उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- दबाव समूहों को परिभाषित कीजिये।
- उपयुक्त उदाहरणों के साथ दबाव समूहों की भूमिका और महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
- इन समूहों की कमियों पर प्रकाश डालिये।
- भारतीय समाज में दबाव समूहों के महत्त्व को रेखांकित करते हुए निष्कर्ष लिखिये।
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दबाव समूह एकसमान हित रखने वाले लोगों के संघों या संगठनों को समूहबद्ध करते हैं। यह संगठित प्रयासों के माध्यम से अपने सदस्यों के लिये बेहतर स्थिति की मांग करते हैं। वे विधायिका, कार्यपालिका और अन्य निर्णय लेने वालों को अपने पक्ष में निर्णय लेने के लिये प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। दबाव समूह लोगों और सरकार के बीच दोतरफा संचार कड़ी के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। व्यापारिक संघ, ट्रेड यूनियन, किसान संगठन, छात्र समूह, शिक्षक संघ, जाति और धार्मिक संघ, महिला संघ आदि भारत में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के दबाव समूह हैं।
दबाव समूहों के कार्य और महत्त्व:
- समाज के एक वर्ग की सामान्य चिंता को व्यक्त करने और उनके हितों को बढ़ावा देने के लिये दबाव समूह लोकतांत्रिक समाज में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- ये समूह प्रशासनिक प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल होते हैं। दबाव समूह, नौकरशाही के साथ लॉबिंग के माध्यम से आमतौर पर नीति के कार्यान्वयन की प्रक्रिया को प्रभावित करने की स्थिति में होते हैं।
- ये विधायी प्रक्रिया में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये विधायिका के सदस्यों के साथ संलग्न होकर सरकारी कानूनों और नीतियों में संशोधनों या स्वयं के अनुकूल कानूनों को हासिल करने के लिये सक्रिय रूप से पैरवी करते हैं।
- दबाव समूह निर्णय लेने वालों की जानकारी के लिये लोगों की मांगों और ज़रूरतों को सामने रखते हैं। उदाहरण के लिये, मेधा पाटकर और उनके सहयोगियों ने नर्मदा बांध और विशेष रूप से बांध से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के सवाल पर राज्य और केंद्र स्तर पर कार्यपालिका पर भारी दबाव डाला।
- दबाव समूह शासन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करते हैं। ये निर्णय लेने की प्रक्रिया की गुणवत्ता को बढ़ाकर सरकार को अधिक कुशल बनाते हैं। इन समूहों द्वारा प्रदान की गई जानकारी और सलाह सरकार की नीति और कानून की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करती है।
दबाव समूहों की कमियाँ:
- कुछ दबाव समूह गैर-पंथनिरपेक्ष और आक्रामक विचार रखते हैं जो सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाते हैं और संकीर्ण स्वार्थों की पूर्ति के लिये काम करते हैं।
- कुछ दबाव समूह अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं और राजनीतिक हितों को संरक्षित करने का उपकरण बन जाते हैं।
- दबाव समूह कभी-कभी आक्रामक भी हो जाते हैं और अपनी मांगों को मनवाने के लिये उग्रवादी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं।
- दबाव समूहों में स्थिरता और प्रतिबद्धता की कमी होती है। इसके परिणामस्वरूप बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के अनुसार उनकी निष्ठा बदल सकती है।
भारत जैसे बहुलतावादी समाज में दबाव समूह एक ऐसा साधन प्रदान करते हैं जिसके द्वारा सामान्य नागरिक निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं, साथ-ही-साथ सरकारी गतिविधियों पर भी निगरानी रख सकते हैं। इसी तरह, इन समूहों द्वारा बनाए गए दबावों के द्वारा सरकारी नीतियों के प्रति मतदाताओं की संवेदनशीलता के संदर्भ में सरकारों को बेहतर तरीके से अवगत कराया जा सकता है।