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प्रश्न :
यदि लोकतंत्र पर सोशल मीडिया के प्रभाव के बारे में कोई मूलभूत सच्चाई है तो वह यह है कि सोशल मीडिया मानवीय मंशा को बढ़ाता है चाहे वह अच्छी हो अथवा बुरी। टिप्पणी कीजिये।
08 Jul, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- लोकतंत्र पर सोशल मीडिया के प्रभाव की संक्षेप में चर्चा करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- लोकतंत्र पर सोशल मीडिया के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों की चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष के साथ उत्तर समाप्त कीजिये।
परिचय
समूचे विश्व में सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने (जैसे - विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करना, विभिन्न कारणों को लेकर एकजुट होना तथा नेताओं को जवाबदेह ठहराना) के लिये सोशल मीडिया लोगों को एक सुलभ मंच प्रदान कर रहा है।
हालाँकि गैर-विनियमित प्रकृति और झूठी खबरों के प्रसार में अपनी भूमिका के चलते सोशल मीडिया अधिप्रचार (Propaganda) को बढ़ावा देता है, अल्पसंख्यकों को लक्षित करता है, चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करता है और अंततः ये सभी मिलकर लोकतंत्र की भावना को संकट में डालते हैं।
रूपरेखा
सोशल मीडिया के सकारात्मक पहलू
- डिजिटल डेमोक्रेसी: लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास तभी हो सकता है जब लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हो। इस प्रकार सोशल मीडिया स्वतंत्रता के इन मंचों के माध्यम से डिजिटल लोकतंत्र की अवधारणा को सक्षम बनाता है।
- जवाबदेही तय करना: सोशल मीडिया एक ऐसे उपकरण के रूप में कार्य करता है जो अजेय प्रतीत होने वाली सरकारों पर सवाल उठा सकता है, उन्हें जवाबदेह बना सकता है और वर्षों में एक वोट के माध्यम से सरकार के कार्यों के प्रति संतुष्टि/असंतुष्टि व्यक्त किये जाने की भावना से अलग लोगों द्वारा संचालित निरंतर परिवर्तन ला सकता है।
- लोगों को सूचनाओं से अवगत कराना: सोशल मीडिया में लोगों को विभिन्न सूचनाओं/जानकारियों से अवगत रखने की अपार शक्ति है। उदाहरण के लिये अरब स्प्रिंग में ट्यूनीशिया जैसे स्थानों पर सोशल मीडिया ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जहाँ इसे ‘टेक्नोलॉजी ऑफ लिबरेशन’ मुक्ति की तकनीक घोषित किया गया था।
- नागरिकों की सहभागिता: नागरिक की सहभागिता या उन्हें एक-दूसरे से जोड़े रखने के संदर्भ में सोशल मीडिया के निहितार्थ बहुत गहरे हैं, क्योंकि बहुत से लोग इन प्लेटफॉर्मों पर प्रसारित समाचारों पर चर्चा करते हैं।
सोशल मीडिया के नकारात्मक पहलू
- राजनीतिक ध्रुवीकरण: सोशल मीडिया आलोचना का सबसे प्रमुख बिंदु यह है कि सोशल मीडिया एक ऐसे इको चैम्बर की तरह कार्य करता है जहाँ लोग केवल उन्ही दृष्टिकोणों को देखते हैं जिनसे वे सहमत होते हैं इनसे पृथक दृष्टिकोण रखने वालों को उस इको चैम्बर यानी एक से दृष्टिकोण को पसंद करने वाले लोगों का समूह से अलग कर दिया जाता है।
- विदेशी हस्तक्षेप: वर्ष 2016 में अमेरिका में हुए चुनावों के निकट, रूसी संस्थाओं ने सार्वजनिक भावनाओं को प्रभावित करने के लिये फेसबुक पर नकली पेज़ बनाए और प्रचार किया जो अनिवार्य रूप से सूचना हथियार के रूप में सोशल मीडिया के उपयोग को दर्शाता है।
- झूठी खबरें/फेक न्यूज़: जहाँ सोशल मीडिया लोगों द्वारा उठाई गई आवाज़ को बल प्रदान करने का कार्य करता है वहीं कभी-कभी कुछ लोगों द्वारा इसका इस्तेमाल अफवाह या गलत सूचनाओं के प्रसार हेतु भी किया जा सकता है।
निष्कर्ष
यदि लोकतंत्र पर सोशल मीडिया के प्रभाव के बारे में कोई मूलभूत सच्चाई है तो वह यह है कि सोशल मीडिया मानवीय मंशा को बढ़ाता है चाहे वह अच्छी हो अथवा बुरी। अपने सबसे अच्छे रूप में, यह हमें स्वयं की भवनों को को व्यक्त करने और कार्रवाई करने की अनुमति देता है। सबसे खराब स्थिति में, यह लोगों को गलत सूचना का प्रसार करने और लोकतंत्र की भावना को नष्ट करने की अनुमति देता है।
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