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प्रश्न :
लोक प्रशासन के बदलते स्वरूप और लोक सेवकों से उच्च अपेक्षाओं के साथ, सार्वजनिक क्षेत्र में आचार संहिता अधिक महत्त्वपूर्ण हो गई है। टिप्पणी कीजिये। (150 शब्द)
15 Jul, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- लोक सेवकों से अपेक्षित आचार संहिता की व्याख्या करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- लोक सेवा के क्षेत्र में आचार संहिता के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
परिचय
यह किसी व्यक्ति या संगठन के लिये व्यवहार या आचरण के नियमों, मानकों या प्रथाओं का एक समूह है जो किसी संगठन के निर्णयों, प्रक्रियाओं और प्रणालियों को इस तरह से निर्देशित करता है कि उसके हितधारकों का कल्याण हो सके।
उदाहरण के लिये भारत के चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के चुनाव के दौरान मुख्य रूप से भाषणों, जुलूस व सामान्य आचरण, मतदान दिवस, मतदान केंद्रों, विभागों, चुनाव घोषणापत्रों के संबंध में जारी दिशा-निर्देशों का एक समूह है।
इसी तरह सिविल सेवकों के लिये कर्तव्यों के पालन हेतु उनके आचरण के संबंध में नियमों का एक सेट निर्धारित किया गया है। आचार संहिता आमतौर पर लिखित दस्तावेज़ है। इसमें स्पष्ट कोड के अलावा अंतर्निहित अलिखित मानदंड भी हैं।
प्रारूप
लोक सेवा के क्षेत्र में आचार संहिता का महत्त्व
- आदर्श वाक्य "सार्वजनिक सेवा एक सार्वजनिक ट्रस्ट है" यह मानता है कि आम नागरिकों की तुलना में लोक सेवकों को कई शक्तियाँ और विशेषाधिकार प्राप्त हैं। इसलिये आचार संहिता सिविल सेवकों द्वारा सार्वजनिक शक्ति और अधिकार के प्रयोग पर विशेष दायित्व के साथ ही प्रतिबंध भी लगाती है।
- आचार संहिता इस संभावना को बढ़ाती है कि सरकारी कर्मचारी जनहित में कार्य करेंगे और अनुचित व्यवहार से बचेंगे।
- निर्धारित मानदंडों के साथ अपने आचरण की लगातार तुलना करके सिविल सेवकों को सही काम करने की आदत हो जाती है।
- आचार संहिता कुछ नैतिक मानकों के लिये सिविल सेवकों की प्रतिबद्धता को व्यक्त करती है।
- आचार संहिता लोक सेवकों के लिये मानक निर्धारित करती है और नागरिक प्रशासनिक प्रणाली के सदस्यों को अपनी विशेष ज़िम्मेदारी व्यक्त करने हेतु प्रेरित करती है।
- आचार संहिता किसी व्यक्ति के अंदर नैतिक भावना को आकर्षित करके या गलत काम के लिये पछतावे की भावना पैदा करने में प्रभावी साबित हो सकती है।
- इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी समझौतों में आचार संहिता की उपयोगिता को मान्यता दी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (2003) ने भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिये आवश्यक सार्वजनिक सेवा संहिता को मान्यता दी, जो इस प्रकार है:
- राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि उनकी सार्वजनिक सेवाएँ योग्यता, दक्षता, पारदर्शिता और भर्ती को बढ़ावा देने वाले सुरक्षा उपायों के अधीन हैं।
- एक बार भर्ती होने के बाद लोक सेवकों को आचार संहिता, वित्तीय और अन्य प्रकटीकरण की आवश्यकताओं तथा उचित अनुशासनात्मक उपायों के अधीन होना चाहिये।
निष्कर्ष
- नैतिक संहिता के आधार पर लोक सेवकों के लिये आचार संहिता बनाना आवश्यक है। वे दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
- दोनों को सुव्यवस्थित करने के लिये दूसरी प्रशासनिक सुधार समिति (एआरसी) की रिपोर्ट में अनुशंसित सुधारों को क्रियान्वित करना आवश्यक है, जैसे कि कठोर नियमबद्ध नौकरशाही को लचीला और कार्रवाई-उन्मुख नौकरशाही में बदलना।
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