कोविड -19 महामारी के कारण शैक्षणिक संस्थानों के भौतिक रूप से बंद होने से शिक्षा की पुनर्कल्पना और इसे अभूतपूर्व तकनीकी परिवर्तन के साथ संरेखित करना अनिवार्य हो गया है। चर्चा कीजिये।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- कोविड-19 महामारी के दौरान शिक्षा प्रणाली की स्थिति बताते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- शिक्षा प्रणाली की पुनर्कल्पना और इसे अभूतपूर्व तकनीकी परिवर्तन के साथ संरेखित करने की आवश्यकता पर चर्चा कीजिये।
- शिक्षा में प्रौद्योगिकी का कुशलतापूर्वक उपयोग कैसे किया जा सकता है, इस बारे में आगे की राह बताइये।
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परिचय
वर्तमान में भारत का स्कूली शिक्षा परिदृश्य कठिन चुनौतियों का सामना कर रहा है। क्रमिक ASER सर्वेक्षणों के अनुसार, कोविड-19 महामारी से पहले भी देश शिक्षा से संबंधित परेशानियों से जूझ रहा था। महामारी इस संकट को और बढ़ा सकती है। महामारी के चलते विशेष रूप से 15.5 लाख स्कूल 1 वर्ष से अधिक समय से बंद हैं, जिसके चलते 248 मिलियन से अधिक छात्रों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
इस शिक्षा के संकट के साथ चौथी औद्योगिक क्रांति के उद्भव ने शिक्षा की पुनर्कल्पना और इसे अभूतपूर्व तकनीकी परिवर्तन के साथ संरेखित करना अनिवार्य बना दिया है।
प्रारूप
एड-टेक के माध्यम से शिक्षा की पुनर्कल्पना की आवश्यकता
- एड-टेक के इच्छित लाभ: प्रौद्योगिकी में अविश्वसनीय क्षमता है और यह मानव को इच्छित लाभ देने में भी सक्षम है, जो इस प्रकार हैं:
- शिक्षा के अधिक-से-अधिक निजीकरण को सक्षम करना।
- सीखने की दर में सुधार करके शैक्षिक उत्पादकता में वृद्धि करना।
- अवसंरचनात्मक सामग्री की लागत को कम करना और बड़े पैमाने पर सेवा प्रदान करना।
- शिक्षकों/निर्देशकों के समय का बेहतर उपयोग करना।
- महामारी से प्रेरित आवश्यकता: महामारी के कारण शिक्षा में उत्पन्न हुई बाधा ने इसमें प्रौद्योगिकी को समाहित करने की आवश्यकता को एक महत्त्वपूर्ण आधार प्रदान किया है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 निर्देश के प्रत्येक स्तर पर प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने का स्पष्ट आह्वान करती है।
- यह स्वायत्त निकाय राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच (NETF) की स्थापना की परिकल्पना करता है, जो प्रौद्योगिकी के उपयोग और इसकी स्थापना की दिशा में प्रयासों का नेतृत्व करता है।
आगे की राह
- व्यापक एड-टेक नीति: एक व्यापक एड-टेक नीति संरचना में चार प्रमुख तत्त्वों पर ध्यान दिया जाना चाहिये-
- विशेष रूप से वंचित समूहों तक शिक्षा की पहुँच प्रदान करना।
- शिक्षण, सीखने और मूल्यांकन की प्रक्रियाओं को सक्षम बनाना।
- शिक्षक प्रशिक्षण और निरंतर व्यावसायिक विकास की सुविधा।
- योजना, प्रबंधन और निगरानी प्रक्रियाओं सहित शासन प्रणाली में सुधार करना।
- प्रौद्योगिकी एक उपकरण है, रामबाण नहीं: सार्वजनिक शिक्षण संस्थान सामाजिक समावेश और सापेक्ष समानता में अनुकरणीय भूमिका निभाते हैं।
- यह वह स्थान है जहाँ सभी लिंगों, वर्गों, जातियों और समुदायों के लोग मिल सकते हैं और यहाँ किसी एक समूह को दूसरों के सामने झुकने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता है।
- इसलिये प्रौद्योगिकी स्कूलों का प्रतिस्थापन या शिक्षकों का स्थान नहीं ले सकती है। इस प्रकार यह "शिक्षक बनाम प्रौद्योगिकी" नहीं बल्कि "शिक्षक और प्रौद्योगिकी" होना चाहिये।
- एड-टेक के लिये बुनियादी ढाँचा प्रदान करना: तत्काल अवधि में एड-टेक परिदृश्य (विशेष रूप से उनके पैमाने, पहुँच और प्रभाव) को लागू करने के लिये एक सुव्यवस्थित तंत्र होना चाहिये।
- शिक्षकों और छात्रों के लिये पहुँच, इक्विटी, बुनियादी ढाँचे, शासन और गुणवत्ता से संबंधित परिणामों व चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
- डिजिटल डिवाइड को दो स्तरों - प्रौद्योगिकी का प्रभावी ढंग से उपयोग करने और इसके लाभों का लाभ उठाने के लिये पहुँच एवं कौशल को संबोधित करने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये।
- क्रॉस-प्लेटफॉर्म एकीकरण: लघु से मध्यम अवधि में नीति निर्माण और योजना प्रक्रिया को विभिन्न परियोजनाओं (शिक्षा, कौशल, डिजिटल शासन तथा वित्त) के साथ अभिसरण द्वारा सक्षम करने का प्रयास किया जाना चाहिये।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से समाधानों के एकीकरण को बढ़ावा देने और सरकार के सभी स्तरों पर सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने की भी आवश्यकता है।
निष्कर्ष
एक समग्र रणनीति से Ed-Tech के सफल अनुप्रयोग तक की यात्रा निस्संदेह लंबी होगी। इसके लिये सावधानीपूर्वक योजना बनाने, निरंतर कार्यान्वयन और परिकलित पाठ्यक्रम सुधार की आवश्यकता है। NEP 2020 के साथ आगे बढ़ने हेतु शिक्षा को प्रभावी ढंग से अधिकतम छात्रों तक पहुँचाने के लिये एक परिवर्तनकारी एड-टेक नीति समय की आवश्यकता है।