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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में स्वतंत्र मीडिया (सोशल मीडिया सहित) की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। टिप्पणी कीजिये। (150 शब्द)

    02 Sep, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • लोकतंत्र के लिये स्वतंत्र मीडिया के महत्त्व को संक्षेप में बताइये।
    • भ्रष्टाचार की रोकथाम, निगरानी और नियंत्रण में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका का विश्लेषण (गुण और दोषों के साथ) कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    एक स्वतंत्र मीडिया सूचना के प्रसारक और लोगों तथा सरकार के बीच संचार के एक चैनल के रूप में कार्य करता है। नीति प्रक्रिया में इसकी भूमिका काबिले तारीफ है। मीडिया समाज के सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक-आर्थिक पहलुओं से संबंधित जानकारी का खजाना प्रदान करके लोगों को जागरूक करता है।

    लोकतंत्र में इसे लोगों को अधिकारों के बारे में शिक्षित करने तथा समाज से संबंधित विभिन्न गंभीर मुद्दों और समस्याओं पर जागरूकता पैदा करने का काम सौंपा गया है। यह समाज के हाशिये के वर्गों को मुख्यधारा में लाने में मदद करता है।

    प्रारूप

    भ्रष्टाचार की रोकथाम, निगरानी और नियंत्रण में मीडिया की महत्त्वपूर्ण भूमिका:

    • भ्रष्टाचार को उजागर करता है: मीडिया जनता को भ्रष्टाचार के बारे में सूचित और शिक्षित कर सकता है; सरकारी, निजी क्षेत्र एवं नागरिक समाज संगठनों में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश कर सकता है तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ कोतवाली करते हुए आचार संहिता की निगरानी में मदद कर सकता है। मीडिया वाद-विवाद, खोजी पत्रकारिता, आरटीआई, स्टिंग ऑपरेशन, ओपिनियन पोल आयोजित करके भ्रष्टाचार से लड़ता है।
    • पारदर्शिता और जवाबदेहिता: मुक्त मीडिया की मदद से सूचना का प्रसार संभव है और सार्वजनिक क्षेत्र में पारदर्शिता हासिल की जा सकती है।
      • मीडिया द्वारा खोजी रिपोर्टिंग या भ्रष्टाचार की घटनाओं की रिपोर्टिंग भ्रष्टाचार पर जानकारी का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हो सकता है। इससे अधिकारियों द्वारा ऐसी रिपोर्टों का तुरंत जवाब देने, सही तथ्यों से अवगत कराने, दोषियों को पकड़ने के लिए कदम उठाने और प्रेस तथा जनता को इस तरह की कार्रवाई की प्रगति के बारे में समय-समय पर सूचित करने की कार्रवाई में तेज़ी आती है।
      • भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अज्ञानी और पिछड़ा है, यह स्वतंत्र मीडिया ही है जो उन्हें भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी प्रदान करता है और उनका पिछड़ापन दूर करता है ताकि वे प्रबुद्ध भारत का हिस्सा बन सकें।
      • मीडिया सरकार की महत्त्वपूर्ण नीतियों और कार्यक्रमों पर नज़र रखता है तथा अद्यतन करता है एवं उनके प्रभाव का आलोचनात्मक विश्लेषण करता है, जो एक स्वतंत्र और तटस्थ मीडिया के माध्यम से ही संभव है।
      • मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी कहा जाता है क्योंकि यह शासन और शासित के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करके सभी स्तरों पर शासन में भागीदारी सुनिश्चित करता है।
    • जनसाधारण को सूचना प्रस्तुत करते समय मीडिया से नैतिक मानकों को बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है क्योंकि उस्की रिपोर्टिंग का तरीका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जनता के जीवन को प्रभावित करता है। हालाँकि मीडिया की नैतिकता से जुड़े कुछ मुद्दे हैं जो इस प्रकार हैं-
      • सनसनीखेज और तुच्छीकरण ने मीडिया नैतिकता को पीछे छोड़ दिया है।
      • कभी-कभी प्रतिस्पर्द्धा के दबाव में आरोपों और सूचनाओं को सार्वजनिक करने से पहले सत्यापित नहीं किया जाता है।
      • पत्रकारों को दिये जाने वाले प्रशिक्षण का अभाव चिंता का एक और कारण है, क्योंकि डिग्री के साथ-साथ कौशल भी मीडिया प्रैक्टिशनरों के व्यक्तित्व विकास में योगदान देता है।
      • मीडिया संरचना और स्वामित्व में परिवर्तन, मीडिया का व्यावसायीकरण कई कारकों में से एक है जिसके कारण नैतिक मानकों में गिरावट आई है क्योंकि पेड न्यूज़ जैसी अनैतिक प्रथा पर सवाल नहीं उठाया जाता है।
      • मीडिया चिंता के मुद्दों के बजाय तुच्छ मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
      • समुदायों को विभाजित करना और उनके बीच गलतफहमी पैदा करना तथा तर्कसंगत एवं वैज्ञानिक सोच के प्रचार के बजाय ज्योतिष और अलौकिक जैसे प्रगतिविरोधी प्रोग्रामों का संचालन करना।
      • मीडिया संबंधी नैतिकता भी संदिग्ध है, जिसे पेड न्यूज़, राष्ट्रीय सुरक्षा पर संवेदनशील जानकारी का खुलासा, बलात्कार पीड़ितों के व्यक्तिगत विवरण का खुलासा आदि मामलों द्वारा देखा जा सकता है।

    निष्कर्ष

    मीडिया घरानों को मीडिया नैतिकता का पालन करने की आवश्यकता है।

    इस प्रकार महात्मा गांधी के शब्दों में: "पत्रकारिता का एकमात्र उद्देश्य सेवा होना चाहिये। समाचार पत्र प्रेस एक महान शक्ति है; लेकिन जिस तरह पानी की एक अनियंत्रित धारा पूरे देश को डुबा देती है और फसलों को तबाह कर देती है, वैसे ही एक अनियंत्रित कलम अत्यंत विनाश कर सकती है। यदि नियंत्रण बाहर से है, तो यह नियंत्रण के अभाव से अधिक ज़हरीला साबित होता है। यह तभी लाभदायक हो सकता है जब इसे भीतर से प्रयोग किया जाए।"

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