया गया था। नागरिक घोषणा पत्र का मूल उद्देश्य सार्वजनिक सेवा वितरण के संबंध में नागरिकों को सशक्त बनाना है।
नागरिक घोषणा पत्र यह सुनिश्चित करता है कि लोगों की शक्ति सत्ता में शामिल लोगों के अपेक्षाकृत अधिक मज़बूत बनी रहे:
- यह एक सार्वजनिक संस्थान को पारदर्शी और जवाबदेह बनाता है। यह शासन प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी तथा सरकार की विश्वसनीयता को बढ़ाता है।
- नागरिक घोषणा पत्र कुप्रशासन के कार्यविधियों के लिये एक निवारक के रूप में कार्य करता है। यह सरकार को अधिक संवेदनशील बनाता है तथा नागरिक समाज को संलग्न करने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिये एक प्रभावी उपकरण के रूप में कार्य करता है।
- उपभोक्ता संगठनों, नागरिक समूहों तथा अन्य हितधारकों की भागीदारी में नागरिक घोषणा पत्र के सूत्रीकरण पर जोर दिया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं और सेवा वितरण के मानकों में वृद्धि करते हैं।
- नागरिक घोषणा पत्र, नागरिकों की शिकायतों के निवारण हेतु प्रभावी प्रणाली प्रदान करके प्रशासन और राजनीतिक अधिकारियों में लोगों के विश्वास को पुन: प्राप्त करने में सहायता प्रदान करता है। भारतीय लोकतंत्र की सफलता के लिये प्रशासन पर विश्वास एवं संतुष्टि अत्यधिक आवश्यक है।
नागरिक घोषणा पत्र की भावना को साकार करने में शामिल चुनौतियाँ:
- घोषणा पत्र को विधायी समर्थन प्रदान करने की अनुपस्थिति: नागरिक घोषणा पत्र विधायी रूप से लागू करने योग्य नहीं है तथा अत: न्यायालय में न्यायोजित नहीं है।
- सहभागी तंत्र विहीन व्यवस्था: अधिकांश मामलों में अंतिम उपयोगकर्त्ता, सिविल सोसाइटी, एन.जी.ओ. आदि से घोषणा पत्र तैयार करते समय परामर्श नहीं लिया जाता है।
- अपर्याप्त प्रणाली और सामग्री: सार्थक और संक्षिप्त नागरिक घोषणा पत्र का अभाव, महत्त्वपूर्ण सूचनाओं की अनुपस्थिति जो कि अंतिम उपयोगकर्ताओं को एजेंसियों को जवाबदेह बनाये रखने की आवश्यकता है।
- जन जागरूकता का अभाव: वितरण मानकों के संबंध में जनता को बताने तथा शिक्षित करने के प्रभावी प्रयासों के बाद भी केवल कुछ अंतिम उपयोगकर्ता नागरिक घोषणा पत्र के बारे में जानते हैं।
- घोषणा पत्र को कदाचित ही कभी अपडेट किया जाता है: नागरिक घोषणा पत्र की समीक्षा एवं अद्यतनीकरण प्रक्रिया कदाचित ही कभी की जाती है, जो इसे केवल एक बार की प्रक्रिया के रूप में संदर्भित करता है।
सुझाव:
- नागरिक घोषणा पत्र को संगठन के घोषणा पत्र के समग्र छत्र के अंतर्गत अपना नागरिक घोषणा पत्र तैयार करने वाली प्रत्येक स्वतंत्र इकाई के साथ विकेंद्रीकृत पद्धति के आधार पर तैयार किया जाना चाहिये।
- नागरिक घोषणा पत्र तैयार करते समय नागरिक समाज के साथ सार्थक वार्त्ता के बाद संगठन के अंतर्गत व्यापक विचार-विमर्श होना चाहिये।
- नागरिक घोषणा पत्र का आवधिक मूल्यांकन, प्रभावी शिकायत निवारण तथा अंतिम-उपयोगकर्त्ता फीडबैक तंत्र होना चाहिये।
- इसके अतिरिक्त उत्कृष्ट अभ्यास मॉडल जैसे कि सेवोत्तम मॉडल (एक सेवा वितरण उत्कृष्टता मॉडल) से नागरिक घोषणा पत्र को अधिक प्रभावी एवं नागरिक-केंद्रित बनने में सहायता मिल सकती है।