वन नेशन वन राशन कार्ड योजना भारत की प्रवासी आबादी के लिये रामबाण है। समालोचनात्मक वर्णन कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना और उसके उद्देश्यों को लिखकर उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- योजना से होने वाले लाभों को लिखिये।
- योजना के कार्यान्वयन के मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
- इस योज़ना को वर्ष 2019 में राशन कार्डों की अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी (Inter-State Portability) सुविधा के तहत शुरू किया गया था।
- इस योज़ना के तहत प्रवासी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (Migratory National Food Security Act- NFSA), 2013 के लाभार्थी देश में कहीं भी अपनी पसंद के किसी भी उचित मूल्य की दुकान ( Fair Price Shop- FPS) से अपने हिस्से के खाद्यान्न कोटे की खरीद कर सकते हैं।
- ऐसा योजना के तहत पात्र व्यक्ति द्वारा आधार द्वारा प्रमाणिक अपने मौजूदा राशन कार्ड का उपयोग करके किया जा सकता है।
प्रारूप
ONORC योजना के लाभ:
- पारदर्शिता: इस योज़ना के माध्यम से खाद्यान्नों के वितरण में अधिक पारदर्शिता एवं दक्षता को बढ़ावा मिलेगा।
- पहचान: यह नकली/डुप्लिकेट राशन कार्डों की पहचान करने के लिये तंत्र को और अधिक सुद्धढ स्थिति प्रदान करेगा तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public distribution system- PDS) के लाभार्थियों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पसंद के उचित मूल्य की दुकानों से खाद्यान्न को लेने/खरीदने का विकल्प प्रदान करेगा।
- खाद्य सुरक्षा: यह योजना उन प्रवासी मज़दूरों की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करेगी, जो बेहतर रोज़गार के अवसर तलाशने हेतु दूसरे राज्यों में जाते हैं।
- सतत् विकास लक्ष्य: यह योजना वर्ष 2030 तक भूख को खत्म करने के लिये सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Developmental Goals- SDG)- 2 के तहत निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में मददगार साबित होगी।
योजना के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दे:
- राशन का वितरण: राशन का वितरण लॉकडाउन के दौरान एक मुद्दा बन गया था जब प्रवासी श्रमिकों के पास उन राज्यों में राशन कार्ड नहीं थे जहाँ वे रह रहे थे। इसके चलते प्रवासियों ने तालाबंदी के बीच अपने गाँवों की ओर रुख किया।
- लॉजिस्टिक मुद्दे: एक ‘उचित मूल्य की दुकान’ के विक्रेता को मासिक आधार पर उसके पास पंजीकृत लोगों की संख्या के अनुसार निर्धारित खाद्यान कोटे की मात्रा मुश्किल से प्राप्त हो पाती है।
- जब यह योजना पूरी तरह से लागू होगी तो इसके संचालन में विवाद उत्पन्न हो सकते हैं क्योंकि कुछ उचित मूल्य की दुकानों के क्रेताओं के पास अधिक कार्डधारक होंगे जबकि कुछ के पास लोगों के प्रवास कर जाने के कारण कार्डधारकों की कम संख्या होगी।
- आँकड़ों की कमी: राज्यों के भीतर तथा एक राज्य से दूसरे राज्य में काम की तलाश के लिये पलायन करने वाले गरीब परिवारों का तथा श्रमिकों को रोज़गार देने वाले क्षेत्रों का कोई सटीक डेटा उपलब्ध नहीं है।
आगे की राह
- ONORC के प्रदर्शन को मापने के लिये सोशल ऑडिटिंग को अनिवार्य बनाया जाना चाहिये।
- NFSA खाद्य सुरक्षा को पोषण सुरक्षा के रूप में परिभाषित करता है। इसलिये गरीब प्रवासी परिवारों के लिये एकीकृत बाल विकास सेवाओं, मध्याह्न भोजन, टीकाकरण, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य सुविधाओं की पोर्टेबिलिटी की उपेक्षा नहीं की जा सकती है और इसे पोर्टेबल बनाया जाना चाहिये।
- लंबे समय में PDS प्रणाली को गरीबों को लक्षित करते हुए एक फुल-प्रूफ फूड कूपन सिस्टम या प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है, जिसमें गरीबी रेखा से नीचे का परिवार बाज़ार में किसी भी किराना स्टोर से या तो कूपन के माध्यम से या नकद द्वारा पूरी तरह से कीमत भुगतान करके चावल, दाल, चीनी और तेल खरीद सकता है।
निष्कर्ष
वर्तमान प्रवासी संकट को प्रवासी श्रमिकों की उत्पादकता, रहने की स्थिति और सामाजिक सुरक्षा के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिये एक राष्ट्रीय प्रवास नीति विकसित करने के अवसर के रूप में देखा जाना चाहिये।