धुरी राज्यों के धराशायी होते ही मित्र राष्ट्रों के मध्य मित्रता भी समाप्त हो गई तथा उनके बीच तनाव, अविश्वास और घृणा का विकास हुआ जिसकी परिणति शीत युद्ध के रूप में सामने आई। परीक्षण कीजिये।
26 Apr, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास
उत्तर की रूपरेखा:
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द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सभी राष्ट्र अपने स्वार्थ-पूर्ति के लिये साथ आए थे, मित्र राष्ट्रों ने मित्रता का ज़ोरदार नारा दिया था परंतु यह मित्रता केवल साझा दुश्मन को हराने को लेकर समय की आवश्यकता थी जबकि वे हमेशा एक-दूसरे के प्रति संशय की भावना रखते थे। संदेह तथा स्वयं को शक्तिशाली दिखाने की भावना की परिणति शीतयुद्ध के रूप में हुई।
द्वितीय विश्व युद्ध में परमाणु बम के उपयोग ने यद्यपि धुरी राष्ट्रों को धराशायी कर दिया, लेकिन इसके साथ ही इसने मित्र राष्ट्रों में आपसी अविश्वास, घृणा व वैमनस्य के बीज बो दिये।
इस युद्ध में अमेरिका एवं रूस मित्र राष्ट्रों के गुट में शामिल थे, लेकिन दोनों की विचारधाराओं में कोई समानता नहीं थी। अमेरिका जहाँ पूंजीवादी विचारधारा का पोषक था, वहीं बोल्शेविक रूस समाजवादी विचारधारा का प्रहरी था।
उक्त वैचारिक भिन्नता वाले दो राष्ट्रों का एक छतरी के नीचे आना मात्र अवसरवादिता थी जो द्वितीय विश्वयुद्ध के उपरांत धराशायी हो गई।
अमेरिका ने परमाणु तकनीक का गुप्त रूप से विकास किया एवं इसे रूस से छिपाकर रखा गया। अतः युद्ध की समाप्ति पर दोनों में गहरे वैचारिक मतभेद उत्पन्न हो गए जिसने अंततः शीतयुद्ध को जन्म दिया।
शीतयुद्ध वास्तव में कोई प्रत्यक्ष युद्ध नहीं था अपितु यह वैचारिक युद्ध की तपिस की पराकाष्ठा थी जिसमें प्रत्येक क्षण की मनोदशा व्याप्त थी।
इसने विश्व को दो गुटों में बाँट दिया तथा वैश्विक समस्याओं को उनकी गुणता के आधार पर न देखकर उक्त विचारधाराओं की कसौटी पर कसकर देखा जाने लगा।
निष्कर्षतः द्वितीय विश्वयुद्ध के उपरांत मित्र राष्ट्रों के मध्य व्याप्त सतही गठजोड़ भंग हो गया।