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प्रश्न :
आप पंचायत के सरपंच हैं। आपके क्षेत्र में सरकार द्वारा संचालित एक प्राथमिक विद्यालय है। स्कूल में आने वाले बच्चों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जाता है। प्रधानाध्यापक ने अब भोजन तैयार करने के लिये स्कूल में एक नया रसोइया नियुक्त किया है। हालाँकि जब यह पता चलता है कि रसोइया दलित समुदाय से है, तो उच्च जातियों के लगभग आधे बच्चों को उनके माता-पिता भोजन करने की अनुमति नहीं देते हैं। नतीजतन स्कूल में बच्चों की उपस्थिति में तेज़ी से गिरावट आती है। इसके परिणामस्वरूप मध्याह्न भोजन योजना को बंद करने, उसके बाद शिक्षण स्टाफ को हटाने और बाद में स्कूल बंद करने तक की आशंका जताई जा रही है।
A. इस मामले में निहित नैतिक मुद्दों का उल्लेख कीजिये और संघर्ष को दूर करने तथा सही माहौल बनाने के लिये कुछ संभावित रणनीतियों पर भी चर्चा कीजिये ।
B. ऐसे परिवर्तनों को स्वीकार करने के लिये सकारात्मक सामाजिक माहौल बनाने हेतु विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों और एजेंसियों की ज़िम्मेदारियाँ क्या होनी चाहिये?
09 Oct, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़उत्तर :
परिचय
दिया गया मामला एक तरफ सामाजिक (जाति) भेदभाव के नैतिक मुद्दे और दूसरी तरफ बच्चों के स्कूल छोड़ने के मुद्दे से संबंधित है। सरपंच के लिये नैतिक दुविधा दलित रसोईये को काम पर रखना और अभिभावकों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिये प्रोत्साहित करना है।
प्रारूप
- मामले से संबंधित हितधारक:
- सरपंच
- स्कूल का प्रधानाध्यापक और स्कूल का रसोईया।
- उच्च जाति के बच्चे और उनके माता-पिता।
- दलित समाज
- सामाजिक विकास हेतु काम कर रहे नागरिक समाज, गैर-सरकारी संगठन।
- ज़िला प्रशासन, राज्य और केंद्र सरकारें।
मामले में शामिल नैतिक मुद्दे:
- जाति आधारित भेदभाव: दलित समुदाय के रसोईये के खिलाफ माता-पिता के विरोध के बाद छात्र स्कूल नहीं जा रहे हैं। यह समाज में अभी भी प्रचलित जाति आधारित सामाजिक भेदभाव का मुद्दा है।
- यह मानवता के खिलाफ है जो सभी व्यक्तियों की समानता पर केंद्रित है।
- संवैधानिक नैतिकता: हमारा संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है और जाति के आधार पर भेदभाव करना संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ है।
- संविधान के अनुसार, अस्पृश्यता एक अपराध है और इसे किसी भी रूप में बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है।
संघर्ष को दूर करने के लिये कुछ संभावित रणनीतियाँ:
- माता-पिता को समझाना: मैं स्कूल प्रशासन और उच्च जाति समुदायों के बच्चों के माता-पिता के साथ कई बैठकें करूँगा।
- माता-पिता को बच्चों की पढ़ाई और कॅरियर की खातिर अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिये राजी किया जा सकता है।
- कुछ दिनों के लिये रसोईया को नौकरी से मुक्त करना: मैं गाँव के सभी समुदायों के साथ बैठकें भी करूँगा और सद्भाव, सहानुभूति तथा करुणा पर आधारित समाज बनाने की कोशिश करूँगा।
- इस बीच दलित समुदाय के रसोईया को कुछ दिनों के लिये नौकरी से मुक्त किया जा सकता है ताकि अविश्वास की तत्काल स्थिति को शांत किया जा सके और छात्र स्कूल लौट सकें।
- एक उदाहरण स्थापित करना: मैं अपने परिवार के सदस्यों और समान विचारधारा वाले रिश्तेदारों से बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजने तथा दलित रसोईये द्वारा पकाए गए मध्याह्न भोजन को खाने के लिये कहूँगा।
सकारात्मक सामाजिक माहौल बनाने के लिये विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों और एजेंसियों की ज़िम्मेदारी:
- स्कूल और शिक्षा प्रणाली: हमारी शिक्षा प्रणाली को समाज में समानता जैसे सामाजिक तत्त्वों के प्रचार पर अधिक ध्यान देना चाहिये।
- यदि ये मूल्य आज के छात्रों में विकसित किये जाएँ तो वे कल के बेहतर नागरिक बन सकते हैं।
- ग्राम सभा: ग्राम सभा की ज़िम्मेदारी है कि वह गाँव में सामाजिक बदलाव लाए। सरपंच होने के नाते मेरा यह कर्त्तव्य होगा कि मैं ग्राम सभा के सभी सदस्यों को जातिवाद और छुआछूत की बुराइयों से अवगत कराऊँ और इन बुराइयों के बहिष्कार के लिये अभियान चलाऊँ।
- संघर्षों को कम करना: विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच विवाद को दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिये जो कि झगड़े को जन्म दे सकता है। विवाद का समाधान हो जाने से सामाजिक समानता लाने में यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।
- स्थानीय प्रशासन और नागरिक समाज: स्थानीय प्रशासन, पुलिस और नागरिक समाजों की ज़िम्मेदारी है कि वे निचली जाति के समुदायों के अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाएँ। उन्हें लगातार समाज के एकीकरण की दिशा में काम करना चाहिये।
निष्कर्ष
सामाजिक भेदभाव जैसी बुराई को दूर करने के लिये किये गए उपाय भले ही तत्काल प्रभाव न दिखाएँ लेकिन प्रयास जारी रहने चाहिये। सामाजिक प्रभाव और अनुनय की रणनीति से निश्चित रूप से जातिगत बाधाओं को कम करने और एक समान समाज सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
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