आप संभावित साइबर हमलों के खिलाफ भारत की तैयारी का मूल्यांकन कैसे करते हैं? इस खतरे को रोकने के लिये कुछ उपाय सुझाएं।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- साइबर सुरक्षा की अवधारणा की व्याख्या कीजिये।
- साइबर हमले का मुकाबला करने के उपायों पर चर्चा कीजिये।
- संबंधित चुनौतियों का उल्लेख कीजिये।
- साइबर हमलों के खतरे को प्रभावी ढंग से रोकने के उपाय सुझाइये।
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परिचय
साइबर सुरक्षा कंप्यूटर, नेटवर्क, प्रोग्राम और डेटा को अनधिकृत पहुँच या शोषण के उद्देश्य से होने वाले हमलों से बचाने की तकनीक है। प्रौद्योगिकी के विकास ने संघर्ष और युद्ध की प्रकृति को बदल दिया है। राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये किसी विरोधी को कमज़ोर करने या उस पर प्रहार करने हेतु सूचना क्षेत्र में एजेंटों जैसे संसाधनों का गुप्त तरीके से संचालन किया जाता है।
देश की मुख्य संपत्ति जैसे- पावर ग्रिड, वित्तीय तथा परिवहन नेटवर्क तेज़ी से इंटरनेट से जुड़ रहे हैं और अधिक आधिकारिक डेटा ऑनलाइन संग्रहीत किया जा रहा है। डिजिटल बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा के लिये सरकार द्वारा विभिन्न पहलें की गई हैं जैसे:
- भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (सीईआरटी-इन) नामक एक विशेष इकाई को साइबर हमलों की घटनाओं के होने पर प्रतिक्रिया देने के लिये एक राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के रूप में परिचालित किया जाता है।
- भारत सरकार ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा व्यवस्था की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 अधिनियमित किया है।
- वर्ष 2013 में एक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति लागू की गई थी। इसे साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सभी पहलों को एकीकृत करने और साइबर अपराधों की तेज़ी से बदलती प्रकृति से निपटने के लिये लॉन्च किया गया था।
- देश में साइबर अपराधों से समन्वित और प्रभावी तरीके से निपटने के लिये 'साइबर स्वच्छता केंद्र' भी स्थापित किया गया है। यह इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology-MeitY) के तहत भारत सरकार की डिजिटल इंडिया मुहिम का एक हिस्सा है।
- भारत सूचना साझा करने और साइबर सुरक्षा के संदर्भ में सर्वोत्तम कार्य प्रणाली अपनाने के लिये अमेरिका, ब्रिटेन एवं चीन जैसे देशों के साथ समन्वय कर रहा है।
- सरकार ने साइबर सुरक्षा से संबंधित फ्रेमवर्क का अनुमोदन किया है। इसके लिये राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
- भारत सरकार ने साइबर हमलों और साइबर आतंकवाद से निपटने के लिये एक राष्ट्रीय संकट प्रबंधन योजना तैयार की है। साइबर खतरों के बदलते परिदृश्य से निपटने के लिये इस योजना का वार्षिक पुनर्मूल्यांकन किया जाता है और अद्यतन किया जाता है।
- लेखापरीक्षकों को सरकारी और निजी दोनों कंपनियों द्वारा सुरक्षा ऑडिट करने के लिये भी सूचीबद्ध किया गया है।
भारत के साइबर सुरक्षा ढाँचे से जुड़ी चुनौतियाँ:
- निजी कंपनियाँ और बैंक साइबर हमले के बारे में सरकारी संगठनों को नियमित रूप से रिपोर्ट नहीं करते हैं।
- साइबर सुरक्षा के बारे में आम लोगों में जागरूकता की कमी है, इसलिये वे हैकर्स के प्रयासों का शिकार हो जाते हैं।
- बार-बार होने वाले साइबर हमले डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ग्राहकों के विश्वास को कम करते हैं और कैशलेस अर्थव्यवस्था बनने के भारत के सपनों को बाधित करते हैं।
- ऑनलाइन माध्यम से कट्टरपंथ में वृद्धि चिंता का एक अन्य क्षेत्र है। पारंपरिक युद्ध के विपरीत, साइबरस्पेस की चरमपंथियों और आतंकवादियों के लिये कोई भौतिक सीमा नहीं है।
- भारत में हार्डवेयर के साथ-साथ सॉफ्टवेयर साइबर सुरक्षा उपकरणों व तकनीकों के मामले में स्वदेशी क्षमता (आत्मनिर्भरता) का अभाव है।
आगे की राह:
- जागरूकता में वृद्धि: व्यापारिक संगठनों और सरकारी प्रक्रियाओं को लक्षित करने वाले डिजिटल वारफेयर और हैकर्स के विरुद्ध ठोस उपाय करने के लिये भारत को अन्य देशों के साथ साझा उपाय करने होंगे और इस संदर्भ में जागरूकता में वृद्धि करनी होगी कि कोई भी व्यक्ति या संस्था अकेले डिजिटल वारफेयर के प्रति प्रतिरक्षित नहीं है।
- मौजूदा साइबर सुरक्षा ढाँचे को मज़बूत करना: राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र (National Cyber Coordination Centre-NCCC), नेशनल क्रिटिकल इन्फॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर (National Critical Information Infrastructure Protection Centre-NCIIPC) और कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (Computer Emergency Response Team-CERT) जैसी राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा परियोजनाओं को कई गुना मज़बूत करने की आवश्यकता है।
- शैक्षिक पाठ्यक्रमों में साइबर सुरक्षा को शामिल करना: केंद्रीय विश्वविद्यालयों, निजी विश्वविद्यालयों, उद्योग संघों, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों सहित अन्य शैक्षिक संस्थानों को साइबर सुरक्षा को पाठ्यक्रमों को शामिल करना चाहिये।
- एकीकृत दृष्टिकोण: मोबाइल फोन और दूरसंचार के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति और राष्ट्रीय दूरसंचार नीति को वर्ष 2030 तक एक व्यापक समग्र नीति के निर्माण हेतु प्रभावी रूप से सहयोग करना होगा।
निष्कर्ष:
साइबर सुरक्षा और साइबर युद्ध पर एक स्पष्ट सार्वजनिक नीति नागरिकों के आत्मविश्वास को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, साथ ही यह सहयोगी देशों के प्रति विश्वास को मज़बूत करने और संभावित विरोधियों को एक कड़ा तथा स्पष्ट संदेश देने में सहायक होगी जो एक अधिक स्थिर व सुरक्षित साइबर पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिये मज़बूत आधार प्रदान करेगा।