प्रयोगवाद कि प्रवृत्तियाँ किस प्रकार प्रगतिवाद से भिन्न है, उदाहरण सहित व्याख्या कीजिये।
16 Jun, 2021 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्यप्रगतिशील साहित्य का संबंध हमारे राष्ट्रीय आंदोलन से बहुत अधिक साम्य रखता है। आजादी का आंदोलन आधुनिक साहित्य की अब तक की सभी प्रमुख प्रवृतियों को प्रेरित और प्रभावित करता रहा है। प्रगतिवादी साहित्य को हम देशव्यापी आंदोलन भी कह सकते हैं। यूरोप में फासीवाद के उभार के विरुद्ध संघर्ष के दौरान इस आंदोलन का जन्म हुआ था। और भारत जैसे औपनिवेशिक देशों के लेखकों और कलाकारों ने इसे राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन से जोड़ दिया, इस आंदोलन के पीछे मार्क्सवादी विचारधारा की शक्ति और सोवियत संघ के निर्माण की ताकत भी लगी हुई थी।
अंग्रेजी में जिसे ” प्रोग्रेसिव लिटरेचर ” कहते हैं और और हिंदी साहित्य में इसे ” प्रगतिशील साहित्य ” नाम दिया गया है। हिंदी में प्रगतिशील के साथ-साथ प्रगतिवाद का भी प्रयोग हुआ है। गैर प्रगतिशील लेखकों ने उस साहित्य को जो मार्क्सवादी सौंदर्यशास्त्र के अनुसार लिखा गया है प्रगतिवाद नाम दिया है। 1936 से 42 तक एक विशेष प्रकार की काव्यधारा प्रचलित रही, जिसे प्रगतिवाद का नाम दिया गया। ” प्रगति” का शाब्दिक अर्थ है गति उच्च गति या उन्नति।
इस साहित्य के विषय में प्रायः सभी ने इस धारणा को स्वीकार किया है कि प्रगतिवादी साहित्य मार्क्सवादी चिंतन से प्रेरित साहित्य है, जो पूंजीवादी शोषण और अन्याय के विरुद्ध विद्रोह जगाकर वर्गहीन समाज की स्थापना में विकास रखता है। पूंजीपतियों के विरुद्ध विद्रोह और क्रांति की प्रेरणा फूँकना, करुणा, यथार्थता, निष्ठा और अभिव्यक्ति की सादगी और सार्थकता प्रगतिवादी साहित्य की विशेषता है।
डाॅ. नगेन्द्र’ के अनुसार – ‘‘हिन्दी साहित्य में ‘प्रयोगवाद’ नाम उन कविताओं के लिये रूढ़ हो गया है, जो कुछ नये भाव बोधों, संवेदनाओं तथा उन्हें प्रेषित करने वाले शिल्पगत चमत्कारों को लेकर शुरू-शुरू में ‘तार-सप्तक’ के माध्यम से सन् 1943 ई. में प्रकाशन जगत् में आयी और जो प्रगतिशील कविताओं के साथ विकसित होती गयीं तथा जिनका पर्यवसान (समापन) नयी कविता में हो गया।
प्रयोगवादी प्रवृत्तियाँ:
ये किसी निश्चित नियम,क्रम की सरासर सीढ़ियाँ हैं
पांव रखकर बढ़ रहीं जिस पर कि अपनी पीढ़ियाँ हैं
बिना सीढ़ी के बढ़ेंगे तीर के जैसे बढ़ेंगे.
मैं रथ का टूटा पहिया हूं
लेकिन मुझे फेंको मत
इतिहासों की सामूहिक गति
सहसा झूठी पड़ जाने पर
क्या जाने
सच्चाई टूटे हुए पहियों का आश्रय ले
अपनी कुंठाओं की
दीवारों में बंदी
मैं घुटता हूं
प्रयोगवाद एवं प्रगतिवाद प्रमुख अंतर:
इस प्रकार प्रगतिवाद याँत्रिकता में बंधा हुआ आंदोलन था जबकि प्रयोगवाद व्यक्तिगत स्वतंत्रता की विचारधारा के साथ याँत्रिकता का विरोध करते हुये विकसित हुआ।