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प्रश्न :
अभिषेक सिंह एक प्रभावशाली ज़मींदार परिवार से हैं। दिल्ली के एक शीर्ष कॉलेज से शिक्षा प्राप्त करने के कारण उन्होंने सिविल सेवाओं में चयन को अपना लक्ष्य बनाया और IRS में चयनित हुए तथा एक आयकर अधिकारी के रूप सिविल सेवा में शामिल भी हो गए। सिविल सेवा की एक महत्त्वपूर्ण शाखा में शामिल होने के बावजूद वह मित्रों के साथ डिस्को और नाइट क्लबों में जाने तथा शराब पीने की अपनी प्रवृत्ति को नियंत्रित नहीं कर सके।
हाल के दिनों में उन्होंने प्रत्येक सप्ताहांत पर बाहर जाना शुरू किया है और सोमवार को समय पर कार्यालय नहीं पहुँच पाते हैं। शुक्रवार के दिन वह काम में मन नहीं लगा पाते। संयोग ऐसा होता है कि उनका सप्ताहांत गुरुवार से ही शुरू हो जाता है। सोमवार की सुबह कार्यालय में उपस्थित होना उनके लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि उस दिन आयुक्त द्वारा पिछले सप्ताह के दौरान प्राप्त परिणामों की समीक्षा की जाती है और साथ ही आगामी सप्ताह के लिये योजना बनाई जाती है। प्रत्येक सोमवार को कार्यालय में देर से पहुँचने पर वह इस देरी का कारण समझाने की कोशिश करते हैं और कई मनगढ़ंत कहानियाँ बनाते हैं। उनका समग्र कार्य प्रदर्शन अच्छा होने के कारण उच्च अधिकारियों के समक्ष उनकी कोई नकारात्मक छवि नहीं है लेकिन उनके तत्काल अधीनस्थों को पता है कि वह सोमवार को देर से क्यों आते हैं और कहानियाँ सुनाते समय क्यों मुस्कुराते हैं।
इस मामले में कौन-से नैतिक मुद्दे शामिल हैं? अभिषेक के पास कौन-से विकल्प उपलब्ध हैं और इनमें सबसे उपयुक्त विकल्प कौन-सा है?
17 Sep, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़उत्तर :
परिचय
दिया गया मामला सार्वजनिक सेवा के कामकाज को कमज़ोर करने वाली व्यक्तिगत जीवन शैली के मुद्दे को प्रकट करता है।
प्रारूप
इस मामले में निहित नैतिक मुद्दे
- आचार संहिता के विरुद्ध: IRS अभिषेक सिंह की ज़िम्मेदारी है कि वह निर्धारित समय में कार्यों को पूरा करें और संगठन के नियमों और विनियमों का पालन करें।
- लेकिन उनका देर से आना, खासकर सोमवार को सेवा की आचार संहिता के विरुद्ध है।
- यहाँ तक कि देर से कार्यालय पहुँचना और इसके कारणों के बारे में झूठ बोलना नैतिक रूप से (आचार संहिता) भी सही नहीं है।
- गलत मिसाल कायम करें: कार्यालय में उसका आचरण और सोमवार को देरी से उपस्थित होना उसके अधीनस्थों को हतोत्साहित कर सकता है और कार्यालय में गलत मिसाल कायम कर सकता है।
- इस मामले में पेशेवर नैतिकता को प्रभावित करने वाली व्यक्तिगत जीवन शैली।
उपलब्ध विकल्प
- अभिषेक ऑफिस के बाहर जो कुछ भी कर रहे हैं वह उसके निजी जीवन का हिस्सा है और उसके आधिकारिक आचरण पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है।
- मामला अभिषेक के निजी जीवन से जुड़ा हो सकता है, लेकिन इससे उसके आधिकारिक प्रदर्शन में कमी आने की संभावना है। यह आधिकारिक आचार संहिता का भी उल्लंघन हो सकता है।
- यह आयकर आयुक्त की ज़िम्मेदारी है कि वह अभिषेक को अनुशासित करे और सुनिश्चित करे कि वह समय पर बैठकों में भाग ले।
