“भारतीय बच्चों में मोटापे की समस्या गंभीर रूप धारण कर चुकी है।” इस समस्या से जुड़ी चुनौतियाँ कौन-सी हैं? इन चुनौतियों से निपटने के उपाय सुझाएँ।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा
- प्रभावी भूमिका में बच्चों में मोटापे की समस्या की स्थिति को स्पष्ट करें।
- तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु में चुनौतियों और समाधान के उपायों को बताएँ।
- प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
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अस्वास्थ्यकर भोजन, वसा, चीनी और नमक (जंक फूड, प्रोसेस्ड भोजन) की अधिकता तथा अनियमित दिनचर्या और अनुचित जीवन-शैली जैसे- टीवी, इंटरनेट, कंप्यूटर व मोबाइल गेम्स में अधिक समय तक लगे रहने से आउटडोर खेल उपेक्षित हुए हैं, जिसके कारण भारत के बच्चों में मोटापा एक गंभीर समस्या के रूप में प्रकट हुई है। मोटापे से ग्रस्त बच्चों की सर्वाधिक संख्या के मामले में चीन के बाद भारत की गणना होती है। बच्चों में मोटापे की वैश्विक स्थिति का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि 1980 के बाद से विश्व के लगभग 70 देशों में बच्चों के मोटापे के मामले दोगुने हो गए हैं।
ह्रदय संबंधी रोगों की शुरुआत ही मोटापे से होती है। इससे हाई ब्लड प्रेशर, टाइप 2 डायबिटीज, गॉल स्टोन, अस्थमा, लड़कियों में पॉलीसिस्टिक ओवरी, घबराहट और तनाव, नींद में बार-बार रुकावट, आत्मविश्वास की कमी और सामाजिक गतिविधियों से हटना आदि सभी मोटापे के कुप्रभाव हैं।
भारतीय बच्चों में मोटापे से जुड़ी चुनौतियाँ-
- भारत में खाद्य पदार्थों का निम्नस्तरीय मानकों द्वारा विनियमित होना एक बड़ी समस्या है। कई खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट की निर्धारित सीमा वैश्विक मानकों की तुलना में कहीं अधिक है। हाइड्रोजनीकृत तेल (डालडा) का खाद्य पदार्थों में अधिक इस्तेमाल मोटापे की समस्या को बढ़ा रहा है और इस संबंध में कोई सख्त नियम या निगरानी व्यवस्था की कमी है।
- पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर चीनी, नमक अथवा सोडियम की मात्रा संबंधी जानकारी की अनिवार्य लेबलिंग की व्यवस्था नहीं है।
- शिक्षा व्यवस्था और जीवन-शैली में तकनीक जैसे- मोबाइल व कंप्यूटर पर बढ़ती निर्भरता ने शारीरिक गतिविधियों पर विराम-सा लगा दिया है। बच्चों का ज़्यादातर समय इन गैजेट्स के साथ ही गुज़रता है।
उपाय-
- भारतीय बच्चों को उचित खाद्य पदार्थों और मोटापे से संबंधित जानकारी तो है, पर उसे वे जीवन-शैली में शामिल नहीं करना चाहते। उनकी जानकारी और व्यवहार में अंतर को ख़त्म करने के लिये उन्हें एक स्वस्थ जीवन-शैली और खाद्य-आदतें अपनाने के लिये प्रेरित करना चाहिये।
- खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता, पैकेजिंग और प्रचार के लिये सख्त नियमों का निर्माण और क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
- उच्च वसा और चीनी वाले खाद्य पदार्थों पर अधिक कर आरोपित किया जाना चाहिये।
- विद्यालयों के स्तर पर भी यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि विद्यालय परिसर के समीप कोई जंक फूड स्टाल न लगा हो, साथ ही अभिभावकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि वे बच्चों के टिफिन में कभी भी जंक फूड न रखें।
बचपन में मोटापे से ग्रस्त बच्चों में बड़े होकर भी अनेक समस्याएँ बनी रहती हैं। यदि देश अपने डेमोग्राफिक डिविडेंड का लाभ उठाना चाहता है तो बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिये जाने की ज़रूरत है क्योंकि स्वस्थ बच्चे ही स्वस्थ नागरिक बनकर देश के विकास में सहभागी बन सकते हैं।