नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    सभी मनुष्य सुख की कामना करते हैं। क्या आप इस बात से सहमत हैं? आपके लिये सुख का क्या मतलब है? उदाहरण सहित समझाइये। (150 शब्द)

    30 Sep, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • एपिकुरियन द्वारा दी गई सुख की अवधारणा बताते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि आपके लिये सुख का क्या मतलब है।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    एपिकुरस ने सुख की खोज को जीवन का मुख्य उद्देश्य माना है। उसका मानना था कि सुख अपने आप में एक अंत है और यही एकमात्र अच्छाई है। किसी भी प्रकार का दुख एक बुराई है। एपिकुरियंस के लिये सुख प्रदान करने वाली प्रत्येक गतिविधि नैतिकता की श्रेणी में आती है। सदाचार का कोई आंतरिक मूल्य नहीं है; यह उस आनंद से मूल्य प्राप्त करता है जो पुण्य कार्यों के साथ होता है।

    • एपिकुरस की तीन अवस्थाएँ हैं जिन्हें सुख का संघटक माना जाता है।
      • सुख के कारक
      • भय से मुक्ति (एटारैक्सिया)
      • शारीरिक दर्द की अनुपस्थिति (अपोनिया)

    प्रारूप

    • एपिक्यूरिज़्म की एक सकारात्मक बात यह है कि यह सुख के विभिन्न पहलुओं को विस्तृत या स्पष्ट करता है। सुख का मतलब क्षणिक शारीरिक या मानसिक सुख नहीं है। सुख वह है जो जीवनभर बना रहता है। मानव को क्षणिक सुखों से बचना चाहिये, जो अक्सर बाद में अधिक दुख का कारण बन सकते हैं।
    • मानव को विशेष सुखों और इच्छाओं का गुलाम नहीं होना चाहिये। उसे अपनी महत्त्वाकांक्षाओं में महारत हासिल करनी होगी। उसे वर्तमान सुखों को त्यागने की ज़रूरत है जो भविष्य में दुख की ओर ले जाते हैं। इसके साथ ही भविष्य के आनंद के लिये वर्तमान दर्द से गुज़रने के लिये तैयार रहना चाहिये।
    • हालाँकि सुख की एपिकुरियन अवधारणा को अक्सर नकारात्मक कहा जाता है। सुख न तो सक्रिय आनंद है और न ही झुनझुनी उत्तेजना। एपिकुरियनवाद ने दुख की अनुपस्थिति, मानसिक शांति और डर तथा चिंताओं से मुक्त शांत आत्मा की उपस्थिति की मांग की। दर्द का न होना अपने आप में आनंद है, वास्तव में अंतिम विश्लेषण में सबसे सच्चा सुख है।" सक्रिय आनंद मानव पहुँच से परे है; मनुष्य को दुख से बचना चाहिये और शांत एवं संतुष्ट जीवन जीना चाहिये।

    संतुलित दृष्टिकोण रखना महत्त्वपूर्ण है

    • जो तुम्हारे पास नहीं है उसे चाह कर जो तुम्हारे पास है उसे मत बिगाड़ो; याद रखें कि अब आपके पास जो कुछ है वह उन चीजों में से एक था जिसकी आप केवल आशा करते थे।
    • जो थोड़े से संतुष्ट नहीं है, वह किसी भी चीज़ से संतुष्ट नहीं है।
    • हर दिन अपने रिश्तों में खुश रहने से हम हिम्मत का विकास नहीं करते। हम इसे कठिन समय और चुनौतीपूर्ण प्रतिकूल परिस्थितियों से बचकर विकसित करते हैं।
    • इसलिये हमें उन चीजों का पीछा करना चाहिये जो सुख का कारण बनती हैं, यह देखते हुए कि जब सुख मौजूद होता है, तो हमारे पास सब कुछ होता है; लेकिन जब यह अनुपस्थित होता है तो हम इसे हासिल करने के लिये सब कुछ करते हैं।
    • जीवन की खुशियों का भरपूर आनंद लेने के लिये संयमित रहें।

    निष्कर्ष

    गांधीजी के शब्दों में- सुख तब है जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, उसमें सामंजस्य हो।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow