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प्रश्न :
1970 के दशक में वे कौन-सी परिस्थितियाँ विद्यमान थी जिसने एक सशक्त आंदोलन को जन्म दिया? यह आंदोलन अपने किन अंतर्निहित दोषों के कारण सत्ता का विकल्प नहीं बन पाया?
24 Apr, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा: - विद्यमान परिस्थितियों के लिये उत्तरदायी कारणों का उल्लेख करते हुए आंदोलन के उदय एवं त्रुटियों को लिखें।
1971 के चुनावों से तुरंत पहले कांग्रेस का विभाजन हुआ था परंतु इंदिरा गांधी ‘गरीबी हटाओ’ के नारे के साथ पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आईं, परंतु आसन्न वर्षों में भारत की सामाजिक-आर्थिक दशा में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया। इसके निम्नलिखित कारण थेः
- बांग्लादेश संकट ने भारत की अर्थव्यवस्था के ऊपर भारी तनाव पैदा कर दिया था।
- पाकिस्तान से युद्ध के बाद अमेरिका ने भारत को सभी प्रकार की सहायता देना बंद कर दिया, जिससे भारत में खाद्यान्न संकट भी उत्पन्न हो गया था।
- कच्चे तेल के मूल्यों में भारी उछाल दर्ज किया गया था, फलस्वरूप सभी वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि दर्ज की गई।
- औद्योगिक विकास की दर काफी कम थी तथा बेरोजगारी काफी अधिक थी, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
- खर्च में कटौती करने के उद्देश्य से सरकार ने सरकारी कर्मचारियों का वेतन रोक दिया था, जिससे असंतुष्टि में वृद्धि हुई।
- 1972-73 में कम बारिश के कारण फसल उत्पादन में कमी दर्ज की गई, जिससे खाद्यान्न समस्या और भी गहरी हो गई।
- न्यायपालिका एवं कार्यपालिका में टकराव अपने चरम पर था।
- बिगड़ती आर्थिक दशा के कारण पूरे देश में असंतुष्टि की भावना थी। इस समय गैर-कांग्रेसी विपक्षी दलों ने सफलतापूर्वक जन-आंदोलन का आयोजन किया।
आंदोलन का उदयः
इस आंदोलन की शुरुआत बिहार एवं गुजरात के छात्र आंदोलनों से हुई तथा देखते-ही-देखते यह राष्ट्रीय स्तर का आंदोलन बन गया। जनवरी 1974 ई. में गुजरात में विभिन्न वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि के विरोध में छात्रों ने विरोध शुरू किया, जिसका सभी विपक्षी दलों ने समर्थन किया।
मार्च 1974 में ऐसा ही प्रदर्शन बिहार में भी शुरू हुआ तथा जयप्रकाश नारायण को छात्र आंदोलन के शांतिपूर्ण नेतृत्व के लिये निमंत्रित किया गया। जे.पी. ने केन्द्र सरकार तथा बिहार के कांग्रेस का इस्तीफा मांगा तथा सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में संपूर्ण क्रांति का आह्नान किया। जे.पी. के आह्नान पर रेलकर्मियों ने राष्ट्रव्यापी बंद का ऐलान किया।
12 जून, 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी के लोकसभा में निर्वाचन को अवैध करार दिया तथा विपक्षी दलों ने उनके इस्तीफे की मांग की।
इस परिस्थिति में सरकार ने 25 जून, 1975 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल घोषित कर दिया।
केंद्र ने 1977 में चुनाव आयोजित किये जिसमें जनता पार्टी द्वारा पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई गई। यद्यपि आंदोलन ने विपक्षी दलों को वैकल्पिक सत्ता का स्रोत बनने के असीम अवसर प्रदान किये परंतु वे अवसर का लाभ उठाने में नाकाम रहे। इसके निम्नलिखित कारण हैं:
- विचारधाराओं तथा उद्देश्यों की बहुलता।
- एकीकृत विपक्ष का लक्ष्य इंदिरा गांधी तथा उसकी सरकार का विरोध करना था, परंतु चुनाव के पश्चात् यह लक्ष्य से भटक गया।
- भारत की संसदीय प्रणाली उस समय तक गठबंधन सरकार चलाने के लिये तैयार नहीं थी।
- उनके पास कोई ठोस, व्यावहारिक एवं संरचनात्मक कार्यक्रम का खाका नहीं था।
- उन्होंने राजनीतिक शून्यता की स्थिति पैदा कर दी पर स्वयं उसे पूरा करने हेतु सक्षम नहीं थे।
यद्यपि इस आंदोलन ने वैकल्पिक सत्ता के स्रोत होने का अवसर गँवा दिया था परंतु इसने लोगों को सशक्त बनाया, जनसामान्य के बीच जागरूकता पैदा करने तथा लोकतांत्रिक मूल्यों को सुदृढ़ करने और गठबंधन सरकार के लिये मार्ग प्रशस्त करने का कार्य किया, जो कि भारत जैसे बहुदलीय लोकतांत्रिक देश में अधिक उपयुक्त है।
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