दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की कला और साहित्य ही नहीं बल्कि उनके आचार-विचार, संस्कार-व्यवहार और तौर-तरीकों को भी भारतीय संस्कृति ने प्रभावित किया। टिप्पणी करें।
14 Jun, 2021 रिवीज़न टेस्ट्स इतिहास
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दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों से मिले साहित्यिक स्रोतों से यहाँ की भाषा, धर्म, राजनीति तथा सामाजिक संस्थानों पर भारत का बहुत गहरा प्रभाव दिखाई पड़ता है। इन देशों में भारतीय संस्कृति के प्रसार का कारण अनेक भारतीय राजाओं जिनमें अशोक प्रमुख था, द्वारा दक्षिण-पूर्व एशिया के अनेक देशों में धर्म एवं संस्कृति का प्रचार प्रसार था। ऐसा माना जाता है कि दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में भारतीय संस्कृति तथा धर्म का जितना प्रभाव पड़ा उतना शायद ही संसार के किसी अन्य देश पर पड़ा हो।
मौर्योत्तर काल से दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में भारतीय संस्कृति ने प्रवेश किया और अपनी सभ्यता, संस्कृति व धर्म से यहाँ के लोगों को प्रभावित किया।
भारतीय संस्कृति का सर्वाधिक प्रभाव जावा, सुमात्रा, बाली, चंपा, फुनान और मलाया आदि क्षेत्रों में अधिक रहा। मलयद्वीप तथा इंडोनेशियाई द्वीपों पर सर्वप्रथम पूर्वी तटों के व्यापारियों का संपर्क स्थापित हुआ। इसी दौर में महायान और हीनयान से जुड़े कुछ धर्म प्रचारक भी यहां आए। कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि गुप्तकाल में इन क्षेत्रों को उपनिवेश की तरह भी इस्तेमाल किया गया। इसी समय भारत के पूर्वी तटों से दक्षिण-पूर्वी एशियाई क्षेत्रों में राजनीतिक और प्रशासनिक रूप से प्रभावी होने की भारतीय प्रयास की शुरूआत भी होती है।
सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचारक मंडल को बर्मा भेजा तथा बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के निर्देश दिये। 11 से 13वीं शताब्दी के मध्य आते-आते बर्मा बौद्ध-संस्कृति का महान केंद्र बन गया।
इसी तरह मलेशिया के केडाह प्रांत से शैव धर्म के प्रचार-प्रसार तथा कालांतर में इसके प्रचलन के संकेत मिलना, वियतनाम में हिंदू एवं बौद्ध मंदिरों के निर्माण के साथ ही शिव, गणेश, लक्ष्मी, पार्वती, सरस्वती, बुद्ध तथा लोकेश्वर आदि देवताओं की पूजा किये जाने, थाईलैंड से अमरावती शैली, गुप्तकालीन कला और पल्लव लिपि में अंकित बौद्ध धर्म के सिद्धांतों के अवशेषों का मिलना, कंबोडिया में अंकोरवाट का मंदिर तथा इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर प्रांबानन में हिंदू मंदिर और बोरोंबुदूर में विश्व विख्यात विशाल बौद्ध स्तूप का मिलना भारतीय संस्कृति के गहन प्रभाव का परिचायक है।
पूजापाठ की पद्धतियों, जीवन के विभिन्न संस्कारों, त्योहारों को मनाने के तरीकों, रहन-सहन की पद्धतियां तथा संस्कारों में भारत तथा दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में आश्चर्यजनक रूप से समानता दिखाई देती है।
भारतीय संस्कृति ने दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों की कला और साहित्य ही नहीं बल्कि उनके आचार-विचार, संस्कार-व्यवहार और तौर-तरीकों को भी प्रभावित किया है। जिसे हम आज भी भारत-आसियान संबंधों के संदर्भ समझ सकते हैं।