वैश्वीकरण विचार, पूंजी, वस्तु एवं लोगों की आवाजाही तथा तकनीक द्वारा संचालित एक परिघटना है। चर्चा कीजिये।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- संक्षेप में वैश्वीकरण की अवधारणा को परिभाषित करके उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- वैश्वीकरण के विकास के विभिन्न चरणों की विवेचना कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
|
परिचय
वैश्वीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा लोग, वस्तुएँ और विचार आसानी से सीमाओं के पार गतिशील होते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय एक साझा भविष्य के निर्माण के लिये एक साथ आए। इसके फलस्वरूप विकास के मॉडल के रूप में वैश्वीकरण पर वैश्विक जोर दिया गया।
दशकों से वैश्वीकरण एक अवधारणा और अभ्यास दोनों के रूप में विकसित हुआ है। हालाँकि वैश्वीकरण ने वैश्विक समुदाय के लिये अवसर के साथ चुनौतियाँ भी उत्पन्न की हैं।
वैश्वीकरण का विकास
- वैश्वीकरण 1.0: यह प्रथम विश्व युद्ध से पहले का वैश्वीकरण था, जिसे व्यापार लागत में ऐतिहासिक गिरावट और उपनिवेशवाद के विस्तार द्वारा शुरू किया गया था।
- वैश्वीकरण 2.0: यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का चरण है जहाँ वस्तुओं के व्यापार को घरेलू नीतियों के साथ जोड़ा गया था।
- इसके दौरान संस्थान-आधारित, नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय शासन, विशेष रूप से UN, IMF, विश्व बैंक, GATT / WTO, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन आदि की स्थापना हुई।
- वैश्वीकरण 3.0: इसने विनिर्माण की एक नई दुनिया बनाई जिसमें उच्च तकनीक को कम मज़दूरी के साथ जोड़ा गया।
- यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थापना के माध्यम से हासिल किया गया था क्योंकि कारखाने अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर गए थे।
- इसे न्यू वैश्वीकरण, हाइपर वैश्वीकरण, वैश्विक मूल्य श्रृंखला विकास आदि नामों से जाना जाता था।
- वैश्वीकरण 4.0: चौथी औद्योगिक क्रांति (बिग डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5G, आदि) का उदय एक इलेक्ट्रॉनिक आधारित उद्योग से एक ऐसी प्रक्रिया की ओर बढ़ रहा है जो मानव और इलेक्ट्रॉनिक्स का संयोजन है।
- वैश्वीकरण 4.0 जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों से निपटने और अंतरिक्ष, क्वांटम यांत्रिकी आदि के क्षेत्र में नए रास्ते तलाशने में मदद कर सकता है।
- दूसरी तरफ, यह असमानता, बेरोज़गारी, युद्ध के नए क्षेत्र खोल सकता है (जैसे साइबर युद्ध)।
निष्कर्ष
वैश्वीकरण 4.0 के लिये हमें यह पहचानने की आवश्यकता है कि हम एक नए प्रकार की नवाचार-संचालित अर्थव्यवस्था में रह रहे हैं और जनता के विश्वास की रक्षा के लिये नए वैश्विक मानदंडों, मानकों, नीतियों और सम्मेलनों की आवश्यकता है।