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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    नैतिक उत्तरदायित्व से आप क्या समझते हैं? सरकारी सेवकों की आमतौर पर मान्य नैतिक ज़िम्मेदारियाँ क्या हैं? (150 शब्द)

    16 Sep, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • नैतिक उत्तरदायित्व शब्द के बारे में संक्षेप में व्याख्या करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • सरकारी सेवकों के लिये सामान्यतः मान्य नैतिक उत्तरदायित्वों की चर्चा कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    नैतिक उत्तरदायित्व किसी क्षेत्र और/या संदर्भ में प्रदत्त मानकों के अनुसार बहुत से सिद्धांतों और मूल्यों को मान्यता देने, उनकी व्याख्या करने और उनके अनुसार कार्य करने की क्षमता है।

    यह संगठन के सही और उचित व्यावसायिक व्यवहार की धारणा को दर्शाता है। ये ऐसे दायित्व हैं जो कानूनी आवश्यकताओं से परे हैं। यह संगठनों की आवश्यकता नहीं है लेकिन इनसे नैतिक रूप से व्यवहार करने की अपेक्षा की जाती है।

    प्रारूप

    आमतौर पर मान्यता प्राप्त नैतिक उत्तरदायित्व

    • नैतिक और संवेदनशील आचरण: सरकारी कर्मचारियों के कार्यों में अधिकार का प्रयोग और सेवाओं का प्रावधान शामिल है।
      • इन कार्यों के निर्वहन में सरकारी सेवकों को जनता के प्रति विचारशील, विनम्र, सही और मिलनसार होना चाहिये।
      • उन्हें विशुद्ध रूप से निजी मामलों का खुलासा नहीं करना चाहिये और नागरिकों की निजता की रक्षा करनी चाहिये।
      • उन्हें लोगों की ज़रूरतों, मूल्यों, मानदंडों और अपेक्षाओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिये।
      • उन्हें ऐसा कोई व्यवहार नहीं करना चाहिये जिससे मानवीय गरिमा का हनन हो।
      • उन्हें नैतिक रूप से अपने कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिये।
    • ईमानदारी: कर्मचारियों की ईमानदारी से तात्पर्य है कि कर्मचारियों को सार्वजनिक हित में कार्य करना चाहिये।
      • उन्हें सार्वजनिक रूप से सरकार की आलोचना नहीं करनी चाहिये।
    • आज्ञाकारिता का कर्त्तव्य: यह कर्त्तव्य सरकारी सेवकों पर निम्नलिखित उत्तरदायित्व डालता है।
      • उन्हें अपने कार्यों से संबंधित कानूनी नियमों और नैतिक दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिये।
      • उन्हें वरिष्ठों द्वारा जारी आदेशों का पालन करना होगा।
      • उन्हें कुछ भी अवैध या अनैतिक करने से संबंधित आदेशों का पालन करने की आवश्यकता नहीं है।
      • सरकार के निर्णय लेने से पहले वे मामलों का गहन विश्लेषण कर सकते हैं।
      • एक बार निर्णय लेने के बाद इसे सरकारी अधिकारियों के विचारों की परवाह किये बिना स्थापित मापदंडों के भीतर तेज़ी से और कुशलता से लागू किया जाना चाहिये।
    • दक्षता: इसका अर्थ है लक्ष्य को पूरा करने के संबंध में इष्टतम संसाधनों का उपयोग और प्रभावशीलता। ज़मीनी स्तर पर योजनाओं को लागू करने हेतु नीतियों को लागू करने की ज़िम्मेदारी सिविल सेवकों की होती है।
      • वे कानून और कार्यान्वयन के मध्य महत्त्वपूर्ण संबंध स्थापित करते हैं। इस प्रकार संसाधनों के इष्टतम उपयोग द्वारा सिविल सेवकों को परिवर्तनकारी नेतृत्त्व के ज़रिये नई ऊंँचाई प्राप्त करने के लिये प्रेरित किया जाना चाहिये।
      • जैसे: मेट्रो-मैन ’ई. श्रीधरन ने रिकॉर्ड समय में परियोजनाओं को लागू किया, जो बाद में अन्य हाई स्पीड ट्रेन परियोजनाओं के लिये एक मॉडल बन गया।
    • पारदर्शिता:
      • सरकारी अधिकारियों को निम्नलिखित के प्रति पारदर्शिता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है:
        (a) नागरिकों के बीच।
        (b) अपने स्वयं के रैंक के भीतर।
        (c) विभिन्न प्रशासनिक शाखाओं के बीच।
      • उन्हें आरटीआई एक्ट का पूरी लगन से पालन करना चाहिये।
    • निष्पक्षताः निष्पक्षता से तात्पर्य एक ऐसा मूल्य जो बिना किसी पूर्वाग्रह के वस्तुनिष्ठ आधार पर तार्किक रूप से चलने के लिये प्रेरित करे तथा किसी को मनमाने ढंग से लाभ पहुँचाने पर रोक लगाए अर्थात् यह ‘प्राकृतिक न्याय’ को संदर्भित करता है।
      • एक सिविल सेवक हेतु किसी क्षेत्र के विकास के लिये सभी संबद्ध हित समूहों, यथा- सिविल सोसायटी, एनजीओ, उद्योगपति इत्यादि से अपने प्राधिकार के अंतर्गत संपर्क स्थापित करना किंतु किसी के पक्ष में व्यक्तिगत झुकाव न रखना आवश्यक है।

    निष्कर्ष

    लोक सेवकों पर एक भारी नैतिक उत्तरदायित्व होता है क्योंकि वे सत्ता के पदों पर काबिज होते हैं, बड़ी मात्रा में सार्वजनिक धन को संभालते हैं और उनके निर्णयों का समाज तथा पर्यावरण पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।

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