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प्रश्न :
किसान और उनके परिवार महीनों से दिल्ली की अंतर्राज्यीय सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, इन्होंने सरकार के नए कृषि कानूनों के विरुद्ध प्रदर्शन करते हुए सड़कों पर डेरा डाल दिया है क्योंकि उन्हें लगता है ये नए कृषि कानून उनकी आजीविका को बर्बाद कर देंगे।
किसान संघों और उनके प्रतिनिधियों ने मांग की है कि इन कानूनों को निरस्त किया जाए और कहा है कि वे किसी प्रकार का समझौता स्वीकार नहीं करेंगे। किसान नेताओं ने कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय के स्थगन आदेश का स्वागत किया है लेकिन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति को खारिज कर दिया है।
किसान नेताओं ने कानून को 18 महीनों के लिये निलंबित करने के सरकार के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया है। केंद्र सरकार और किसान संघों का प्रतिनिधित्व करने वाले किसानों के बीच ग्यारह दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन यह सभी अनिर्णायक रहे।
प्रदर्शनकारी किसान कभी-कभी हिंसक हो जाते हैं और शांतिपूर्ण विरोध की आड़ में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाते हैं। एक विशेष कंपनी और अन्य बुनियादी ढांचे तथा कई दूरसंचार टावर भी क्षतिग्रस्त कर दिये गए। दिल्ली की ओर जाने वाली सड़कों को विरोध स्थलों में बदल दिया गया है और प्रदर्शनकारियों द्वारा यात्रियों तथा स्थानीय आबादी वाले मार्गों को अवरुद्ध कर दिया गया है।
हालाँकि कानूनों के समर्थकों का कहना है कि सुधार की सख्त ज़रूरत है क्योंकि हज़ारों किसान संघर्ष कर रहे हैं।
इस मामले में निहित नैतिक मुद्दे क्या हैं? इनके समाधान हेतु उपलब्ध विभिन्न विकल्पों पर चर्चा कीजिये और इस मामले में आप किस प्रकार की प्रतिक्रिया देंगे, इसका भी वर्णन कीजिये।
06 Aug, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़उत्तर :
परिचय
दिया गया मामला कृषि विपणन प्रणाली में सुधार लाने के लिये सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के कारण उठाए गए मुद्दों से संबंधित है। जिसे लेकर किसानों और किसान संगठनों को आशंका है। यहाँ दुविधा यह है कि क्या अधिनियमों के कार्यान्वयन को जारी रखा जाए या किसानों की मांग के अनुसार उन्हें निरस्त कर दिया जाए।
प्रारूप
दिए गए मामले में कई हितधारक शामिल हैं और कई मुद्दों को हल करने की आवश्यकता है। इस मामले से निपटने के लिये प्रत्येक हितधारक को बहुत उच्च नैतिक मानकों को बनाए रखने और निहित स्वार्थों से परे सोचने की आवश्यकता है।
नैतिक मुद्दों में शामिल हितधारक
शामिल हितधारक नैतिक मुद्दे राज्य और केंद्र सरकारें बहस और चर्चा के लोकतांत्रिक मूल्यों (संवैधानिक मूल्य) को लागू करना और किसानों को अपना प्रतिनिधित्व करने के लिये पर्याप्त समय देना। स्थानीय प्रशासन गरीब किसानों और उनके परिवारों के प्रति सहानुभूति दिखाएँ।
न केवल प्रदर्शनकारियों के लिये बल्कि विरोध से प्रभावित स्थानीय आबादी के लिये भी बुनियादी सुविधाओं का प्रावधान करना।पुलिस दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने में निष्पक्षता बनाए रखना।
पारदर्शी रहना और प्रदर्शनकारियों द्वारा हिंसा के मामले में जाँच में कानून का शासन बनाए रखेना।किसान और उनके परिवार राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करने और सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करने तथा हिंसा को त्यागने से संबंधित मौलिक कर्त्तव्यों (अनुच्छेद 51 A (A) और (I)) का पालन करना।
