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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्राकृतिक कानून नैतिकता से आप क्या समझते हैं? नैतिकता की इस शाखा की आलोचना क्यों की जाती है? उदाहरण सहित विवेचना कीजिये। (150 शब्द)

    23 Sep, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • प्राकृतिक कानून नैतिकता से क्या अभिप्राय है और यह कैसे प्राकृतिक मूल्यों को बढ़ावा देती है, के बारे में लिखते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • नैतिकता की इस शाखा के नकारात्मक पक्ष बताते हुए विवेचना कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    • प्राकृतिक कानून दर्शन पूरी तरह से मध्ययुगीन दार्शनिक सेंट थॉमस एक्विनास द्वारा विकसित किया गया था। एक्विनास का कहना है कि प्रत्येक प्राकृतिक वस्तु का एक प्राकृतिक उद्देश्य या कार्य होता है।
      • उदाहरण के लिये हृदय का उद्देश्य रक्त का संचार करना है।
    • जब प्राकृतिक वस्तुएँ अपने उद्देश्यों को पूरा करती हैं, तो परिणामी स्थिति हितकर होती है लेकिन जब प्राकृतिक वस्तुएँ अपने प्राकृतिक कार्यों को करने या अपने प्राकृतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने में असमर्थ होती हैं, तो परिणामी स्थिति अवांछनीय होती है।

    प्रारूप

    प्राकृतिक कानून नैतिकता को बढ़ावा देता है

    • प्राकृतिक मूल्यों की पहचान करता है: प्राकृतिक कानून सिद्धांत प्राकृतिक मूल्यों की पहचान करता है, जिसमें मनुष्य की सहज इच्छा और आवश्यकता के साथ-साथ जो कुछ भी ब्रह्मांडीय व्यवस्था एवं उसके कानूनों के अनुरूप है, उसे शामिल करता है।
      • इसके बाद यह उन प्राकृतिक मूल्यों की पहचान करता है जो नैतिक रूप से अच्छे हैं और इन्हें बढ़ावा देना हमारा नैतिक दायित्व है। इन वस्तुओं में मानवीय कारक विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण हैं और हम जो कुछ भी करते हैं उसका मार्गदर्शन और निर्देशन करना चाहिये।
      • हालाँकि प्राकृतिक कानून का किसी धर्म से संबंध नहीं है, एक्विनास ने कहा कि संपूर्ण ब्रह्मांड ईश्वर की एक अच्छी और तर्कसंगत रचना है।
      • इसका उद्देश्य प्राकृतिक मूल्यों की अंतर्निहित अच्छाई के साथ-साथ इस तथ्य को उजागर करना है कि हम प्राकृतिक दुनिया की संरचना की खोज कर सकते हैं।
    • जीवन का संरक्षण: सभी जीवित वस्तुएँ जीवन को संरक्षित करने के प्राकृतिक मूल्यों को साझा करती हैं। जीवित वस्तुएँ अंततः समाप्त हो जाती हैं लेकिन जब तक वे जीवित रहती हैं, उनका कार्य जीवन को बनाए रखने के उद्देश्य की पूर्ति करना है।
      • चूँकि जीवन एक प्राकृतिक मूल्य है, इसे संरक्षित करने का प्रयास करना अच्छा है। मानव जीवन (वास्तव में सभी जीवन) को संरक्षित करने का कर्तव्य प्राकृतिक कानून नैतिकता के लिये बुनियादी है और इसे नैतिकता के अन्य दृष्टिकोणों से अलग करता है।
    • सामाजिक व्यवस्था को बढ़ावा देना: चूँकि मानव जाति का संरक्षण मनुष्य के प्राकृतिक कार्य का हिस्सा है, इसलिये मनुष्य को ऐसे काम करने चाहिये जो मानवता के से संबंधित उचित कार्य को बढ़ावा दें।
      • जैसे-जैसे मनुष्य एक सुव्यवस्थित समाज में फलता-फूलता है, यह आवश्यक हो जाता है कि हम नैतिकता के साथ ऐसे काम करें जो सामाजिक व्यवस्था को बढ़ावा दें। फलतः सत्य बोलना, अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करना और परस्पर विश्वास को बढ़ावा देने जैसे अन्य कार्य नैतिक कर्त्तव्य की श्रेणी में आते हैं।
    • जब्ती का सिद्धांत और दोहरे प्रभाव का सिद्धांत: प्राकृतिक कानून नैतिकता यह स्वीकार करती है कि कुछ परिस्थितियों में व्यक्ति को अपने जीवन से वंचित होना पड़ सकता है। यदि कोई पागल हत्यारा भगदड़ मचा रहा है, तो पुलिस द्वारा उसकी हत्या करना उचित होगा। जब्ती के सिद्धांत के आधार पर पुलिस की कार्रवाई को जायज ठहराया जाएगा।

    प्राकृतिक कानून नैतिकता की आलोचना

    • प्राकृतिक उद्देश्य और कार्यों को बढ़ावा देना हमेशा वांछनीय नहीं हो सकता है। मादा मच्छर के काटने से मलेरिया फैलता है। इन मच्छरों के आवास को नष्ट करने के लिये विभिन्न उपाय किये जाते हैं। लेकिन ऐसे उपाय प्राकृतिक कानून नैतिकता का उल्लंघन प्रतीत हो सकते हैं।
      • एक अन्य उदाहरण ज़हरीले खरपतवारों को हटाना हो सकता है।
    • प्रकृति की कई विशेषताएँ अनाकर्षक हैं। उदाहरण के लिये जानवरों के पारिस्थितिक तंत्र में कई शिकारी और उनके शिकार होते हैं। हत्या और हिंसा प्राकृतिक जीवन का प्रतीक है।
    • डार्विन के अनुसार, प्रजातियों के प्राकृतिक विकास में प्रजातियों के बीच अस्तित्व के लिये संघर्ष शामिल है। अक्सर इस प्रक्रिया में कमज़ोर सदस्यों को हटा दिया जाता है।
      • इसलिये प्राकृतिक प्रक्रियाएँ नैतिक रूप से स्वीकार्य सिद्धांत नहीं दे सकती हैं।
    • प्राकृतिक कानून सिद्धांतों के साथ एक और समस्या यह है कि वे वही चुनते हैं जिसे वे प्राकृतिक मानते हैं।
    • मृत्यु भी प्रकृति का ही एक अंग है लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि हमें कुछ परिस्थितियों में मौत को बढ़ावा देना चाहिये या जल्दबाजी करनी चाहिये।
    • प्राकृतिक कानून नैतिकता इस सुझाव का विरोध करती है। कई लोग अपनी स्थिति को नैतिक रूप से उचित मानेंगे लेकिन यह प्राकृतिक प्रक्रियाओं और कार्यों के पक्ष में उनके दृष्टिकोण के साथ असंगत हो सकता है।

    निष्कर्ष

    प्राकृतिक कानून सिद्धांत के बारे में दिलचस्प बात यह है कि इसमें परिणामवादी और नितांत दोनों घटक शामिल हैं और इसलिये कांटियनवाद और उपयोगितावाद दोनों के लिये यह एक विकल्प प्रस्तुत करता है। प्राकृतिक कानून सिद्धांत में परिणाम, उद्देश्य और नैतिक सिद्धांत सभी की भूमिका है।

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