- तथ्य यह है कि अभिषेक कई बार देरी से आने का कारण समझाने के लिये झूठ बोलने में सक्षम है, यह दर्शाता है कि वह स्मार्ट है।
विकल्पों का मूल्यांकन
- पहले विकल्प का समर्थन नहीं किया जा सकता है। मूल रूप से यह विकल्प कुछ हद तक बिगड़ी हुई जीवन शैली वाले एक युवक को एक ज़िम्मेदार जीवन शैली वाले लोक सेवक में परिवर्तन करने में सक्षम नहीं है।
- जब वह छात्र था तो उसकी जीवनशैली से किसी ओर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था लेकिन एक लोकसेवक के रूप में उसकी यह जीवनशैली जल्द ही उसके विभाग के लिये चिंता का विषय बन जाएगी। अतः अभिषेक को जितनी जल्दी इस बात का एहसास होगा उसके लिये उतना ही अच्छा होगा।
- उसकी जीवन शैली भोगवादी है और उसमें विवेक और संयम का अभाव है।
- यहाँ अरस्तू की स्वर्णिम माध्य (गोल्डन मीन) की अवधारणा और विवेक के मूल्य को याद किया जा सकता है। भले ही अभिषेक विरासत में मिली संपत्ति के कारण एक असाधारण जीवन शैली का खर्च उठा सकता है, लेकिन उसने जो आदतें विकसित की हैं, वे समस्याओं से भरी हैं।
- उसके कार्यालय पहुँचने में देरी से पता चलता है कि उसके व्यवहार से उसके आधिकारिक अनुशासन पर असर पड़ रहा है।
- दूसरा विकल्प उपयुक्त है। उसकी जीवनशैली ने उसके आधिकारिक अनुशासन को कमज़ोर करना शुरू कर दिया है। वह झूठ बोलने की बुरी आदत भी पैदा कर रहा है। समय का पाबंद होने के बजाय वह मनगढ़ंत कहानियाँ गढ़ रहा है।
- यह लंबे समय तक काम नहीं कर सकता। उसकी कमज़ोरी हमेशा के लिये छिपी नहीं रह सकती है और जब कार्यालय में उसकी इन आदतों के बारे में पता चलेगा तो वह विश्वसनीयता खो देगा, जो कि पहले से ही हो रहा है।
- जब झूठ का बोझ भारी हो जाता है तो व्यक्ति भरोसेमंद नहीं रह जाता है और दूसरों की नज़र में उसका सम्मान कम हो जाता है।
- जब ऐसा होता है तो व्यक्ति किसी भी नेतृत्त्व की भूमिका के लिये अयोग्य हो जाता है जैसे कि सिविल सेवकों से ग्रहण करने की उम्मीद की जाती है।
- सिविल सेवकों से व्यक्तिगत जीवन में शालीनता से व्यवहार करने की अपेक्षा की जाती है और धोखाधड़ी एक स्वीकार्य गुण नहीं है। यह उन्हें ब्लैकमेल और घोटालों के जोखिम में डाल सकता है जिससे जनहित को खतरा हो सकता है। अभिषेक का व्यवहार नैतिक अधमता का एक रूप है और लोक सेवकों के आचार संहिता का उल्लंघन करता है।
- यह सच है कि आयकर आयुक्त को अनुशासन लागू करना होता है। लेकिन अभिषेक एक वरिष्ठ अधिकारी है और उसे अनुशासित व्यवहार में ज़बरदस्ती होने की प्रतीक्षा करने के बजाय आधिकारिक अनुशासन और प्रोटोकॉल का ध्यानपूर्वक पालन करना चाहिये।
- चौथी प्रतिक्रिया अनुचित है। एक नैतिक रूप से बुरा कार्य या व्यवहार भले ही आत्मविश्वास और शैली के साथ किया गया हो, उसकी निंदा की जानी चाहिये। नैतिक आचरण और कार्यों में प्रदर्शित होने वाली स्मार्टनेस की प्रशंसा या उसे स्वीकार किया जाना चाहिये।
निष्कर्ष
अभिषेक की यह ज़िम्मेदारी है कि वह संगठन के नियमों और आचार संहिता को बनाए रखें और उनका पालन करें ताकि दिन-प्रतिदिन के व्यवसाय प्रभावित न हों। उसे जनहित के प्रति अधिक संवेदनशील होना चाहिये।
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