प्रश्न. जहाँ केंद्र एवं राज्य सरकारें, दोनों ही संविधान से अपने प्राधिकारों की प्राप्ति करती हैं, वहीं भारतीय संविधान में संघीय प्रणाली का झुकाव एकात्मकता की ओर है। स्पष्ट कीजिये। (250 शब्द)
28 Dec, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण:
|
संघीय लोकतांत्रिक प्रणाली में केंद्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों का स्पष्ट एवं समान विभाजन होता है जबकि एकात्मक व्यवस्था में केंद्र अधिक शक्तिशाली होता है तथा राज्य उसके अधीनस्थ होते हैं। हालाँकि भारतीय संविधान में भारत के लिये ‘फेडरल’ शब्द का प्रयोग न करके ‘यूनियन ऑफ स्टेट्स’ शब्द का प्रयोग किया गया है। जो कि भारत की यह पूर्ण संघ न होने की विशेषत को दर्शाता है।
वस्तुत: भारतीय संविधान की प्रकृति संघीय एवं एकात्मक कई प्रावधानों से पहचानी जाती है। जिसमें प्रमुख संघीय विशेषताएँ जैसे-
प्रमुख एकात्मक विशेषताएँ
वस्तुत: भारतीय संविधान प्रकृति में संघीय है तथा उसकी आत्मा एकात्मक है, जिसे कई प्रावधान साबित करते हैं जैसे- विधायी मसले पर केंद्र को अधिक प्राधिकार (संघ सूची को राज्य सूची पर वरीयता, समवर्ती सूची के विषय पर केंद्रीय कानून को वरीयता) देना तथा प्रशासनिक मसले पर (केंद्र सरकार को अनुच्छेद 356 के तहत प्राप्त शक्तियों) एवं वित्तीय मसले पर (राजस्व वितरण पर केंद्र पर प्राधिकार, राज्यों को ग्रांट देना सी.ए.जी. के पद पर नियंत्रण, वित्त आयोग का गठन)। इस प्रकार देखें तो भारत अपनी प्रकृति में संघीय तथा आत्मा में एकात्मकता लिये हुए है जो कि भारत को विश्व में विशिष्ट बनाती है।