उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- पर्यावरण प्रभाव के आकलन (ई.आई.ए.) की अवधारणा के बारे में संक्षेप में बताइये।
- मूलभूत घटकों अथवा ई.आई.ए. की प्रक्रिया की चर्चा कीजिये।
- रणनीतिक पर्यावरण प्रभाव आकलन के महत्त्व को संक्षेप में बताइये।
- इस संबंध में संक्षेप में अपना निष्कर्ष दीजिये।
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यू.एन.ई.पी. द्वारा पर्यावरण प्रभाव आकलन को निर्णय लेने से पूर्व किसी परियोजना के पर्यावरणीय, सामाजिक व आर्थिक प्रभावों को चिह्नित करने हेतु प्रयुक्त उपकरण अथवा साधन के रूप में परिभाषित किया है। परियोजना संबंधी योजना और डिज़ाइन के प्रारंभिक चरण में पर्यावरणीय प्रभावों को बताना, प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के साधन खोजना, स्थानीय पर्यावरण के अनुरूप परियोजनाओं को आकार देना और निर्णयकर्ताओं के लिये पूर्वानुमान और विकल्पों को प्रस्तुत करना आदि इसके प्रमुख उद्देश्य हैं।
ई.आई.ए. के निष्पादन में विविध चरण शामिल हैं:
- परीक्षण व जाँच (स्क्रीनिंग): यह निर्धारित करने के लिये कि परियोजना विकास के लिये पूर्ण या आंशिक प्रभाव मूल्यांकन करने की आवश्यकता है या नहीं। यह परीक्षण मानदंड, निवेश के पैमाने, विकास के प्रकार और विकास के स्थान पर आधारित होता है।
- प्रयोजन (स्कोपिंग): यह पहचानने के लिये कि कौन से क्षेत्र संभावित प्रभाव आकलन के लिये प्रासंगिक हैं (विधायी आवश्यकताओं, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों, विशेषज्ञ ज्ञान और सार्वजनिक भागीदारी के आधार पर)।
- जैव-विविधता पर प्रतिकूल प्रभावों से बचने, उन्हें कम करने या क्षतिपूर्ति करने वाले वैकल्पिक समाधानों की पहचान करने के लिये: जैसे कि वैकल्पिक डिज़ाइन या साइटें ढूंढना, जो प्रतिकूल प्रभावों से बचाते हैं, परियोजना की डिज़ाइन में सुरक्षा उपायों को शामिल करना या प्रतिकूल प्रभावों के लिये क्षतिपूर्ति प्रदान करना आदि।
- विकल्पों के व्यापक विस्तार सहित प्रस्तावित परियोजना: विकास के संभावित पर्यावरणीय प्रभावों का पूर्वानुमान और पहचान करने के लिये प्रभावों और विकल्पों के विकास का मूल्यांकन।
- रिपोर्टिंग: पर्यावरण प्रबंधन योजना (ई.एम.पी.) सहित पर्यावरणीय प्रभाव विवरण (ई.आई.एस.) या ई.आई.ए. रिपोर्ट और सामान्य प्रभावितों के लिये एक गैर-तकनीकी सारांश।
- रिव्यू: पर्यावरणीय प्रभाव विवरण (ई.आई.एस.) की समीक्षा, संदर्भ और सार्वजनिक भागीदारी (प्राधिकरण सहित) की शर्तों पर आधारित है।
- निर्णयन: परियोजना को मंज़ूरी देना है अथवा नहीं और किन शर्तों के अधीन निर्णय लिया जाना है।
- निगरानी (मॉनिटरिंग), अनुपालन, प्रवर्तन और पर्यावरण अंकेक्षण: इस बात की जाँच करने के लिये कि क्या अनुमानित प्रभाव व प्रस्तावित उपशमन संबंधी उपाय ई.एम.पी. में परिभाषित किये गए नियम के अनुसार हैं।
रणनीतिक पर्यावरण आकलन (एस.ई.ए.):
इसे रणनीतिक प्रभाव मूल्यांकन के रूप में भी जाना जाता है, इसे प्रस्तावित नीतियों, योजनाओं या कार्यक्रमों के पर्यावरणीय परिणामों की पहचान और मूल्यांकन करने की औपचारिक, व्यवस्थित और व्यापक प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया गया है, ताकि आर्थिक-सामाजिक विचारों के साथ सुचारु व व्यवस्थित रूप में उनका समग्र समाधान किया जा सके।
एस.ई.ए. का महत्त्व:
- एस.ई.ए. को रणनीतिक स्तर पर लागू किया जाता है और यह व्यापक पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक प्रभावों पर विचार करता है।
- ई.आई.ए. की तुलना में अधिक सक्रिय होने के साथ ही एस.ई.ए. को शीघ्र लागू किया जाता है और इसमें सभी हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है।
- यह गतिविधियों की एक विस्तृत शृंखला है, जो एक व्यापक क्षेत्र को कवर करता है और बहुधा परियोजनाओं के ई.आई.ए. की तुलना में अधिक समय तक होता है।
- इसे पूरे क्षेत्र पर लागू किया जा सकता है, उदाहरण के लिये ऊर्जा पर राष्ट्रीय नीति या भौगोलिक क्षेत्र, क्षेत्रीय विकास योजना के संदर्भ में।
पर्यावरण प्रभाव आकलन (ई.आई.ए.) एक परियोजना के विकास के पर्यावरणीय परिणामों का पूर्वानुमान करने की एक प्रक्रिया है। ई.आई.ए. के माध्यम से परियोजना का मूल्यांकन करके हम प्रत्येक योजना के पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन कर सकते हैं और उस योजना का चयन कर सकते हैं, जो हमारी आवश्यकताओं के सबसे अनुरूप है। ई.आई.ए. का उपयोग करके पर्यावरणीय और आर्थिक दोनों प्रकार के लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं, जैसे कि परियोजना कार्यान्वयन और डिज़ाइन की कम लागत और समय की बचत उपचार/साफ-सफाई की लागत और कानूनों और नियमों के प्रभावों से बचा जा सकता है।