पिछले कुछ दशकों से डेयरी क्षेत्र भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा के रूप में उभरा है। हालाँकि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सबसे कमज़ोर क्षेत्रों में से एक बन गया है। चर्चा कीजिये।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- डेयरी क्षेत्र के महत्त्व का संक्षेप में उल्लेख करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- डेयरी क्षेत्र के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों की चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये ।
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परिचय
डेयरी क्षेत्र भारत में सबसे बड़े कृषि व्यवसायों में से एक है और भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण योगदानकर्ता है। यह अर्थव्यवस्था में लगभग 4 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है।
डेयरी क्षेत्र का अत्याधिक महत्त्व है क्योंकि यह किसानों की आजीविका में सुधार करता है, रोज़गार पैदा करता है, कृषि औद्योगीकरण और व्यावसायीकरण का समर्थन करता है और जनता के लिये पोषण स्तर में वृद्धि करता है।
प्रारूप
डेयरी क्षेत्र से जुड़े मुद्दे
- अदृश्य श्रम: किसान पाॅंच में से दो दुधारू पशु आजीविका के लिये रखते हैं। ऐसे में परिवार के उपयोग हेतु दुग्ध उत्पादन के लिये आवश्यक श्रम परिवार की अवैतनिक या औपचारिक रूप से बेरोज़गार महिलाओं के हिस्से आता है।
- उनमें से भूमिहीन और सीमांत किसानों के पास दूध के लिये खरीदारों की कमी होने पर आजीविका का कोई विकल्प भी नहीं होता है।
- डेयरी क्षेत्र की असंगठित प्रकृति: गन्ना, गेहूँ और चावल उत्पादक किसानों के विपरीत पशुपालक असंगठित हैं और उनके पास अपने अधिकारों की वकालत करने के लिये राजनीतिक ताकत नहीं है।
- अलाभकारी मूल्य निर्धारण: हालाॅंकि उत्पादित दूध का मूल्य भारत में गेहूं और चावल के उत्पादन के संयुक्त मूल्य से अधिक है लेकिन उत्पादन की लागत और दूध के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य का कोई आधिकारिक प्रावधान नहीं है।
- अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव: भले ही डेयरी सहकारी समितियाॅं देश में दूध के कुल विपणन योग्य अधिशेष में लगभग 40 प्रतिशत का योगदान करती हैं, लेकिन वे भूमिहीन या छोटे किसानों का पसंदीदा विकल्प नहीं हैं। ऐसा इसलिये है क्योंकि डेयरी सहकारी समितियों द्वारा खरीदा गया 75 प्रतिशत से अधिक दूध अपने न्यूनतम मूल्य पर है।
- अपर्याप्त सरकारी प्रयास: अगस्त 2020 में विभाग ने भारत में 2.02 लाख कृत्रिम गर्भाधान (Artificial insemination- AI) तकनीशियनों की आवश्यकता की सूचना दी, जबकि उपलब्धता केवल 1.16 लाख है।
- किसानों को कोविड-19 के कारण आय के नुकसान की भरपाई के लिये डेयरी को मनरेगा के तहत लाया गया था। हालाॅंकि वर्ष 2021-22 के लिये बजटीय आवंटन में 34.5 प्रतिशत की कटौती की गई थी।
आगे की राह
- उत्पादकता में वृद्धि: पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल और प्रजनन सुविधाओं के साथ डेयरी पशुओं के प्रबंधन की आवश्यकता है। इससे दूध उत्पादन की लागत कम हो सकती है।
- साथ ही पशु चिकित्सा सेवाओं, कृत्रिम गर्भाधान (Artificial insemination- AI), चारा और किसान शिक्षा की उपलब्धता सुनिश्चित करके दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। सरकार और डेयरी उद्योग इस दिशा में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
- उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन बुनियादी ढाॅंचे में वृद्धि: सुरक्षित डेयरी उत्पादों के उत्पादन के लिये एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है। इसके लिये उपयुक्त कानूनी ढाॅंचा भी बनाना चाहिये।
- इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढाॅंचे की कमी को दूर करने और बिजली की कमी को दूर करने के लिये, सौर ऊर्जा संचालित डेयरी प्रसंस्करण इकाइयों में निवेश करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
यदि भारत को डेयरी निर्यातक देश के रूप में उभरना है, तो उचित उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन बुनियादी ढाॅंचे को विकसित करना अनिवार्य है, जो अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है।