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प्रश्न :
इंग्लैंड और फ्राँस के मध्य भारत में अपने वर्चस्व स्थापना की कोशिशों को लेकर हुये कर्नाटक युद्ध में अंग्रेज़ों की विजय एवं फ्राँसीसियों की पराजय के क्या कारण रहें। स्पष्ट कीजिये।
11 Jun, 2021 रिवीज़न टेस्ट्स इतिहासउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- भूमिका
- कर्नाटक युद्ध-सामान्य परिचय
- अंग्रेजों की विजय तथा फ्राँसीसियों की हार के कारण
- निष्कर्ष
ब्रिटिश एवं फ्राँसीसी दोनों ही भारत में व्यापारिक उद्देश्यों के लिये आए लेकिन कालांतर में भारत में राजनीतिक वर्चस्व स्थापित करने में संघर्षरत हो गए।
दोनों ही इस क्षेत्र में राजनीतिक शक्ति स्थापित करना चाहते थे। भारत में एंग्लो-फ्रेंच प्रतिद्वंद्विता ने इतिहास में इंग्लैंड एवं फ्राँस की पारंपरिक प्रतिद्वंद्विता को प्रतिबिंबित किया। भारत में लड़े गए तीन कर्नाटक युद्धों के रूप में एंग्लो-फ्रेंच के मध्य प्रतिद्वंद्विता ने यह सिद्ध कर दिया की संपूर्ण भारत में शासन स्थापित करने के लिये अंग्रेज़ों से अधिक फ्राँसीसी उपयुक्त थे।
ब्रिटिश की जीत तथा फ्राँसीसियों कंपनी के हार के कारण-
- ईस्ट इंडिया कंपनी एक निजी कंपनी थी। उस पर सरकारी नियंत्रण कम था इससे कंपनी के लोगों में उत्साह एवं आत्मविश्वास अपेक्षाकृत अधिक था। कम सरकारी नियंत्रण होने के कारण कंपनी सरकार के अनुमोदन की प्रतीक्षा किये बिना तत्काल निर्णय ले सकती थी।
- वहीं फ्राँसीसी कंपनी राज्य की एक व्यापारिक संस्था थी। इसे फ्राँसीसी सरकार द्वारा नियंत्रित एवं विनियमित किया जाता था व सरकार की नीतियों और निर्णय लेने में देरी के कारण इसे क्षति हुई।
- बेहतर ब्रिटिश नौसेना एवं बड़े शहरों में ब्रिटिश नियंत्रण के मामले में भी अंग्रेज़ी नौसेना फ्राँसीसी नौसेना से बेहतर थी।
- अंग्रेज़ों के आधिपत्य में तीन महत्त्वपूर्ण स्थान कलकत्ता, बॉम्बे एवं मद्रास थे, जबकि फ्राँसीसियों के पास केवल पुद्दुचेरी था।
- ब्रिटिश आर्थिक रूप से शक्तिशाली थे। फ्राँसीसियों ने क्षेत्रीय महत्त्वाकांक्षा के लिये अपने वाणिज्यिक हितों को गौण कर दिया, जिससे फ्राँसीसी कंपनी के समक्ष वित्तीय अभाव की स्थिति उत्पन्न हुई।
- अपने साम्राज्यवादी उद्देश्यों के बावज़ूद, अंग्रेज़ों ने कभी भी अपने वाणिज्यिक हितों की उपेक्षा नहीं की।
- ब्रिटिशों की हमेशा से उनके प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ युद्ध में मदद करने के लिये वित्तीय स्थिति अच्छी थी।
- भारत में अंग्रेज़ों की सफलता का एक प्रमुख कारण आयरकूट, मेजर स्ट्रिंगर लॉरेंस, रॉबर्ट क्लाइव जैसे योग्य सेनानायकों की उपस्थिति थी। अंग्रेजों की तुलना में फ्राँसिसियों कंपनी में एकमात्र डूप्ले को इनके समकक्ष माना जा सकता था।
उपरोक्त से स्पष्ट है कि सैनिक, आर्थिक, राजनीतिक पहलुओं के संदर्भ में ब्रिटिश कंपनी फ्राँस की कंपनी से बेहतर स्थिति में थी अतः कर्नाटक युद्ध में जीत हासिल कर भारत में वर्चस्व स्थापित करने में अपेक्षाकृत सफल रही।
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