नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2021 में भारत की रैंकिंग भूख और खाद्य असुरक्षा के गंभीर स्तर को दर्शाती है। इस संदर्भ में, यह अनिवार्य है कि भारत खाद्य सुरक्षा के मुद्दे से निपटने के लिये समग्र उपाय करे। (250 शब्द)।

    02 Nov, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2021 और इसमें भारत के प्रदर्शन के बारे में लिखते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • खाद्य और पोषण सुरक्षा को बनाए रखने में भारत के खराब प्रदर्शन के कारणों की चर्चा कीजिये।
    • खाद्य असुरक्षा के मुद्दे से निपटने के उपाय सुझाइये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2021 में भारत को 116 देशों में से 101वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। वर्ष 2020 में भारत 94वें स्थान पर था। इसकी गणना निम्नलिखित 4 आधारों पर की जाती है:

    • अल्पपोषण: अपर्याप्त कैलोरी सेवन वाली जनसंख्या।
    • चाइल्ड वेस्टिंग: पाँच साल से कम उम्र के बच्चों का हिस्सा, जिनका वज़न उनकी ऊंँचाई के हिसाब से कम है, यह तीव्र कुपोषण को दर्शाता है।
    • चाइल्ड स्टंटिंग: पाँच साल से कम उम्र के बच्चों का हिस्सा, जिनका वज़न उनकी उम्र के हिसाब से कम है, यह कुपोषण को दर्शाता है।
    • बाल मृत्यु दर: पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर।

    खाद्य असुरक्षा और संबद्ध समस्याएँ

    • अल्पपोषण की व्यापकता: अल्पपोषण की व्यापकता का आकलन देशों के राष्ट्रीय उपभोग सर्वेक्षणों पर आधारित है जो प्रति व्यक्ति खाद्य आपूर्ति की स्थिति को प्रकट करता है।
      • चूँकि ये उपभोग सर्वेक्षण प्रत्येक वर्ष उपलब्ध नहीं होते हैं और कुछ वर्षों के अंतराल पर अपडेट किये जाते हैं। इसलिये अल्पपोषण की व्यापकता जैसे संकेतक महामारी के कारण उत्पन्न हुए हाल के व्यवधानों को पर्याप्त रूप से व्यक्त कर सकने में अधिक सक्षम नहीं हैं।
    • नवीनतम उपभोग सर्वेक्षण का अभाव: महामारी के बावजूद समग्र खाद्य आपूर्ति की स्थिति प्रत्यास्थी बनी रही थी और इसलिये अधिकांश देशों द्वारा उपभोग सर्वेक्षण आयोजित नहीं नहीं किये गए।
    • सरकार द्वारा मौजूदा स्थिति की अस्वीकृति: भारत सरकार ने न केवल उपभोग/खाद्य सुरक्षा सर्वेक्षणों के अपने आकलन से परहेज किया है, बल्कि इसने गैलप वर्ल्ड पोल (Gallup World Poll) के आधार पर प्रकाशित परिणामों को भी स्वीकार नहीं किया है।
    • सामाजिक-आर्थिक संकट: प्रमुख खाद्य वस्तुओं के उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के बावजूद व्यापक आर्थिक संकट, उच्च बेरोज़गारी दर और असमानता की उच्च स्थिति के कारण भारत में भूख और खाद्य असुरक्षा की गंभीर समस्याएँ विद्यमान हैं।
    • महामारी का प्रभाव: PMSFI के अनुमानों से पता चलता है कि वर्ष 2019 में भारत में लगभग 43 करोड़ मध्यम से गंभीर खाद्य-असुरक्षित लोग थे, जिनकी संख्या महामारी-संबंधी व्यवधानों के परिणामस्वरूप वर्ष 2020 में बढ़कर 52 करोड़ हो गई है।
      • इस प्रकार खाद्य असुरक्षा वर्ष 2019 में लगभग 31.6% से बढ़कर वर्ष 2021 में 38.4% तक पहुँच गई है।
    • PDS के माध्यम से खाद्य का अपर्याप्त वितरण: सब्सिडी पात्र लाभार्थियों का गरीबी रेखा से नीचे (BPL) का दर्जा नहीं होने के आधार पर बहिर्वेशन हुआ है, क्योंकि BPL के रूप में किसी परिवार की पहचान करने के मानदंड अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न हैं।

    आगे की राह

    • खाद्य सुरक्षा की नियमित निगरानी: खाद्य असुरक्षा में तीव्र वृद्धि इस तात्कालिक आवश्यकता की ओर ध्यान दिलाती है कि सरकार को देश में खाद्य सुरक्षा की स्थिति की नियमित निगरानी के लिये एक प्रणाली स्थापित करनी चाहिये।
    • खाद्य सुरक्षा योजनाओं के दायरे का विस्तार: कम-से-कम महामारी अवधि के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और ’एक राष्ट्र- एक राशन कार्ड’ (ONORC) योजना तक पहुँच को सार्वभौमिक बनाए जाने की आवश्यकता है।
    • PDS को सुदृढ़ किया जाना चाहिये और बाजरा, दाल और तेल को शामिल करते हुए खाद्य श्रेणी (फ़ूड बास्केट) को विस्तृत किये जाने की आवश्यकता है।
    • विकास और मानवीय नीतियों को सुमेलित करना: आवश्यक विषयों में मानवीय, विकास और शांति-निर्माण नीतियों को एकीकृत किया जाना चाहिये, ताकि संवेदनशील परिवार खाद्यान्न के लिये अपनी संपत्तियों की बिक्री हेतु बाध्य न हों।
    • पौष्टिक भोजन की लागत को कम करना: आपूर्ति शृंखलाओं में हस्तक्षेप (जैसे बायोफोर्टिफाइड फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहित करना अथवा फल और सब्जी उत्पादकों के लिये बाज़ार तक पहुँच को आसान बनाना) के माध्यम से पौष्टिक खाद्य पदार्थों की लागत को कम करना भी आवश्यक है।

    निष्कर्ष

    भोजन का अधिकार (Right to Food) न केवल एक वैधानिक अधिकार है बल्कि एक मानव अधिकार भी है। मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (Universal Declaration of Human Rights- UDHR) के एक राज्य पक्षकार के रूप में भारत का दायित्व है कि वह अपने सभी नागरिकों के लिये भूख से मुक्ति के अधिकार और पर्याप्त भोजन के अधिकार को सुनिश्चित करे।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow