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प्रश्न :
ब्रिटिश साम्राज्यवाद के हितों द्वारा निर्देशित विदेश नीति के अनुसरण के कारण अक्सर भारत को पड़ोसी देशों के साथ संघर्ष का सामना करना पड़ता था। चर्चा कीजिये।
16 Jul, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- ब्रिटिश विदेशी नीति के लक्ष्यों का संक्षेप में उल्लेख करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- ब्रिटिश विदेश नीति के चलते संघर्ष के प्रमुख कारणों पर चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
परिचय
ब्रिटिश विदेशी नीति का उद्देश्य भारत में ब्रिटिश विस्तार और इसकी प्राकृतिक सीमाओं के बाहर क्षेत्रीय विजय प्राप्त करना था। इन साम्राज्यवादी प्रवृत्तियों का टकराव अन्य यूरोपीय साम्राज्यवादी शक्तियों से हुआ जिसके परिणामस्वरूप कई संघर्ष हुए।
प्रारूप
ब्रिटिश विदेश नीति के चलते संघर्ष के कारण
- ऐसे कई कारक थे जिन्होंने भारत सरकार को आंतरिक सामंजस्य और रक्षा के लिये प्राकृतिक, भौगोलिक सीमाओं तक पहुँचने के लिये प्रेरित किया। उदाहरण के लिये:
- देश का राजनीतिक और प्रशासनिक सुदृढ़ीकरण;
- संचार के आधुनिक साधनों से परिचय;
- इन कारकों के परिणामस्वरूप कभी-कभी सीमा पर संघर्ष होते थे।
- एशिया और अफ्रीका में ब्रिटिश सरकार के प्रमुख उद्देश्य थे:
- अमूल्य भारतीय साम्राज्य का संरक्षण;
- ब्रिटिश वाणिज्यिक और आर्थिक हितों का विस्तार;
- अन्य यूरोपीय साम्राज्यवादी शक्तियों, जिनके औपनिवेशिक हित अंग्रेज़ो के हितों के साथ संघर्षपूर्ण थे, को एशिया और अफ्रीका से दूर रखना।
निष्कर्ष
ब्रिटिश विदेश नीति के हितों ने ब्रिटिश भारत को संघर्षों में घसीटा, जबकि ब्रिटिश साम्राज्य को इससे कई लाभ प्राप्त हुए थे। इस दौरान भारत का धन खर्च करने के साथ ही भारतीयों रक्त बहाया गया किंतु इन संघर्षों का समस्त लाभ अंग्रेज़ो को मिला।
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