प्रत्येक देश के इतिहास में एक ऐसा समय आता है जब प्रशासनिक व्यवस्था को पूर्णतया विखण्डित करके समय के अनुकूल उसकी कायापलट और पुनर्गठन करना आवश्यक हो जाता है। लॉर्ड कर्जन की प्रशासनिक नीतियों के संदर्भ में उक्त कथन पर प्रकाश डालें।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- भारतीय प्रशासन व्यवस्था के प्रति कर्जन का दृष्टिकोण।
- तत्पश्चात् कर्जन के प्रशासनिक सुधारों की चर्चा करें।
- कर्ज़न के सुधारों के प्रभाव के साथ उत्तर समाप्त करें।
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लॉर्ड कर्जन ने 1899 ई. में भारत के वायसराय का पद संभाला। पदभार संभालते ही उसने पूरी प्रशासनिक मशीनरी में आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता महसूस की। ऐसा कोई विभाग न था जो कर्जन के प्रशासनिक सुधारों से अछूता रह गया हो। कर्जन ने प्रशासनिक दक्षता को लक्षित करते हुए किये सुधारों, यथा- पुलिस सुधार, शिक्षा सुधार, अवसंरचना विकास आदि को अपनाया। कर्जन ने भारतीय लोगों की भावनाओं और अपेक्षाओं की अनदेखी करते हुए ब्रिटिश साम्राज्य को सुदृढ़ करने का प्रयास किया। वायसराय बनने के बाद कर्जन ने विभागों की कार्यप्रणाली की जाँच के लिये एक आयोग का गठन किया तथा उसके बाद आवश्यक कानूनों को लागू किया।
कर्जन के प्रशासनिक सुधार:
- 1901 ई. में सर कोलिन स्कॉट की अध्यक्षता में सिंचाई विभाग में सुधार के लिये आयोग नियुक्त किया गया।
- 1902 ई. में कर्जन ने सर एंड्रयू फ्रेजर की अध्यक्षता में पुलिस आयोग का गठन किया। इस आयोग को प्रत्येक प्रांत में पुलिस प्रशासन के कुशल कामकाज की जाँच के निर्देश दिये गए थे। आयोग के सुझावों के आधार पर प्रांतीय पुलिस सेवा का गठन किया गया तथा केंद्रीय आपराधिक गुप्तचर विभाग का गठन किया गया।
- 1902 ई. में विश्वविद्यालय आयोग का गठन भारत में विश्वविद्यालयों की स्थिति तथा विश्वविद्यालय में शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिये सुझाव देने हेतु किया गया था। इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर इंडियन यूनिवर्सिटी अधिनियम (1904) पारित किया गया, जिसमें विश्वविद्यालयों पर आधिकारिक नियंत्रण में वृद्धि की बात की गई थी।
- कर्जन ने भारत में व्यापार एवं वाणिज्य के प्रसार तथा बेहतर नियंत्रण के लिये वाणिज्य एवं उद्योग विभाग की स्थापना की।
- उसने प्राचीन स्मारक अधिनियम, 1904 पारित किया तथा इसके द्वारा सरकार एवं स्थानीय निकायों के लिये पुरातात्त्विक महत्त्व के स्मारकों का संरक्षण बाध्यकारी कर दिया गया और उनके विध्वंस को अपराध घोषित कर दिया गया।
- कर्जन ने रेलवे के विकास पर विशेष ध्यान दिया। मौजूदा रेलमार्गों को बेहतर बनाया गया तथा नए मार्गों पर कार्य शुरू किया गया। 1905 ई. में सरकारी रेलमार्गों का रेल विशेषज्ञों के सुझावों के अनुसार प्रशासनिक तथा नियंत्रण मामलों के लिये रेलवे बोर्ड का गठन किया गया।
- प्रशासकीय सुविधा का हवाला देकर बंगाल को 1905 ई. में दो भागों में विभाजित कर दिया गया।
कर्जन ने स्थानीय स्वशासन के क्षेत्र में लॉर्ड रिपन द्वारा किये गए कार्यों को पूर्ववत् कर दिया। कलकत्ता कॉर्पोरेशन अधिनियम ने निर्वाचित सदस्यों तथा स्थानीय निकायों की शक्तियाँ कम कर दीं।
लॉर्ड कर्जन एक विशुद्ध साम्राज्यवादी था जिसने भारत में अंग्रेजी प्रभुत्व को सुदृढ़ करने की कोशिश की। उसने न केवल विभागों पर नियंत्रण स्थापित किया, बल्कि उसके प्रशासनिक सुधार अत्यधिक दमनकारी साबित हुए।