भारत के चुनाव आयोग द्वारा निभाई गई भूमिका ने देश में निर्वाचित विधायी निकायों की शुद्धता सुनिश्चित करने में भारतीय नागरिकों के मन में बहुत उच्च स्तर का विश्वास दिलाया है। समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- भारत के चुनाव आयोग ( ECI) की संवैधानिक शक्तियों को लिखते हुए उत्तर शुरू कीजिये।
- भारतीय नागरिकों के मन में विश्वास सुनिश्चित करने में ECI के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
- ECI से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों की आलोचनात्मक चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
भारत निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है। अनुच्छेद 324 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति संसद एवं राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण भारत निर्वाचन आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है।
प्रारूप
ECI का महत्त्व
- यह वर्ष 1952 से राष्ट्रीय और राज्य स्तर के चुनावों का सफलतापूर्वक संचालन कर रहा है। मतदान में लोगों की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये सक्रिय भूमिका निभाता है।
- राजनीतिक दलों को अनुशासित करने का कार्य करता है।
- संविधान में निहित मूल्यों को मानता है अर्थात चुनाव में समानता, निष्पक्षता, स्वतंत्रता स्थापित करता है।
- विश्वसनीयता, निष्पक्षता, पारदर्शिता, अखंडता, जवाबदेही, स्वायत्तता और कुशलता के उच्चतम स्तर के साथ चुनाव आयोजित/संचालित करता है।
- मतदाता-केंद्रित और मतदाता-अनुकूल वातावरण की चुनावी प्रक्रिया में सभी पात्र नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करता है।
- चुनावी प्रक्रिया में राजनीतिक दलों और सभी हितधारकों के साथ संलग्न रहता है।
- हितधारकों, मतदाताओं, राजनीतिक दलों, चुनाव अधिकारियों, उम्मीदवारों के बीच चुनावी प्रक्रिया और चुनावी शासन के बारे में जागरूकता पैदा करता है तथा देश की चुनाव प्रणाली के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ाने और उसे मज़बूती प्रदान करने का कार्य करता है।
ECI से संबंधित मुद्दे
- शक्तियों का अपरिभाषित होना: आदर्श आचार संहिता के अलावा ECI समय-समय पर उन मुद्दों पर दिशा-निर्देश, निर्देश एवं स्पष्टीकरण देता रहता है जो चुनाव के दौरान उठते हैं। इस संहिता में यह निहित नहीं है कि ECI क्या कर सकता है; इसमें केवल उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों एवं सरकारों के लिये दिशा-निर्देश शामिल हैं। इस प्रकार ECI के पास चुनाव से जुड़ी शक्तियों की प्रकृति और विस्तार को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है।
- आदर्श आचार संहिता को लेकर कोई कानूनी प्रावधान नहीं: ज्ञातव्य है कि आदर्श आचार संहिता राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति पर आधारित है। इसके लिये कोई भी कानूनी प्रावधान नहीं किया गया है। इसके पालन हेतु कोई वैधानिक व्यवस्था नहीं है और इसे निर्वाचन आयोग द्वारा केवल नैतिक एवं संवैधानिक अधिकारों के तहत लागू किया जाता है।
- अधिकारियों का स्थानांतरण: राज्य सरकारों के अधीन ऐसे अधिकारी, जो चुनाव के दौरान ECI के कार्य से संबंधित होते हैं, का अचानक स्थानांतरण भी आयोग के कामकाज को बाधित करता है।
- मोहिंदर सिंह गिल मामले में, न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया था कि ECI अनुच्छेद 324 से तभी शक्ति प्राप्त कर सकता है जब उस विशेष विषय से जुड़ा कोई अन्य कानून मौजूद न हो। (हालाँकि, अधिकारियों का स्थानांतरण इत्यादि संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत बनाए गए नियमों द्वारा नियंत्रित होता है तथा निर्वाचन आयोग अनुच्छेद 324 द्वारा प्राप्त शक्ति के तहत इसकी उपेक्षा नहीं कर सकता।)
- अन्य कानूनों के साथ टकराव: MCC की घोषणा के पश्चात मंत्री किसी भी रूप में वित्तीय अनुदान, जैसे- सड़कों के निर्माण, पेयजल सुविधाओं का प्रावधान या सरकार में किसी भी पद पर तदर्थ नियुक्ति आदि की घोषणा नहीं कर सकते हैं।
- जबकि, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 (2) (b) के अनुसार, किसी भी सार्वजनिक नीति की घोषणा या कानूनी अधिकार के प्रयोग को मुक्त एवं निष्पक्ष चुनाव में हस्तक्षेप नहीं माना जाएगा। इसके अलावा, चुनाव की प्रक्रिया को बाधित करने वाले उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करने की शक्ति नहीं है। अधिक-से-अधिक यह संबंधित मामले को पंजीकृत करने के लिये निर्देश कर सकता है।
निष्कर्ष
ECI ने कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्धता से भारतीय जनमानस के बीच लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक संस्थाओं के प्रति एक विश्वास पैदा किया है। यद्यपि कानूनी मापदंडों के अस्पष्ट क्षेत्रों में संशोधन किया जाने की आवश्यकता है ताकि ECI मुक्त और निष्पक्ष चुनावों के माध्यम से लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुनिश्चित कर सके।