‘हरित कर’ प्रदूषण नियंत्रण और प्रबंधन के बारे में नागरिकों को संवेदनशील बनाने में एक निवारक भूमिका निभा सकते हैं। चर्चा कीजिये।
उत्तर :
दृष्टिकोण
- ‘हरित कर’ के उद्देश्य को संक्षेप में बताते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- हरित कर को लागू करने की दिशा में प्रमुख लाभों और कदमों की चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये ।
|
परिचय
- पर्यावरणीय करों का उद्देश्य हानिकारक पदार्थों के उपयोग या खपत की मात्रा को कम करना है।
- पर्यावरणीय कर सुधारों में आम तौर पर तीन पूरक गतिविधियाॅं शामिल होती हैं:
- पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव डालने वाली मौजूदा सब्सिडी और करों को समाप्त करना।
- पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मौजूदा करों का पुनर्गठन।
- नए पर्यावरणीय करों की शुरुआत।
पर्यावरणीय कर और लाभ
- सार्वजनिक वस्तु के रूप में पर्यावरण: जिस तरह सार्वजनिक वस्तु के रूप में 'पर्यावरण' का प्रचार किया जा रहा है; सभी सार्वजनिक वस्तुओं की तरह पर्यावरण से संबंधित खर्च का वित्तपोषण भी पर्यावरणीय करों सहित करों के सामान्य पूल से होना चाहिये।
- पर्यावरण संरक्षण: यह प्रदूषणकारी पदार्थो की लागतों को बढ़ाकर निवेशकों को उचित पर्यावरणीय निर्णय लेने के लिये बाध्य कर सकता है और इस प्रकार प्रदूषणकारी गतिविधियाँ कम की जा सकती है।
- वित्त लाभ: पर्यावरणीय कर सुधार से बुनियादी सार्वजनिक सेवाओं के वित्तपोषण के लिये राजस्व जुटा सकते हैं, जबकि अन्य स्रोतों के माध्यम से राजस्व जुटाना मुश्किल या बोझिल साबित होता है।
आगे की राह
- संभावनाओं का आकलन: पर्यावरणीय कर की दर वस्तु और सेवाओं के उत्पादन, उपभोग या निपटान से पड़ने वाले नकारात्मक असर के सीमांत सामाजिक लागत के बराबर होनी चाहिये।
- इसके लिये वैज्ञानिक आकलन के आधार पर पर्यावरण को हुए नुकसान के मूल्यांकन की आवश्यकता है।
- राजस्व का उपयोग: भारत जैसे विकासशील देशों में राजस्व का उपयोग अधिक-से-अधिक पर्यावरणीय मुद्दों को संबोधित करने के लिये किया जा सकता है।
- प्रमुख क्षेत्रों को लक्षित करना: भारत में पर्यावरणीय कर लागू करने हेतु तीन मुख्य क्षेत्रों को लक्षित किया जा सकता है-
- परिवहन क्षेत्र में वाहनों का कराधान विशुद्ध रूप से ईंधन दक्षता और जीपीएस आधारित होना चाहिये;
- ऊर्जा क्षेत्र में ऊर्जा उत्पादन हेतु प्रयुक्त ईंधन पर कर लगाना;
- अपशिष्ट उत्पादन और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग।
- पर्यावरण-राजकोषीय सुधार: मद्रास स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स द्वारा अपने अध्ययन के अनुसार वस्तु और सेवा कर ढाॅंचे में पर्यावरणीय करों को शामिल करने की भी आवश्यकता है।
निष्कर्ष
प्रदूषण नियंत्रण और प्रबंधन के बारे में नागरिकों को संवेदनशील बनाने के लिये हरित करों को लागू करना एक निवारक उपाय होगा। अतः भारत के लिये पर्यावरणीय वित्तीय सुधारों को अपनाने का यह सही समय है।