महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस अपनी अलग-अलग विचारधाराओं के बावजूद एक-दूसरे के प्रति गहरा सम्मान रखते थे। टिप्पणी कीजिये(250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस अलग-अलग विचारधाराओं को मानते थे इसके बावजूद उनके एक-दूसरे के प्रति गहरे सम्मान के संदर्भ में कुछ पंक्तियाँ लिखकर उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- गांधी और बोस के वैचारिक मतभेदों पर चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
वर्ष 1942 में गांधी जी ने बोस को "देशभक्तों के बीच राजकुमार" कहा। गांधी जी ने कहा कि नेताजी की "देशभक्ति किसी से पीछे नहीं है। उनकी वीरता उनके सभी कार्यों से चमकती है। उसने उच्च लक्ष्य रखा और असफल रहा। लेकिन कौन असफल नहीं हुआ है।” एक अन्य अवसर पर गांधी ने कहा, "नेताजी भारत की सेवा के लिये आने वाले समय के लिये अमर रहेंगे।"
जबकि बोस गांधीजी को भारतीय राष्ट्रवाद का प्रतीक मानते थे और उन्हें "हमारे राष्ट्रपिता" कहते थे।
प्रारूप
उनकी विचारधाराओं में समानताएँ:
- दोनों व्यक्तित्वों ने स्वतंत्र भारत में समाजवाद को आगे बढ़ने का मार्ग माना।
- वे दोनों धार्मिक व्यक्ति थे और साम्यवाद को नापसंद करते थे।
- उन्होंने छुआछूत के खिलाफ काम किया और महिलाओं की मुक्ति की बात की।
मतभेद:
- अहिंसा बनाम उग्रवादी दृष्टिकोण:
- गांधी अहिंसा और सत्याग्रह में दृढ़ विश्वास रखते थे जबकि बोस गांधी की अहिंसा पर आधारित रणनीति को भारत की स्वतंत्रता हेतु अपर्याप्त मानते थे। बोस का मानना था कि केवल हिंसक प्रतिरोध ही भारत से विदेशी साम्राज्यवादी शासन को खदेड़ सकता था।
- साधन और साध्य:
- बोस की नज़र कार्रवाई के परिणाम पर थी। नाजियों, फासीवादियों या बाद में शाही जापान की मदद लेना उनके लिये कोई नैतिक मुद्दा नहीं था।
- लेकिन गांधीजी कहते थे कि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये किसी भी साधन का उपयोग नहीं किया जा सकता चाहे वह अंत कितना ही वांछनीय क्यों न हो।
- सरकार के रूप में:
- प्रारंभिक लेखन में बोस ने यह राय व्यक्त की कि लोकतंत्र भारत के लिये स्वीकार्य राजनीतिक व्यवस्था है। लेकिन बाद में, ऐसा लगा कि वह इस विचार की ओर झुक गए हैं कि कम से कम शुरुआत में, राष्ट्र के पुनर्निर्माण और गरीबी तथा सामाजिक असमानता के उन्मूलन की प्रक्रिया के लिये एक लोकतांत्रिक प्रणाली पर्याप्त नहीं होगी।
- गांधी के आदर्श राज्य, रामराज्य को एक प्रतिनिधि सरकार, एक संविधान, एक सेना या एक पुलिस बल की आवश्यकता नहीं थी। गांधी केंद्रीकरण के विरोधी थे।
- सैन्यवाद:
- बोस सैन्य अनुशासन के प्रति बहुत आकर्षित थे जबकि गांधी जी कुल मिलाकर सेना के खिलाफ थे। उनका रामराज्य सत्य और अहिंसा तथा आत्म-नियमन की अवधारणा पर आधारित था
- अर्थव्यवस्था पर विचार:
- गांधी की स्वराज की अवधारणा की आर्थिक दृष्टि का अपना ब्रांड था। वह राज्य के नियंत्रण के बिना एक विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था चाहते थे जबकि बोस भारत के लिये बड़े औद्योगीकरण के पक्ष में थे।
- शिक्षा:
- गांधी अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली के खिलाफ थे और शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी के इस्तेमाल के भी खिलाफ थे।
- बोस उच्च शिक्षा के पक्षधर थे, खासकर तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में, क्योंकि वे एक औद्योगिक भारत चाहते थे।
निष्कर्ष
गांधी और बोस अपनी अलग-अलग विचारधाराओं के बावजूद एक-दूसरे के प्रति गहरा सम्मान रखते थे। हालाँकि दोनों ने स्वतंत्रता के लिये राष्ट्रीय संघर्ष में एक दूसरे द्वारा किये गए कार्यों की सराहना की और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।