पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) से आप क्या समझते हैं? भारत में EIA से जुड़ी चुनौतियाँ और महत्त्व क्या हैं? (250 शब्द)
13 Oct, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणपरिचय
पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (EIA) किसी भी प्रस्तावित विकासात्मक परियोजना के अनुमानित पर्यावरणीय परिणामों के मूल्यांकन और पहचान हेतु किया जाने वाला अध्ययन है।
EIA अधिसूचना 2006 पर्यावरणीय मंज़ूरी प्राप्त करने के लिये चार चरणों का प्रावधान करती है:
स्क्रीनिंग: राज्य स्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समितियों (SLEAC) द्वारा किसी परियोजना को श्रेणीबद्ध करना और यह आकलन करना कि क्या परियोजना के लिये EIA की आवश्यकता है या EIA से छूट प्रदान की जा सकती है। स्कोपिंग: केंद्रीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) और SLEAC द्वारा EIA रिपोर्ट तैयार करने के लिये परियोजना से संबंधित व्यापक शर्तें निर्धारित की जाती हैं। इस स्तर पर प्रदूषकों और उत्सर्जन मानकों के निर्धारण के अनुपालन पर रिपोर्ट का आकलन करके NOC प्रदान की जाती है। जन सुनवाई: स्थानीय लोगों की आपत्तियों या सुझावों को दर्ज करने के लिये जन सुनवाई की जाती है । एक समिति इसका आयोजन करती है जिसके अध्यक्ष ज़िला कलेक्टर होते हैं और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB) के अधिकारी, तालुका और ग्राम सभा के प्रतिनिधि समिति के अन्य सदस्य होते हैं। मूल्यांकन: EAC और SLEAC अंतिम EIA रिपोर्ट एवं NOCs की जाँच करते हैं और फिर इसे पर्यावरण तथा वन मंत्रालय के पास भेजा जाता है।
ढाँचा/संरचना
EIA का महत्व:
भारत में EIA से संबंधित चुनौतियाँ
निष्कर्ष
इस प्रकार भारत में पर्यावरणीय निर्णय लेने की प्रक्रिया के लिये EIA महत्त्वपूर्ण है। सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये हमारे नीतिगत निर्णय वैज्ञानिक विश्लेषणात्मक आकलन पर आधारित होने चाहिये, जो लोगों और धरती के बीच तालमेल रख सकें।