'लोगों को उन देशों में वापस नहीं भेजा जाना चाहिये जहाँ उन्हें उत्पीड़न या गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ सकता है।' शरणार्थियों की नैतिकता के संदर्भ में इस कथन पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- हाल के वर्षों में उत्पन्न शरणार्थी संकट के बारे में संक्षेप में लिखते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- शरणार्थियों से संबंधित नैतिकता पर चर्चा कीजिये और उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिये, यह भी बताइये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
दुनिया में अपने घरों से बेघर होने को मज़बूर होने वाले लोगों की संख्या में अब तक की सबसे बड़ी और सबसे तेज़ी आई से वृद्धि देख रही है। लाखों लोग सीरिया, इराक, अफगानिस्तान और यूक्रेन में संघर्ष से भाग रहे हैं, साथ ही दक्षिण पूर्व एशिया और उप-सहारा अफ्रीका के क्षेत्रों में उत्पीड़न के कारण द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से विस्थापन का उच्चतम स्तर बना हुआ है।
गंतव्य देश में इन शरणार्थियों के बसने से स्थानीय लोगों में घृणा की भावना पैदा होती है और राजनीतिक नेता स्थानीय लोगों की भावनाओं से प्रेरित होते हैं, अतः वे शरणार्थियों को बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित करते हैं।
प्रारूप
- शरणार्थी नैतिकता का महत्त्व: शरणार्थी नैतिकता इस बात की अंतर्दृष्टि प्रदान करती है कि राष्ट्र और अन्य संस्थाएं अन्य शरणार्थियों तथा अन्य देशों के प्रवासियों के साथ कैसा व्यवहार करती हैं।
- मानवाधिकार: शरणार्थी नैतिकता यह सुनिश्चित करती है कि प्रवासियों और शरणार्थियों को बुनियादी मानवाधिकार मिले। दुनिया की कोई सीमा या राजनीतिक व्यवस्था उन अधिकारों को नहीं छीन सकती।
- राजनीतिक नेताओं के साथ-साथ स्थानीय आबादी को शरणार्थियों के लिये सहानुभूति दिखाना और दया दिखाना चाहिये।
- भेदभाव न करना: शरणार्थी नैतिकता विदेशी देश में गरीब शरणार्थियों के प्रति भेदभाव का विरोध करती है तथा उनके साथ गरिमापूर्ण व्यवहार को बढ़ावा देती है।
- सामूहिक समाधान: यह समाधान तक पहुँचने के लिये प्रभावित देशों के बीच सहयोग और चर्चा को बढ़ावा देता है। जनता की भलाई के लिये यह मज़बूत नेतृत्त्व और समर्पण को भी बढ़ावा देती है।
- सहिष्णुता में वृद्धि: शरणार्थी नैतिकता प्रवासियों के मूल देश में कमज़ोर वर्गों के प्रति सहिष्णुता और करुणा को बढ़ावा देती है।
शरणार्थियों हेतु निम्नलिखित उपाय किये जाने की आवश्यकता है:
- बुनियादी मानवीय ज़रूरतों का प्रावधान: सभी शरणार्थियों के लिये एक सुरक्षित आश्रय सुनिश्चित करने और उनकी बुनियादी ज़रूरतों यानी भोजन, कपड़े, आश्रय और चिकित्सा सहायता तक पहुँच सुनिश्चित हो।
- सामूहिक कार्रवाई: शरणार्थियों के पुनर्वास और कल्याण हेतु बहुराष्ट्रीय संगठन से शरणार्थियों और देशों को निरंतर वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिये।
- संगठन से वित्तीय सहायता के साथ अन्य विकासशील/द्वीपीय देशों में स्थायी सुरक्षित आश्रयों का शांतिपूर्वक अन्वेषण करना।
निष्कर्ष
मानवता हमें क्षुद्र आत्म और राष्ट्रीय चरित्र से ऊपर उठना तथा वसुधैव कुटुम्बकम- 'दुनिया एक परिवार है' के विचार को बढ़ावा देना सिखाती है। अतः सभी मानवों को एक समान मानकर उनसे उचित व्यवहार किया जाना चाहिये।