'वर्तमान समय में अमेरिका, भारत के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों में से एक है।' इस कथन के आलोक में दोनों देशों के व्यापार संबंधों में मौजूदा मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- अमेरिका के साथ भारत के व्यापार से संबंधित कुछ तथ्य देकर उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- दोनों देशों के व्यापार संबंधों में विद्यमान मुद्दों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- आगे की राह बताइये।
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परिचय
संयुक्त राज्य अमेरिका उन कुछ देशों में से एक है जिनके साथ भारत का व्यापार अधिशेष है। वर्ष 2019-20 में, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 88.75 बिलियन अमेरीकी डॉलर था। हालाँकि हाल ही में अमेरिकी प्रशासन ने यह संकेत दिया है कि भारत के साथ द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को बनाए रखने में उसकी अब कोई दिलचस्पी नहीं है।
प्रारूप
व्यापार से संबंधित मुद्दे:
- टैरिफ: दोनों देश टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं के साथ ही विदेशी कंपनियों को हानि पहुँचाने वाली कई प्रथाओं और नियमों के साथ बाज़ार को नियंत्रित करते हैं।
- सामान्य प्राथमिकता प्रणाली: अमेरिका ने जून 2019 से GSP कार्यक्रम के तहत भारतीय निर्यातकों को मिलने वाले शुल्क मुक्त लाभ को वापस लेने का फैसला किया।
- सेवाएँ: भारत के लिये एक प्रमुख समस्या अमेरिका की अस्थायी वीज़ा नीतियाँ हैं, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में काम करने वाले भारतीय नागरिकों को प्रभावित करती हैं।
- भारत दोनों देशों में कार्य करने वाले श्रमिकों के सामाजिक सुरक्षा संरक्षण के समन्वय के लिये एक "समग्रीकरण समझौते" की तलाश में है।
- कृषि: भारत में ‘सैनिटरी और फाइटोसैनेटरी’ (SPS) बाधाएँ संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि निर्यात को सीमित करती हैं।
- प्रत्येक पक्ष दूसरे के कृषि समर्थन कार्यक्रमों को बाज़ार विकृति के रूप में भी देखता है।
- बौद्धिक संपदा: नवाचार को प्रोत्साहित करने और अन्य नीतिगत लक्ष्यों, जैसे-दवाओं तक पहुँच स्थापित करना आदि नियमों को संतुलित करने के लिये दोनों देशों के बौद्धिक संपदा संरक्षण नियम अलग-अलग हैं।
- भारत वर्ष 2020 में पेटेंट, विभिन्न प्रतिबंध दरों और व्यापार संरक्षण की चिंताओं के आधार पर अमेरिका की ‘स्पेशल 301’ रिपोर्ट में ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ पर बना हुआ है।
- अनिवार्य स्थानीयकरण: संयुक्त राज्य अमेरिका भारत पर इसकी अनिवार्य स्थानीयकरण प्रथाओं को लेकर दवाब बनाता रहता है।
- देश में डेटा भंडारण, घरेलू सामग्री (जैसे भारत के सौर क्षेत्र की रक्षा करने वाले कानून) और कुछ क्षेत्रों में घरेलू परीक्षण की आवश्यकताओं को बढ़ावा देने वाली विभिन्न विनिर्माण और रोज़गार आधारित पहलें।
- इलेक्ट्रॉनिक भुगतान सेवा आपूर्तिकर्त्ताओं जैसे- मास्टर कार्ड, वीज़ा आदि के लिये भारत की नई डेटा स्थानीयकरण आवश्यकताएँ।
- निवेश: निवेश बाधाओं के बारे में अमेरिका की चिंताएँ अभी भी बनी हुई हैं, ऐसे में नए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे- अमेज़ॅन और वॉलमार्ट के स्वामित्व वाले फ्लिपकार्ट के व्यवसाय पर नए भारतीय प्रतिबंध बढाए गए हैं।
- रक्षा व्यापार: अमेरिका भारत की रक्षा ऑफसेट नीति और रक्षा क्षेत्र में उच्च प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में अधिक सुधारों का आग्रह करता है।
- सामान्य प्राथमिकता प्रणाली (GSP): सामान्य प्राथमिकता प्रणाली अमेरिका का एक व्यापार कार्यक्रम है जिसे 129 लाभार्थी देशों और क्षेत्रों के 4,800 उत्पादों के लिये प्राथमिकता आधारित शुल्क मुक्त प्रविष्टि प्रदान कर विकासशील दुनिया में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने हेतु बनाया गया है।
आगे की राह:
- बहुपक्षवाद की ओर रूख: यह देखते हुए कि भारत किसी भी मेगा-व्यापार सौदे का भागीदार नहीं है, यह एक सकारात्मक व्यापार नीति एजेंडे का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा होगा।
- आर्थिक सुधार: भारत की व्यापार नीति के ढाँचे को आर्थिक सुधारों द्वारा समर्थित होना चाहिये, जिसके परिणामस्वरूप एक खुली, प्रतिस्पर्द्धी और तकनीकी रूप से नवीन भारतीय अर्थव्यवस्था हो।
- विनिर्माण में सुधार: मेक इन इंडिया पहल जैसी योजनाओं के कुशल कार्यान्वयन के माध्यम से सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी को बढ़ाने की ज़रूरत है।
- नवाचार की आवश्यकता: यदि नवाचार को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, तो शायद भारत को एक नवाचार प्रोत्साहन नीति का अनावरण करना चाहिये, क्योंकि बौद्धिक संपदा अधिकार नवाचार रूपी सिक्के का दूसरा पहलू है।
निष्कर्ष
- दोनों देशों में विशेष रूप से चीन विरोधी भावना बढ़ने के कारण द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलने की बहुत अधिक संभावना है।
- इस प्रकार वार्ताओं को विभिन्न गैर-टैरिफ बाधाओं और बाज़ार पहुँच संबंधी सुधारों पर केंद्रित करना चाहिये।