अमृत देश के एक वाणिज्यिक क्षेत्र में राजस्व अधिकारी के रूप में पदस्थ है। अपने पेशेवर जीवन में उसका रिकॉर्ड बेदाग रहा है। हालाँकि ईमानदारी के नकाब के पीछे वह एक बेईमान व्यक्ति है जो कि भ्रष्टाचार के कई मामलों में शामिल रहा है। वह व्यापारियों के कर अनुपालन संबंधी अनियमितताओं का पता लगाकर, उनके निपटान हेतु बाद में उन पर दबाव बनाता है। उसके संगठन में यह एक प्रचलित तकनीक है और इसमें संगठन के प्रमुख पदानुक्रमिक अधिकारी भी शामिल हैं। ऐसे ही एक केस जिसमें वह सम्मिलित था उसमें पीड़ित, जो कि एक बड़ी रेस्तरां शृंखला का मालिक था ने आत्महत्या कर ली। उसने सुसाइड नोट में अपने व्यक्तिगत कारणों के साथ-साथ कर अधिकारियों को भी अपनी आत्महत्या के लिये ज़िम्मेदार ठहराया है। उसके सुसाइड नोट को पढ़ने और उसके व्यक्तिगत जीवन का मीडिया में कवरेज होने से घटना का उक्त अधिकारी के ऊपर गहरा प्रभाव पड़ा है। अब उसमें स्वयं के प्रति घृणा भाव विकसित हो गया है और वह अपने पिछले कृत्यों के कारण अवसादग्रस्त है। आप भी उसी विभाग में कार्यरत हैं और उसके उच्चस्थ तथा घनिष्ठ मित्र भी हैं। एक दिन वह अपने पिछले कृत्यों को स्वीकार करते हुए इस स्थिति से निपटने हेतु आपसे सहायता के लिये अनुरोध करता है।
एक एक उच्चस्थ अधिकारी और घनिष्ठ मित्र होने के नाते इस मामले में आप अमृत को क्या सलाह देंगे? (250 शब्द)
21 Jan, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
हल करने का दृष्टिकोण:
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प्रमुख हितधारक:
ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल के अनुसार भ्रष्टाचार को ‘निजी लाभ के लिये सत्ता के दुरुपयोग’ के रूप में परिभाषित किया गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार भ्रष्टाचार विभिन्न रूपों एवं डिक्रियो में होता है अर्थात् उपयोग के प्रभाव के अनुसार भ्रष्टाचार का संस्थागत स्वरूप न केवल वित्तीय बल्कि गैर-वित्तीय लाभ भी हो सकता है। भ्रष्टाचार तीन रूपों, यथा-राजनीतिक, प्रशासनिक व व्यावसायिक के रूप में हो सकता है।
उपर्युक्त केस स्टडी में भ्रष्टाचार का प्रशासनिक स्वरूप विद्यमान है जिसमें उच्च अधिकारी, राजस्व अधिकारी, पुलिस अधिकारी, क्लर्क एवं चपरासी आदि शामिल हैं।
उपर्युक्त केस स्टडी में निम्नलिखित नैतिक मुद्दे निहित हैं-
मैं अपने मित्र व अधीनस्थ अधिकारी को निम्नलिखित सुझाव दूंगा/दूंगी-
यद्यपि अपनी गलती की स्वीकारोक्ति एवं उसके परिणामों को भुगतने हेतु तैयार रहना अत्यधिक साहस का कार्य है फिर भी मैं अपने मित्र अमृत को सलाह दूंगा कि वह विभागीय जाँच प्रक्रिया से गुज़रे और उसके परिणामों के लिये तैयार रहे, यही नैतिक और कानूनी रूप से उचित है। वस्तुत: अपने करीबी मित्र को ऐसी सलाह देना पहली बार में कठोर लग सकता है। उसका परिवार भी इस घटना से प्रभावित हो सकता है किंतु दीर्घकाल में यह कदम उसके परिवार, संगठन एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश देगा। अन्य भ्रष्ट अधिकारी भी इस मार्ग का चयन कर सकते हैं और अपना जीवन गरिमा के साथ जी सकते हैं।