लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    राजद्रोह कानून को खत्म किये जाने की आवश्यकता है क्योंकि प्रायः इसका दुरुपयोग अभिव्यक्ति और भाषण की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिये किया जाता है। चर्चा कीजिये।

    28 Jun, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • राजद्रोह कानून के बारे में संक्षेप में बताते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • राजद्रोह कानून से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    भारतीत दंड संहिता (IPC) की धारा 124A राजद्रोह के आरोपों से संबंधित है। यह धारा भारत सरकार के प्रति घृणा या अवमानना ​​लाने का प्रयास करने वाले व्यक्तियों की किसी भी गतिविधि को दंडित करने की परिकल्पना करती है।

    लेकिन राजद्रोह कानून का इस्तेमाल अक्सर सरकार के खिलाफ असंतोष को दबाने के लिये किया जाता है और हाल ही में राजद्रोह के मामलों की बढ़ती संख्या लोकतंत्र के दमनकारी दृष्टिकोण को दर्शाती है।

    प्रारूप

    राजद्रोह कानून से संबंधित विभिन्न मुद्दे

    • औपनिवेशिक विरासत: औपनिवेशिक प्रशासक ब्रिटिश नीतियों की आलोचना करने वाले लोगों पर अंकुश लगाने के लिये राजद्रोह का इस्तेमाल किया करते थे। इस प्रकार, राजद्रोह कानून का व्यापक उपयोग औपनिवेशिक युग की याद दिलाता है।
    • संविधान सभा का पक्ष: संविधान सभा राजद्रोह को भारतीय संविधान में शामिल करने के लिये सहमत नहीं थी। संविधान के सदस्यों का मत था कि यदि इसे भारतीय संविधान में शामिल किया जाता है तो यह भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करेगा।
    • सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की अवहेलना: केदार नाथ सिंह बनाम बिहार राज्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि "अव्यवस्था पैदा करने की मंशा या प्रवृत्ति, या कानून और व्यवस्था को बाधित करने, या हिंसा के लिये उकसाने वाले कृत्यों" के लिये राजद्रोह कानून को लागू किया जा सकता है।
      • हालाँकि, शिक्षाविदों, वकीलों, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्त्ताओं और छात्रों के खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगाना सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना है।
    • लोकतांत्रिक मूल्यों का दमन: मुख्य रूप से राजद्रोह कानून के कठोर और इच्छित उपयोग के कारण भारत को एक निर्वाचित निरंकुशता वाले देश के रूप में वर्णित किया जा रहा है।

    निष्कर्ष

    सरकार कानून और व्यवस्था बनाए रखने तथा भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच एक दुविधा का सामना कर रही है। इसलिये यदि सरकार राजद्रोह कानून की समाप्ति को वर्तमान परिस्थितियों में एक व्यावहारिक कदम के रूप में नहीं देखती है तो यह केवल भारत की क्षेत्रीय अखंडता के साथ-साथ देश की संप्रभुता से संबंधित मुद्दों को शामिल करते हुए राजद्रोह की परिभाषा को सीमित कर सकती है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2