उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- समाज पर सोशल मीडिया के प्रभाव के संदर्भ में चर्चा के साथ भूमिका लिखिये।
- स्पष्ट कीजिये कि सोशल मीडिया किस प्रकार राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा है?
- राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने हेतु प्रयासों की चर्चा कीजिये।
- भविष्योन्मुखी सुझावों के साथ निष्कर्ष लिखिये।
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सोशल मीडिया को किसी वेब या मोबाइल आधारित प्लेटफॉर्म के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो किसी व्यक्ति या संस्था को परस्पर संवाद करने और उपयोगकर्त्ताओं को सूचनाओं का आदान-प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
जुड़ाव, सहभागिता और समुदाय को सोशल मीडिया की प्रमुख विशेषताओं के रूप में पहचाना जा सकता है। मिस्र, लीबिया और ट्यूनीशिया की घटनाओं के विशेष संदर्भ में विश्व के हाल के घटनाक्रमों में सोशल नेटवर्किंग साइटों की बड़ी भूमिका रही है। सोशल नेटवर्किंग साईट प्रभावी, सशक्त और कुछ हद तक लोकतांत्रिक माध्यम है।
आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों में सोशल नेटवर्किंग साइटों की भूमिका:
- सोशल नेटवर्किंग साइटों का प्रयोग घृणा फैलाने वाले भाषण प्रसारित करने, युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों में भर्ती करने के लिये किया जा रहा है।
- राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा के लिये सबसे बड़ी चुनौती सोशल नेटवर्किंग साइटों के माध्यम से साइबर आतंकवाद है। इसके अंतर्गत कंप्यूटर व संचार साधनों का उपयोग महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय अवसंरचना को नुकसान पहुँचाने के लिये किया जा रहा है।
- सोशल नेटवर्किंग साइटें वित्तीय और संगठित अपराध के रूप में बड़ी चुनौतियों को जन्म देकर तंत्र को अस्थिर कर रही है। संगठित आपराधिक समूहों ने, सोशल नेटवर्क में प्रचलित संस्कृति में खुद को वैकल्पिक जीवन शैली के रूप में स्थापित करने के लिये, एक मंच प्राप्त किया है।
- सोशल मीडिया के माध्यम से हनी ट्रेप के मामले भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा हैं।
सोशल मीडिया साइटें आंतरिक सुरक्षा में भी सकारात्मक रूप से सहायक हो सकती हैं:
- दूरस्थ क्षेत्रों की सरकारी सेवाओं तक पहुँच और उनकी शिकायतों का समाधान करने हेतु सहायता करने में उपयोगी।
- कई जिला प्रशासनों द्वारा सेवाओं की आपूर्ति को बेहतर बनाने के लिये सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है। उदाहरण, कर्नाटक पुलिस द्वारा सूचनाओं के प्रसार और यातायात प्रबंधन के लिये इस माध्यम का प्रयोग किया जाता है, कर्नाटक पुलिस ने आपराधिक मामलों के समाधान के लिये सोशल मीडिया का लाभ उठाते हुए ‘HelpkarnatakaCID’ की स्थापना भी की है।
- आंतरिक सामंजस्य के लिये सोशल मीडिया का उपयोग किया जाना।
- महाराष्ट्र पुलिस ने सोशल मीडिया में किसी मुद्दे पर जनता की मनोदशा का अनुमान लगाने और आकस्मिक उपद्रव की तैयारियों की आशंका तथा गतिविधियों पर नज़र रखने हेतु सोशल मीडिया लैब के रूप में एक पायलट परियोजना की शुरुआत की है।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69(b) साइबर घटनाओं और नियमों के उल्लंघन से साइबर सुरक्षा के लिये किसी भी कंप्यूटर संसाधन के माध्यम से ट्रैफिक डाटा या सूचना एकत्रित करने और निगरानी करने के लिये इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग को प्राधिकृत करने के लिये, भारत सरकार को शक्तियाँ प्रदान करती है।
इसी अधिनियम की धारा 79 मध्यवर्ती संस्थाओं को अपनी सेवाओं के उपयोगकर्त्ताओं को, ऐसी पोस्ट या जानकारी जो आपराधिक हो और कानून का उल्लंघन करती हो, को सार्वजनिक न करने के विषय में सलाह देने का उपबंध करती है।
भविष्य की रूपरेखा के लिये सुझाव:
- सोशल मीडिया के लिये राष्ट्रीय नीति हेतु संस्थागत ढाँचा तैयार करना।
- सोशल मीडिया से संबंधित दिशानिर्देशों को संस्थागत रूप देते हुए उन्हें लागू करना।
- सोशल मीडिया की संभावित चुनौतियों के विषय में जागरूकता का प्रसार किया जाना।
- संगठनात्मक परिवेश उपलब्ध कराना, इसमें पदानुक्रम को दरकिनार कर इसकी वृद्धि को प्रोत्साहित करना।
- साइबर सुरक्षा से संबंधित अभिकरणों को सशक्त करने के साथ इनमें विशेषज्ञों को शामिल किया जाना चाहिये।
- अन्य संभावित चुनौतियों से निपटने के लिये राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2014 को नियमित रूप से उन्नत किया जाना चाहिये।