प्रशासन और पुलिस की मदद कर एक अच्छा नागरिक होने का कर्तव्य निभाना और हिंसा में लिप्त दोषियों के विरुद्ध शिकायत दर्ज करना।किसान संघ किसानों के बीच मुद्दों को स्पष्ट करना तथा निहित स्वार्थ से प्रेरित न होना। किसानों के प्रति दया और सहानुभूति रखना किंतु उन्हें गुमराह न करना। किसी भी प्रभावी परिणाम के लिये विरोध को शांतिपूर्ण बनाये रखना।
उपलब्ध विकल्प
विकल्प गुण दोष 1. बल प्रयोग और अंतर्राज्यीय सीमावर्ती क्षेत्रों से प्रदर्शनकारियों को हटाना विरोध करने वाली जगहें साफ होंगी और सड़कें यात्रियों तथा स्थानीय आबादी के उपोग के लिये खुली रहेंगी।
प्रदर्शनकारियों द्वारा और कोई हिंसा नहीं होगी।
इसके पश्चात् अधिनियम भी लागू किया जा सकता है।प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ है।
बाद में बड़े विरोध और अधिक हिंसा की आशंका।
इससे किसानों की चिंता का कोइ समाधान नहीं निकल पाएगा।2. तीन कृषि अधिनियमों को निरस्त करना विरोध समाप्त होगा।
प्रदर्शनकारियों द्वारा स्थानीय आबादी हेतु उत्पन्न परेशानी खत्म होगी।कुछ सुधार अनिवार्य रूप से आवश्यक हैं और यदि अधिनियमों को निरस्त कर दिया जाता है तो भविष्य में भी ऐसे सुधार लागू करना आसान नहीं होगा।
यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के विरुद्ध भी हो सकता है।3. कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित करना लेकिन किसानों से विरोध समाप्त करने को कहना यह सभी हितधारकों को अधिनियमों के पक्षों और विपक्षों पर चर्चा करने के लिये कुछ समय देगा।
सरकार समय का सदुपयोग प्रदर्शनकारियों को मनाने में कर सकती है।
विरोध समाप्त होगा।किसान इस विचार के खिलाफ हैं जिससे गतिरोध पैदा हो रहा है।
सुधार जल्द से जल्द किए जाने की ज़रूरत है।4.
किसानों को एक नया प्रदर्शन स्थल देना और किसान संघों के साथ बातचीत करना। इतनी व्यस्त जगह से दूर स्थित नया प्रदर्शन स्थल दैनिक यात्रियों को परेशान नहीं करेगा।
किसान संघों के नेताओं के साथ बातचीत कर किसान आम सहमति पर पहुँचेंगे।प्रदर्शनकारियों को आम सहमति पर आने और धरना समाप्त करने में समय लगेगा।
ऐसी स्थितियों में प्रतिक्रिया:
- पहले दो विकल्प चरम विकल्प हैं और इन्हें नहीं अपनाया जाना चाहिये क्योंकि पहला नैतिक रूप से सही नहीं है और भारत के लोकतांत्रिक ढाँचे के विरुद्ध भी जा सकता है।
- दूसरे और तीसरे विकल्प का उपयोग मामले को सुलझाने और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध को समाप्त करने के लिये किया जा सकता है।
- किसानों को अधिनियमों के लाभों के बारे में शिक्षित करने और तीन कृषि अधिनियमों के बारे में उनकी आशंकाओं को दूर करने के लिये अनुनय का उपयोग करना लाभदायक होगा।
- मूल रूप से, किसान संघ किसानों को उनके कार्यों के बारे में बताते हैं और कभी-कभी उन्हें उनकी रुचि के अनुसार चलाते हैं।
- इस प्रकार, सरकार को बिना किसी शर्त के किसान संघों के नेताओं के साथ निरंतर बातचीत करनी चाहिये और मीडिया (अखबार, राष्ट्रीय और स्थानीय समाचार चैनलों) के साथ-साथ सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्वीटर के माध्यम से किसानों से सीधे संवाद करना चाहिये।
- हिंसा के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति होनी चाहिये और अगर प्रदर्शनकारी हिंसक होने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करते हैं तो बल का इस्तेमाल किया जाना चाहिये। साथ ही असामाजिक तत्त्वों की पहचान कर उन्हें दूर करने की ज़रूरत है।
निष्कर्ष
वर्तमान स्थिति को सुलझाना मुश्किल है। इसका एक प्रमुख कारण कृषि अधिनियमों को लाने के बारे में सरकार की मंशा से संबंधित आशंकाएं हैं जिन पर किसान सवाल उठा रहे हैं। इस प्रकार, सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि सभी किसान आर्थिक रूप से सुरक्षित और संरक्षित महसूस करें।
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