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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    सत्यनिष्ठा के विभिन्न प्रकार कौन-से हैं? प्रशासन में इनकी उपयोगिता पर प्रकाश डालिये। (150 शब्द)

    31 Dec, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • सत्यनिष्ठा पद को परिभाषित कीजिये।
    • सत्यनिष्ठा के विभिन्न प्रकारों की चर्चा करते हुए प्रशासन में इसके महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    सत्यनिष्ठा व्यक्ति के सिद्धांतों व उसके कार्यों में आंतरिक सुसंगति का पर्याय है। वस्तुत: सत्यनिष्ठा का सामान्य अर्थ ईमानदारी से लिया जाता है, किंतु यदि इसे विस्तृत अर्थों में देखें तो सत्यनिष्ठा के अंतर्गत व्यक्ति के नैतिक सिद्धांतों के बीच आंतरिक सुसंगति तथा उसके नैतिक सिद्धांतों व व्यवहारों में सुसंगति को शामिल किया जाता है। इसके साथ ही सिद्धांतों में एक सोपानक्रम भी तय किया जाता है, ताकि इनमें असंगति होने पर प्राथमिक मूल्यों का चयन किया जा सके।

    जब हम सत्यनिष्ठा की बात करते हैं तो हम उसका तात्पर्य एक निश्चित समय व समान परिस्थितियों में एक समान मानकों अथवा एक समान नैतिक सिद्धांतों को अपनाने की अपेक्षा करते हैं।

    यदि कांट के शब्दों में कहें तो ‘‘मुझे किसी नियम या विधि के उल्लंघन का हक तभी है जब मैं यह कह सकूँ कि जैसी परिस्थिति में मैं हूँ, वैसी स्थिति में नियम का उल्लंघन करना भी नियम माना जाना चाहिये।’’

    सामान्यतया सत्यनिष्ठा के तीन प्रमुख प्रकार माने जाते हैं, जो कि निम्नलिखित हैं-

    • बौद्धिक सत्यनिष्ठा (Intellectual Integrity): जब हम अपने तथा दूसरों के लिये समान प्रतिमानों का प्रयोग करते हैं अर्थात् हम अपना मूल्यांकन उन्हीं प्रतिमानों के आधार पर तथा उतनी ही कठोरता से करते हैं, जिनसे हम दूसरों का मूल्यांकन करते हैं। उदाहरण के लिये, एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के पीठ पीछे उसकी बुराई करता है तो उसे किसी अन्य द्वारा पीठ पीछे अपनी बुराई करने पर उस व्यक्ति से नाराज़ नहीं होना चाहिये। यदि हम स्वयं के लिये उन प्रतिमानों का प्रयोग नहीं करते, जिनके आधार पर हम दूसरे का मूल्यांकन करते हैं तो ऐसी स्थिति को बौद्धिक पाखंड कहा जाता है।
    • व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा (Personal Integrity): जब हम अपने व्यक्तिगत जीवन में अपने नैतिक सिद्धांतों व अपने आचरण में सुसंगति रखते हैं तो इसे व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा कहते हैं। यदि सरल शब्दों में कहें तो ‘जैसी कथनी वैसी करनी’ अर्थात् जैसा कहा शत प्रतिशत वैसा ही किया।
    • व्यावसायिक सत्यनिष्ठा (Professional Integrity): जब व्यक्ति अपने व्यवसाय से जुड़े नैतिक सिद्धांतों तथा आचार संहिता का पालन करता है, तो उसे व्यावसायिक सत्यनिष्ठा कहा जाता है। उदाहरण के लिये, एक चिकित्सक अपने अतिरिक्त लाभ के लिये किसी व्यक्ति की अनावश्यक सर्जरी करता है या अपने चिकित्सा ज्ञान का प्रयोग अनैतिक लाभों की प्राप्ति के लिये करता है तो यह उसकी ‘हिप्पोक्रेटिक ओथ’ के विपरीत है अर्थात् उसकी व्यावसायिक सत्यनिष्ठा का उल्लंघन है।

    सत्यनिष्ठा की प्रशासन में उपयोगितारू सत्यनिष्ठा लोकतंत्र में जनता का विश्वास बनाए रखने हेतु अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। सत्यनिष्ठा व्यक्तिगत व सांगठनिक हितों पर सार्वजनिक हितों को वरीयता देती है। यदि एक सिविल सेवक अपने सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा का पालन करता है तो वह-

    • अपनी संपूर्ण क्षमता का उपयोग जनसेवा में कर सकता है।
    • उसे अपने सहयोगी-कर्मचारियों तथा वरिष्ठ अधिकारियों का विश्वास प्राप्त होता है जिससे उसकी नौकरी व जनसेवा के प्रति उसके समर्पण में वृद्धि होती है।
    • वह अपने व्यवसाय के नैतिक सिद्धांतों व आचार संहिता का पालन करता है जिससे निर्णयन में पारदर्शिता आती है।
    • उसे जनता का विश्वास भी प्राप्त हो जाता है। यदि लोक सेवकों को जनता का विश्वास प्राप्त हो जाता है तो सार्वजनिक योजनाओं पर उनका सहयोग प्राप्त होता है, जिससे बड़े स्तर पर सामाजिक परिवर्तन लाया जा सकता है।

    इस प्रकार देखा जाए तो सत्यनिष्ठा व्यक्ति के जीवन के सभी स्तरों, यथा- बौद्धिक, व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक स्तर पर महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है जो कि व्यक्ति के सिद्धांतों व व्यवहारों को सुसंगत बनाए रखने के साथ-साथ व्यवसाय में तरक्की का मार्ग प्रशस्त करती है तथा सार्वजनिक जीवन में व्यापक परिवर्तन लाने में सक्षम होती है।

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