यदि भारत औपनिवेशिक शासन के दौर से नहीं गुजरा होता, तो भारतीय समाज ने अपनी मध्यकालीन जड़ता को तोड़कर आधुनिक काल में प्रवेश नहीं किया होता। इस कथन का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- मध्यकालीन भारत पर औपनिवेशिक शासन का सकारात्मक प्रभाव दर्शाएँ।
- औपनिवेशिक शासन के वास्तविक उद्देश्यों को लिखें।
- अंततः औपनिवेशिक शासन के नकारात्मक प्रभाव बताते हुए उत्तर समाप्त करें।
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भारत लगभग 200 वर्ष तक औपनिवेशिक सत्ता के अधीन रहा है। औपनिवेशिक शासन के कई सकारात्मक एवं नकारात्मक परिणाम रहे, उनमें से सबसे प्रमुख है, आधुनिक भारत का उदय।
- राजनीतिक एकीकरणः भारत औपनिवेशिक सत्ता की स्थापना के पूर्व केवल भौगोलिक इकाई था, परंतु औपनिवेशिक सत्ता के अंतर्गत इसका एकीकरण हुआ और भारत एक राजनीतिक इकाई भी बना।
- शासन प्रणाली का विकासः भारत में पूर्व में राजतंत्रात्मक शासन था, परंतु ब्रिटिश राज में कानून का शासन स्थापित किया गया। शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिये पुलिस, राजस्व एवं न्यायपालिका जैसे संस्थानों का विकास हुआ जो आधुनिक राष्ट्र के अभिन्न अंग होते हैं।
- सामाजिक उत्थानः अंग्रेजों ने कई अधिनियम पारित करके विभिन्न सामाजिक बुराइयों, जैसे- सती प्रथा, बाल विवाह नरबलि इत्यादि पर लगाम लगाई। वहीं दूसरी ओर स्त्री शिक्षा तथा विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहन दिया।
- आधुनिक शिक्षा एवं मध्यम वर्ग का उदयः पाश्चात्य शिक्षा के प्रसार से उदार विचारों का प्रादुर्भाव तथा एक नए शिक्षित वर्ग का उदय हुआ जो कि शासन कार्य एवं राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने में सक्षम थे।
- संपर्क एवं संचार तंत्र का विकासः औपनिवेशिक शासन के दौरान भारत में सड़कों, रेलमार्गों एवं पुलों का निर्माण हुआ, जिसके कारण लंबी यात्रएँ संभव हुईं तथा विभिन्न क्षेत्रों के लोग एक-दूसरे के संपर्क में आए। डाक-सेवा, टेलीग्राफ एवं समाचार-पत्र के द्वारा सूचना का आदान-प्रदान सुगम हो गया।
- औद्योगीकरणः लौह इस्पात, सूती वस्त्र, जूट एवं चीनी जैसे आधुनिक उद्योगों की स्थापना की गई।
परंतु औपनिवेशिक सत्ता द्वारा किये गए ये सुधार जनकल्याण या आधुनिक भारत के निर्माण की भावना से प्रेरित नहीं थे बल्कि इनका उद्देश्य भारतीय संसाधनों का अधिक से अधिक दोहन करना तथा भारत में औपनिवेशिक सत्ता को सुदृढ़ करना था।
औपनिवेशिक सत्ता की स्थापना के समय भारत एक संपन्न राष्ट्र था, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भारत का हिस्सा किसी भी अन्य देश से अधिक था। राजनीतिक एकता और मजबूत सैन्यशक्ति के अभाव में यह कहना गलत होगा कि आधुनिक भारत का निर्माण औपनिवेशिक सत्ता के बगैर संभव नहीं था। इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहाँ बिना किसी औपनिवेशिक शासन के आधुनिक राष्ट्रों का उदय हुआ है। इटली तथा जर्मनी बिना औपनिवेशिक सत्ता के एकीकृत हुए। जापान भी कभी उपनिवेश नहीं रहा परंतु वहाँ भी राष्ट्रवाद का उदय हुआ तथा आधुनिक सशक्त राज्य बना। अतः आधुनिक राष्ट्र के उदय के लिये केवल औपनिवेशिक शासन को सही ठहराना उचित नहीं है।