'रूसो के राजनीतिक दर्शन में समाजवाद, निरंकुशतावाद और प्रजातंत्र के बीज विद्यमान थे।' टिप्पणी कीजिये।
17 Jun, 2021 रिवीज़न टेस्ट्स इतिहास
हल करने का दृष्टिकोण-
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मार्क्स के अलावा शायद ही दूसरे किसी भी चिंतक ने मानव चेतना को उतनी गहराई से प्रभावित किया जितना कि रूसो ने। रूसो की महानता 19वीं सदी तथा प्रजातंत्र के युग में चलकर स्थापित हुई। रूसो की विचारधारा से विभिन्न तत्त्वों को प्रेरणा मिली। उसके विचार में समाजवाद का तत्त्व ढूंढा जा सकता है क्योंकि उसने अरस्तू जैसे चिंतक के वर्गीय विशेषाधिकार की अवधारणा को अस्वीकार कर मानव समानता की वकालत की। जहाँ अरस्तू ने धनी व्यक्ति को ही राज्य का वास्तविक नागरिक माना था वहीं रूसो ने यह घोषित किया कि सभी लोग समान हैं क्योंकि सभी प्रकृति की संतान हैं।
दूसरी तरफ रूसो के विचार से अनजाने ही अधिनायकवादियों को भी प्रेरणा मिल गई। जैसाकि हम जानते हैं कि रूसो के द्वारा प्रतिपादित समुदाय तथा सामान्य इच्छा की अवधारणा अत्यधिक जटिल एवं अस्पष्ट है उदाहरण- एक जगह वह कहता है कि जो व्यक्ति अपना अधिकार समुदाय को समर्पित नहीं करता तो वह मानसिक दासता से ग्रस्त है और उसे इस दासता से मुक्त कराना समुदाय का दायित्व है। यहाँ एक तानाशाही शासन के लिये जगह बन जाती है। उसी प्रकार उसका यह कहना कि अगर समुदाय के अन्य लोग सामान्य इच्छा को अभिव्यक्त करने में असमर्थ हों तो सामान्य इच्छा एक व्यक्ति में भी निहित हो सकती है जो आगे चलकर रोबस्पियर जैसे अधिनायकवादी को प्रेरित करता है।
फिर भी रूसो अधिनायकवादी विचार नहीं अपितु प्रजातांत्रिक विचारों को प्रेरित करने के लिये जाना जाता है। वस्तुतः प्लेटो के काल से लेकर सभी चिंतकों ने प्रजातंत्र में अविश्वास जताया था किंतु रूसो ने इसे प्रेरित व प्रोत्साहित किया। उसने व्यक्ति के स्थान पर समुदाय के महत्व पर बल दिया तथा यह घोषित किया कि सामान्य इच्छा ही संप्रभु की इच्छा है।
निष्कर्षतः रूसो की विचारधारा व्यापक एवं विविधतापूर्ण है तथा इसमें एक साथ विभिन्न तत्त्वों का सम्मिश्रण देखा जा सकता है।