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प्रश्न :
स्वतंत्रता के बाद के भारत में औपनिवेशिक विरासत के तत्त्वों की चर्चा कीजिये।
25 Jun, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- उत्तर की शुरुआत में संक्षेप में बताएं कि औपनिवेशिक विरासत क्या है।
- औपनिवेशिक विरासत के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
परिचय
भारत लगभग एक सदी तक प्रत्यक्ष ब्रिटिश प्रशासनिक नियंत्रण में था और अगस्त 1947 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त की। हालाँकि ब्रिटिश साम्राज्यवाद के इस क्षेत्र पर कई महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़े।
ब्रिटिश शासन की ये विरासत देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को प्रभावित करती रहती है।
औपनिवेशिक विरासत के तत्त्व
अंग्रेज़ी भाषा का प्रयोग: ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेज़ी ने पूरे देश के लिये आधिकारिक भाषा के रूप में कार्य किया।
- आज भी अंग्रेज़ी राजभाषा बनी हुई है। यह सामान्य बोलचाल की भाषा और उच्च शिक्षा के माध्यम के रूप में कार्य करती है।
- हालाँकि अंग्रेज़ी के उपयोग ने शहरी और ग्रामीण भारत के बीच एक आर्थिक एवं सामाजिक विभाजन पैदा कर दिया है।
ब्रिटिश शासन के तीन स्तंभ: कानून और व्यवस्था का प्रावधान ब्रिटिश शासन का एक महत्त्वपूर्ण योगदान था। इसमें नौकरशाही, पुलिस और सेना भारत में ब्रिटिश राज की रीढ़ थे।
- भारतीय प्रशासनिक सेवा के रूप में जाना जाने वाला भारतीय सिविल सेवा का उत्तराधिकारी अभी भी "स्टील फ्रेम" बना हुआ है, जिस पर स्वतंत्र राष्ट्र की स्थिरता और विकास मुख्य रूप से निर्भर करता है।
- हालाँकि आम लोगों के प्रति पुलिस का रवैया अभी भी औपनिवेशिक प्रकृति का बना हुआ है।
विभाजन: भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन सबसे बड़ी औपनिवेशिक विरासत है। जिसके कारण देशों के बीच संबंध लगातार खराब होते जा रहे हैं।
- इसके परिणामस्वरूप दक्षिण एशियाई क्षेत्र दुनिया के सबसे विघटित क्षेत्रों में से एक बना हुआ है।
- इसके अलावा कश्मीर समस्या की जड़ें भी ब्रिटिश नीतियों में है।
एक एकीकृत प्रशासनिक व्यवस्था की स्थापना: अंग्रेज़ों ने पहली बार पूरे उपमहाद्वीप को एक शाही शासन के अधीन ला दिया।
- ब्रिटिश शासन के तहत एक एकीकृत प्रशासनिक व्यवस्था संभव हो पाई और यह देश के दूर-दराज के इलाकों तक भी पहुँच गई।
- हालाँकि स्वतंत्रता के लगभग 75 वर्षों के बाद भी हम ब्रिटिश शासन के दौरान बनाए गए कई कानूनों का पालन कर रहे हैं।
निष्कर्ष
औपनिवेशिक विरासतों के कुछ प्रभाव भारत के लिये सकारात्मक थे लेकिन कई ब्रिटिश साम्राज्यवादी हितों को घरेलू हितों पर प्राथमिकता देने की परिणति विकास के एक असमान पैटर्न और कमज़ोर केंद्र सरकार के रूप में हुई।
इस प्रकार यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि विदेशी नियंत्रण की एक सदी ने देश के विकास को सकारात्मक की अपेक्षा नकारात्मक रूप से अधिक प्रभावित किया होगा।
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